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Sunday 17 August 2014

Janmashtami कृष्ण जन्माष्टमी: कहानी कृष्ण जन्म की

Janmashtami – Story of Lord Krishna
मानव जीवन सबसे सुंदर और सर्वोत्तम होता है. मानव जीवन की खुशियों का कुछ ऐसा जलवा है कि भगवान भी इस खुशी को महसूस करने समय-समय पर धरती पर आते हैं. शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने भी समय-समय पर मानव रूप लेकर इस धरती के सुखों को भोगा है. भगवान विष्णु का ही एक रूप कृष्ण जी का भी है जिन्हें लीलाधर और लीलाओं का देवता माना जाता है।
Janmashtami - Festivals of IndiaKrishna Janmashtami
कृष्ण को लोग रास रसिया, लीलाधर, देवकी नंदन, गिरिधर जैसे हजारों नाम से जानते हैं. कृष्ण भगवान द्वारा बताई गई गीता को हिंदू धर्म के सबसे बड़े ग्रंथ और पथ प्रदर्शक के रूप में माना जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) कृष्ण जी के ही जन्मदिवस के रूप में प्रसिद्ध है।
When is Janmashtami 2012
मान्यता है कि द्वापर युग के अंतिम चरण में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इसी कारण शास्त्रों में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन अर्द्धरात्रि में श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी मनाने का उल्लेख मिलता है. पुराणों में इस दिन व्रत रखने को बेहद अहम बताया गया है। इस साल जन्माष्टमी (Janmashtami) 10 अगस्त को है।
Birth Of Krishna-कृष्ण जन्मकथा
श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी व श्रीवसुदेव के पुत्र रूप में हुआ था. कंस ने अपनी मृत्यु के भय से अपनी बहन देवकी और वसुदेव को कारागार में कैद किया हुआ था। कृष्ण जी जन्म के समय घनघोर वर्षा हो रही थी। चारो तरफ़ घना अंधकार छाया हुआ था। भगवान के निर्देशानुसार कुष्ण जी को रात में ही मथुरा के कारागार से गोकुल में नंद बाबा के घर ले जाया गया।
नन्द जी की पत्नी यशोदा को एक कन्या हुई थी। वासुदेव श्रीकृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर उस कन्या को अपने साथ ले गए. कंस ने उस कन्या को वासुदेव और देवकी की संतान समझ पटककर मार डालना चाहा लेकिन वह इस कार्य में असफल ही रहा। दैवयोग से वह कन्या जीवित बच गई. इसके बाद श्रीकृष्ण का लालन–पालन यशोदा व नन्द ने किया। जब श्रीकृष्ण जी बड़े हुए तो उन्होंने कंस का वध कर अपने माता-पिता को उसकी कैद से मुक्त कराया।
जन्माष्टमी में हांडी फोड़
श्रीकृष्ण जी का जन्म मात्र एक पूजा अर्चना का विषय नहीं बल्कि एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव में भगवान के श्रीविग्रह पर कपूर, हल्दी, दही, घी, तेल, केसर तथा जल आदि चढ़ाने के बाद लोग बडे हर्षोल्लास के साथ इन वस्तुओं का परस्पर विलेपन और सेवन करते हैं। कई स्थानों पर हांडी में दूध-दही भरकर, उसे काफी ऊंचाई पर टांगा जाता है। युवकों की टोलियां उसे फोडकर इनाम लूटने की होड़ में बहुत बढ-चढकर इस उत्सव में भाग लेती हैं। वस्तुत: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत केवल उपवास का दिवस नहीं, बल्कि यह दिन महोत्सव के साथ जुड़कर व्रतोत्सव बन जाता है।




Monday 11 August 2014

5 ऐसे योगासन जो मधुमेह पर लगाम लगाएं

योगासन
योग से डायबिटीज पर काबू पाएं
नियमित योग एक तरफ जहां आपको स्वस्थ रखता है वहीं दूसरी तरफ गंभीर बीमारियों से भी निजात दिलाता है। अगर मधुमेह में नियमित कुछ खास तरह के योग किए जाएं तो मधुमेह को कंट्रोल कर सकते हैं। आइए जानें कुछ खास योगासनों के बारे में जो डायबिटीज को कम करने में मददगार हो सकते हैं।
प्राणायाम:
गहरी सांस लेना और छोड़ना रक्त संचार को दुरुस्त करता है।  इससे दिमाग शांत होता है और नर्वस सिस्टम को आराम मिलता है। फर्श पर चटाई बिछाकर पद्मासन की मुद्रा में पैर पर पैर चढ़ाकर बैठ जाएं। अब अपनी पीठ सीधी करें, अपने हाथ घुटनों पर ले जाएं, ध्यान रहे हथेली ऊपर की तरफ खुली हो, और अपनी आँखें बंद करें। गहरी सांस लें और पांच की गिनती तक सांस रोककर रखें। अब धीरे धीरे सांस छोड़ें। इस पूरी प्रक्रिया को कम से कम दस बार दोहराएं।
सेतुबंधासन:
यह आसन न सिर्फ रक्तचाप को नियंत्रित रखता है बल्कि मानसिक शान्ति देता है और पाचनतंत्र को ठीक करता है। चटाई पर लेट जाएं।अब सांस छोड़ते हुए पैरों के बल ऊपर की ओर उठें। अपने शरीर को इस तरह उठाएं कि आपकी गर्दन और सर फर्श पर ही रहे और शरीर का बाकी हिस्सा हवा में।  सपोर्ट के लिए आप हाथों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। अगर आप में लचीलापन है तो अतिरिक्त स्ट्रेचिंग के लिए आप अपनी अंगुलियों को ऊपर उठी पीठ के पीछे भी ले जा सकते हैं। अपने कम्फर्ट का ध्यान रखते हुए इस आसन को पूरा करें।
बलासन:
बच्चों की मुद्रा के नाम से जाना जाने वाला यह आसन तनावमुक्ति का बहुत अहम साधन है। इससे तनाव और थकान से राहत मिलाती है। ये ज्यादा देर तक बैठे रहने से होने वाले लोअर बैक पेन में भी काफी मददगार साबित होता है। फर्श पर घुटनों के बल बैठ जाएं। अब अपने पैर को सीधे करते हुए अपनी एड़ी पर बैठ जाएं। दोनों जांघों के बीच थोड़ी दूरी बनाएं। सांस छोड़ें और कमर से नीचे की और झुकें। अपने पेट को जाघों पर टिके रहने दें और पीठ को आगे की और स्ट्रेच करें। अब अपनी बांहों को सामने की तरफ ले जाएं ताकि पीठ में खिंचाव हो।  आप अपने माथे को फर्श पर टिका सकते हैं बशर्ते आपमें उतना लाचीलापन हो।  पर शरीर के साथ ज़बरदस्ती न करें। वक्त के साथ आप ऐसा करने में कामयाब होंगे।
वज्रासन:
यह एक बेहद सामान्य आसन है जो मानसिक शान्ति देने के साथ पाचन तंत्र को ठीक रखता है। घुटने टेक कर बैठ जाएं और अपने पैर के ऊपरी सतह को चटाई के संपर्क में इस तरह रखें कि आपकी एड़ी ऊपर की तरफ हो।  अब आराम से अपनी पुष्टिका को एड़ी पर टिका दें।  यह ध्यान देना ज़रूरी है कि आपका गुदाद्वार आपकी दोनों एड़ी के ठीक बीच में हो।  अब अपनी दोनों हथेलियों को नीचे की और घ्तनों पर ले जाएं।  अपनी आँखें बंद करें और एक गति में गहरी साँस लें।
सर्वांगासन:
चटाई पर पैर फैलाकर लेट जाइए।  अब धीरे धीरे घुटनों को मोड़कर या सीधे ही पैरों को ऊपर उठाइए।  अब अपनी हथेली को अपनी पीठ और पुष्टिका पर रखकर इस आसन को सपोर्ट कीजिए।  अपने शरीर को इस तरह ऊपर उठाइए कि आपके पंजे छत की दिशा में इंगित हों।  समूचा भार आपके कंधों पर होना चाहिए।  सुनिश्चित करें कि आप धीरे-धीरे सांस ले रहे हैं और अपनी ठुड्डी को सीने पर टिका लें।  आपकी केहुनी फर्श पर टिकी होनी चाहिए और आपकी पीठ को हथेली का साथ मिला होना चाहिए।  इस आसन में तब तक रहें जब तक आप इसके साथ सहज हैं।  लेटने वाली मुद्रा में वापस आने के लिए धीरे-धीरे पैरों को नीचे लाएं, सीधा तेज़ी से नीचे न आएं।



Sunday 10 August 2014

सात कुदरती उपाय जो हाई बीपी पर लगाम लगाएं

तेज रफ्तार भागती जिंदगी ने हमारी रगों में खून की रफ्तार को भी जरूरत से बढ़ा दिया है। खून की यह बेहद तेज रफ्तार हमारी सेहत के लिए अच्‍छी नहीं।  डॉक्‍टरी जुबान में इसे हाइपरटेंशन कहा जाता है यानी हाई बीपी। उच्‍च रक्‍तचाप को नियंत्रित करने के लिए हमें दवाओं का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन इसके साथ ही कुछ कुदरती उपाय भी हैं जिनके जरिये बीपी को काबू किया जा सकता है।
http://jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%89%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A-%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%AAपॉवर वॉक-
तेज गति से चलते से न केवल आपकी फिटनेस में सुधार होता है, बल्कि साथ ही साथ इससे रक्‍तचाप को भी नियंत्रित करने में मदद मिलती है। व्‍यायाम करने से हमारे दिल की कार्यक्षमता में इजाफा होता है और वह ऑक्‍सीन का बेहतर इस्‍तेमाल कर पाता है। इसके लिए आपको कड़ा व्‍यायाम करने की जरूरत नहीं। सप्‍ताह में चार से पांच दिन तक 30 मिनट कार्डियो एक्‍सरसाइज करने से ही आपको काफी फायदा होगा।
गहरी सांस लें-
प्राणायाम, योग और ताई ची जैसी श्‍वास प्रक्रियायें तनाव को कम करने में मदद करती हैं। इससे भी रक्‍तचाप को कम करने में मदद मिलती है। सुबह शाम पांच से दस मिनट तक इन क्रियाओं को करना आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। गहरी सांस लें, आपका पेट पूरी तरह फूल जाना चाहिए। सांसे छोड़ते ही आपकी सारी चिंता बाहर निकल जाएगी।
आलू-
आहार में पोटेशियम युक्‍त फलों और सब्जियों को शामिल करने से आप रक्‍तचाप को कम कर सकते हैं। यदि आप रोजाना 2 हजार से 4 हजार मिलीग्राम पोटेशियम का सेवन करने से आप स्‍वयं को उच्‍च रक्‍तचाप से दूर रख सकते हैं। शकरकंदी, टमाटर, संतरें का रस, आलू, केला, राजमा, नाशपति, किशमिश, सूखे मेवे और तरबूज आदि में पोटेशियम काफी मात्रा में होता है।
नमक का सेवन करें कम-
नमक का अधिक सेवन करने से उच्‍च रक्‍तचाप का खतरा बढ़ जाता है। इसे कम करने के लिए आपको अपने भोजन में नमक की मात्रा कम करनी चाहिए। डॉक्‍टरों का मानना है कि नमक में मौजूद सोडियम की अधिक मात्रा हमारे शरीर के लिए अच्‍छी नहीं होती। इसलिए जरूरी है कि नमक का सेवन अल्‍प मात्रा में ही किया जाए।
डार्क चॉकलेट-
डार्क चॉकलेट में फ्लेनोल्‍ड होते हैं, जो रक्‍तवा‍हिनियों को अधिक लचीला बनाने में मदद करते हैं। एक शोध के अनुसार डार्क चॉकलेट का सेवन करने वाले 18 फीसदी लोगों ने रक्‍तचाप में कमी आने की बात कही।
कॉफी-
रक्‍तचाप पर कैफीन के असर को लेकर वैज्ञानिकों में मतभेद हैं। कुछ का मानना है कि कैफीन और रक्‍तचाप में कोई संबंध नहीं है, वहीं कुछ इससे असहमत हैं। इनके मुताबिक कैफीन रक्‍चाप को बढ़ाता है और रक्‍तवाहिनियों को संकरा कर देता है इसके साथ ही यह तनाव का खतरा भी बढ़ा देता है। इसके कारण दिल को अधिक क्षमता से काम करना पड़ता है। इससे रक्‍तचाप का खतरा बढ़ जाता है।
चाय पियें-
गुलहड़ की चाय पीने से उच्‍च रक्‍तचाप की समस्‍या से बचा जा सकता है। डेढ़-दो महीने इस चाय का सेवन करने से रक्‍तचाप को सात प्‍वाइंट तक नीचे लाने में मदद मिलती है। कई शोध भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि इस चाय का सेवन रक्‍तचाप को नियंत्रित करने में काफी मदद करता है।
आराम है जरूरी-
बेशक, जीवन में कामयाबी के लिए काम करना जरूरी है, लेकिन आराम की अहमियत को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक जो लोग सप्‍ताह में 41 घंटे से ज्‍यादा ऑफिस में गुजारते हैं, उन्‍हें उच्‍च रक्‍तचाप होने का खतरा 15 फीसदी तक बढ़ जाता है। हालांकि, आज के इस दौर में दफ्तर में काम करना बेहद जरूरी है, लेकिन इसकी भरपाई के लिए आपको व्‍यायाम करना चाहिए। आप जिम जा सकते हैं, खाना पका सकते हैं और सैर आदि के लिए कुछ समय निकाल सकते हैा। आप काम के घंटे समाप्‍त होने से आधा घंटा पहले ही अपना सारा काम निपटाने का लक्ष्‍य रखें ताकि आप समय पर घर जा सकें।
संगीत-
संगीत आपके रक्‍तचाप को कम करने में काफी मदद करता है। इटली स्थित फ्लोरेंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि सही स्‍वर लहरियां आपके उच्‍च रक्‍तचाप को कम करने में मदद करती हैं। रोजाना हल्‍की-हल्‍की सांसें लेते हुए यदि आप मद्धम संगीत सुनें तो आपको उच्‍च रक्‍तचाप और थकान आदि से मुक्ति मिलती है।

Thursday 7 August 2014

डायबिटीज में आयुर्वेदिक डाइट


स्वस्थ रहने के लिए आजकल लोगों में डिटॉक्सिफिकेशन का चलन जोरों पर है। आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास खुद के लिए बहुत कम समय होता है। पौष्टिक भोजन की कमी, धूम्रपान व शराब का सेवन, शरीर में टॉक्सिन की मात्रा बढ़ा देता है। डिटॉक्सिफिकेशन का अर्थ है शरीर में जमा विषैले पदार्थों को बाहर निकालना। इस क्रिया में शरीर को अंदर और बाहर दोनों तरह से साफ किया जाता है।
डायबिटीज डिटॉक्स डाइट
Vegetable Juice
डायबिटीज डिटॉक्स डाइट में मधुमेह रोगियों के ब्लड शुगर को खान-पान के जरिए नियंत्रित किया जाता है। इस डाइट में रोगियों को किस प्रकार का कार्बोहाइड्रेट लेना और कितनी मात्रा में लेना है इस बारे में बताया जाता है। इस डाइट में मधुमेह रोगियों को ऐसे कार्बोहाइड्रेट दिया जाता है जो धीरे-धीरे पचे जिससे रोगी का ब्लड शुगर का स्तर सामान्य रहे। धीरे-धीरे पचने वाली कार्बोहाइड्रेड ज्यादातर फलों और सब्जियों में ही पाया जाता है।
आयुर्वेदिक डिटॉक्स डाइट
  • बीमारी पर काबू पाने में आयुर्वेदिक उपचारों पर लोगों का काफी भरोसा है। आयुर्वेदिक डिटॉक्स डाइट में शरीर में मौजूद टॉक्सिन को बाहर निकाला जाता है। आयुर्वेदिक डिटॉक्स डाइट काफी हल्का और ऊर्जावान होता है इसकी मदद से आपकी पाचन क्षमता मजबूत होती है और शरीर में मौजूद समस्याओं का खात्मा होता है।
  • आयुर्वेदिक डिटॉक्स डाइट दो तरह की होती है। एक सामान्य आयुर्वेदिक डिटॉक्स डाइट जो कि सभी लोगों के शरीर को डिटॉक्स करने का काम करती है। दूसरा है विशिष्ट डिटॉक्स डाइट जो किसी खास प्रकार के व्यक्ति के लिए होता है। यह डाइट उनके बॉडी टाइप, स्वास्थ्य और टॉक्सिन की मात्रा पर निर्भर करती है। आइए जानें डायबिटीज आयुर्वेदिक डिटॉक्स डाइट के बारे में ।
  • डिटॉक्स डाइट की मदद से आप ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल कर हृदय की गतिविधि को बढ़ा सकते हैं।
  • दो दिन का उपवास करें और सिर्फ गर्म पानी में अदरक का पाउडर मिलाकर पिएं। एक लीटर पानी में एक चम्मच अदरक का पाउडर मिलाएं इसे उबाल लें फिर थोड़ा गुनगुना ही इसे पिएं।
  • अगले पांच दिन तक मूंग और सब्जियों के सूप का ही सेवन करें।
  • उसके अगलें पांच दिन साबूत मूंग और सब्जियों को काटकर उसमें अदरक-लहसुन का पेस्ट, हल्दी और गर्म मसाला मिलाकर पकाएं और इसका सेवन करें।
  • इसके बाद आप अपनी नार्मल डाइट लेना शुरु कर सकते हैं।
  • इस डिटॉक्स डाइट को महीने में एक बार जरूर अपनाएं। इससे डायबिटीज में होने वाली समस्याओं को खत्म करने में मदद मिलेगी साथ ही आपका ब्लड शुगर भी नियंत्रित रहेगा। इसके अलावा डायबिटीज बढ़ाने के जिम्मेदार कारक जैसे वजन बढ़ना, तनाव आदि से भी छुटकारा मिलेगा।

Wednesday 6 August 2014

अर्थराइटिस- Arthiritis

आहार जो बढ़ा सकता है अर्थराइटिस का दर्द
अर्थराइटिस यानी गठिया जोड़ो की बीमारी है। जब चलने में तकलीफ होने लगे, जोड़ों में दर्द हो, ऐसे में एक ही बीमारी का नाम आता है वह है अर्थराइिटस। यह बीमारी उम्र ढलने वाले लोगों को अधिक होती है, लेकिन बदली हुई लाइफस्‍टाइल के कारण इसकी चपेट में हर उम्र के लोग आ रहे हैं।
जोड़ों काेदर्द
अर्थराइटिस होने पर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से जोड़ों में सूजन आ जाती है। इसमें असहनीय पीड़ा होती है। खासकर ठंड के मौसम में इसका दर्द बर्दाश्‍त से बाहर हो जाता है। लेकिन इसका दर्द बढ़ाने में दिनचर्या के साथ-साथ आहार भी बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। कई आहार ऐसे हैं जिनको खाने से गठिया का दर्द बढ़ता है। इसलिए अर्थराइटिस की समस्‍या होने पर इन आहार से बचना चाहिए।
अर्थराइटिस में न खायें ये आहार
मछली और मांस
मांस और मछली का सेवन करने वालों को अर्थराइटिस में इससे परहेज करें क्‍योंकि यह दर्द को बढ़ा सकता है। मांस और मछली में अधिक मात्रा में प्यूरिन पाया जाता है। प्यूरिन हमारे शरीर में ज्यादा यूरिक एसिड पैदा करता है। रेड मीट, हिलसा मछली, टूना और एन्कोवी जैसी मछलियों में काफी मात्रा में प्यूरिन पाया जाता है, इसलिए इन्हें अपने डायट चार्ट से बाहार कर दीजिए।
जोड़ों के दर्द
शुगरयुक्‍त खाद्य-पदार्थ
गठिया के मरीज को चीनी और मीठे से परहेज करना चाहिए। शुगर का अधिक सेवन करने से शरीर के कुछ प्रोटीन्‍स का ह्रास होता है। यह आपके गठिया के दर्द को बढ़ाता भी है। इसलिए अपने डायट चार्ट में से शुगर और शुगरयुक्‍त आहार का को निकाल दीजिए।
दुग्‍ध उत्‍पाद
डेयरी प्रोडक्‍ट से बने खाद्य-पदार्थ भी अर्थराइटिस के दर्द को बढ़ा सकते हैं। क्‍योंकि दुग्‍ध उत्‍पाद जैसे, पनीर, बटर आदि में कुछ ऐसे प्रोटीन होते हैं जो जोड़ों के आसपास मौजूद ऊतकों को प्रभावित करते हैं, इसकी वजह से जोड़ों का दर्द बढ़ सकता है। इसलिए दुग्‍ध उत्‍पादों को खाने से बचें।
अल्कोहल और सॉफ्ट ड्रिंक
अर्थराइटिस के मरीजों को शराब और साफ्ट ड्रिंक के सेवन से बचना चाहिए। अल्कोहल खासकर बीयर शरीर में यूरिक एसिड के स्‍तर को बढ़ाता ही है और तो और शरीर से गैर जरूरी तत्व निकालने में शरीर को रोकता भी है। इसी तरह सॉफ्ट ड्रिंक खासकर मीठे पेय या सोडा में फ्रेक्टोस नामक तत्व होता है, जो यूरिक एसिड के बढ़ने में मदद करता है। 2010 में किए गए एक शोध से यह बात सामने आई है कि जो लोग ज्यादा मात्रा में फ्रक्टोस वाली चीजों का सेवन करते हैं, उनमें गठिया होने का खतरा दोगुना अधिक होता है।
टमाटर न खायें
हालांकि टमाटर और विटामिन और मिनरल भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, लेकिन यह अर्थराइटिस के दर्द को बढ़ाता भी है। टमाटर में कुछ ऐसे रासायनिक घटक पाये जाते हैं जो गठिया के दर्द को बढ़ाकर जोड़ों में सूजन पैदा करते हैं। इसलिए टमाटर खाने से परहेज करें। 
अर्थराइटिस बहुत ही तकलीफदेह बीमारी है, इसके कारण हिलने-डुलने में भी परेशानी का अनुभव करता है, पैरों के अंगूठे में इसका असर सबसे पहले देखने को मिलता है। अर्थराइटिस के मरीजों को अपना डायट चार्ट बनाते समय एक बार चिकित्‍सक से सलाह लेना चाहिए।

Tuesday 22 July 2014

दाल चावल के परांठे - Daal Chawal Paratha

आज हम आप को बताने जा रहे हैं दाल चावल के पराठे। यदि आपके फ्रिज में दाल और चावल बचे हों तो इनसे आप परांठे बना सकते हैं। इससे बने परांठे खाने में बेहद स्वादिष्ट होते हैं। इन्हें बनाने के लिए आप मूंग, चने, अरहर या किसी भी दाल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
आवश्यक सामग्री:
  1.     दाल - 1 कटोरी (जो भी दाल रखी हो)
  2.     चावल - 1 कटोरी
  3.     गेहूं का आटा - 2 कटोरी
  4.     नमक - स्वादानुसार (आधा छोटी चम्मच)
  5.     जीरा - आधा छोटी चम्मच
  6.     तेल या घी - परांठे बनाने के लिये
विधि:
एक बर्तन में आटा छान कर इसमें नमक, जीरा और एक छोटी चम्मच तेल डाल कर मिला लें. इसमें दाल और चावल डालें और अच्छे से मिला लें। ज़रूरत के अनुसार पानी डालते हुए आटे को गूंठ लें। इसे 20 मिनट के लिए ढक कर रख दें। इतने समय में आटा सैट हो जाएगा। अब आटे को हाथों से मसल कर चिकना कर लें। परांठे बनाने के लिए आटा तैयार है।
सबसे पहले तवा गरम करें। अब आटे से थोडा़ सा आटा लेकर एक गोल लोई बनाएं। इसे सूखे आटे में लपेटें और फिर चकले पर 3 इंच के व्यास में गोल बेल लें। बेले परांठे पर थोडा़ सा तेल या घी लगाकर चिकना करें और परांठे को चारों तरफ़ से उठाकर इकठ्ठा करते हुए गोल करें। इसे अच्छे से बंद करके हाथों से दबाकर चपटा कर लें।
तैयार लोई को फिर से सूखे आटे में लपेटकर 6-8 इंच के व्यास में गोल और थोडा़ मोटा बेल लें। अब गरम तवे पर तोडा़ सा तेल डाल कर फ़ैलाएं और इस पर बेला हुआ परांठा डाल दें। परांठे के दोनों तरफ़ थोडा़-थोडा़ तेल लगा कर इसे मीडियम आंच पर पलटते हुए हल्का ब्राउन और खस्ता होने तक सेक लें। जब परांठा सिक जाए तो इसे प्लेट में रख लें।
दाल चावल के गरमा-गरम परांठों को दही, आचार, चटनी या पसंद की सब्ज़ी के साथ परोस कर सभी को खिलाएं। इन्हें गरम-गरम खाने का मजा ही कुछ और है।

Monday 7 July 2014

अदरक का आचार - Ginger pickle

आज हम आप को बताने जा रहे हैं स्वादिष्ट अदरक का आचार। अदरक का आचार खाने का स्वाद बढाने के साथ हाजमे को भी ठीर करने में लाभकारी होता है। इसे बनाना भी काफी आसान है। सर्दियों के मौसम में बिना रेशे का अदरक आता है और मार्च के महीने तक चलता है जिसका आचार अच्छा बनता है।  
जरूरी सामग्री:
    अदरक - 200 ग्राम
    नीबू - 200 ग्राम
    नमक - 1 छोटी चम्मच
    काला नमक -   1 छोटी चम्मच
    हींग - 2-3 पिंच (पिसी हुई)
    काली मिर्च - 1/4 छोटी चम्मच
बनाने की विधि:
बिना रेशे का अदरक बाजार से खरीद कर ले आएं. अब इसे छील कर अच्छे से धो लें और फिर सुखा लें। पानी
http://jkhealthworld.com/hindi/अदरक
अदरक का आचार
सुखाने के बाद अदरक को छोटे-छोटे और पतले टुकडों में काट लें। नींबू को धो कर उनका पानी सुखा लें. अब इन्हें काटें और इनका रक निकाल लें।
कटे हुए अदरक के टुकडों में नमक, काला नमक, हींग, काली मिर्च और नींबू का रस डाल लें. सारी चीज़ों को अच्छे से मिला लें।
तैयार अदरक के टुकडों को कांच के साफ़ कंटेनर में भर लें। कंटेनर के ढक्कन को अच्छे से बंद कर दें। अगर आपके घर में धूप आती है तो आचार को तीन दिन के लिए धूप में रख दें। आचार को हर दूसरे दिन हिला कर उपर नीचे ज़रूर कर दें। अगर घर में धूप ना आती हो तो आप इसे कमरे में ही रख सकते हैं. इसे दिन में एक बार चम्मच से चला दें। अदरक के आचार को आप अभी से खा सकते हैं लेकिन 3-4 दिन में इसमें सारे मसालों का स्वाद भर जाएगा और आचार बेहद स्वादिष्ट हो जाएग।
अदरक का बेहद स्वादिष्ट आचार तैयार है। इसे 15-20 दिन तक आराम से खाए और ज़्यादा दिन तक चलाने के लिए अदरक को नींबू के रस में डुबा कर रखें। ऎसा करने से ये काफी समय तक ठीक रहेगा। आचार को नमी वाली जगह पर ना रखें और जब भी इसे निकालें तो साफ़ और सूखे चम्मच से ही निकालें। अदरक के आचार को अपने खाने में शामिल करें ये खाने के स्वाद को बढा़ देगा और इसे पचाने में भी आपकी मदद करेगा।

Sunday 6 July 2014

बैगन करी - Baigan masala curry

बैंगन करी बहुत स्वादिष्ट होता है। आज हम आप को बताने जा रहे हैं कैसे बनाए बैंगन करी।बैंगन करी बनाने के लिए आवश्यक सामाग्री।
जरूरी सामग्री:
  1.  बैगन - 500 ग्राम ( बड़े बैगन, बिना बीज वाले)

www.jkhealthworld.com/hindi/
बैंगन करी की सामाग्री
बैंगन मैरीनेट करने के लिए:
  1. दही - 3 -4 टेबल स्पून
  2. बेसन - 2 टेबल स्पून
  3. नमक - 1/4 छोटी चम्मच
  4. गरम मसाला - एक चौथाई छोटी चम्मच
  5. तेल - बैगन तलने के लिये
करी बनाने के लिए:
  1. टमाटर - 3-4
  2. हरी मिर्च - 1 या 2
  3. अदरक - 1 इंच लम्बा टुकड़ा
  4. छिले मूंगफली के दाने - 2 टेबल स्पून
  5. ताजा दही -  1/4 कप
  6. तेल - 2 - 3 टेबल स्पून
  7.  हींग - 1 पिंच
  8. जीरा - आधा छोटी चम्मच
  9. हल्दी पाउडर - 1/4 छोटी चम्मच
  10. धनियां पाउडर - 1 छोटी चम्मच
  11. लाल मिर्च - एक चौथाई छोटी चम्मच से कम
  12. नमक - स्वादानुसार (3/4 छोटी चम्मच)
  13. गरम मसाला -   1/4  छोटी चम्मच
  14. हरा धनियां - 2-3 टेबल स्पून (बारीक कतरा हुआ)
बनाने की विधि:
  • बैंगन को धोकर छील लें और इन्हें पानी में डुबा कर रख दें। अब बारी है बैंगन को मैरीनेट करने की इसके लिए एक बाउल में फ़ैंटा हुआ दही, नमक, गरम मसाला और बेसन डाल कर इन सबको अच्छे से मिला लें. बैंगन को 1 1/2 इंच के मध्यम आकार के चौकोर टुकडों में काट लें. बैंगन के टुकडों को तैयार मसाले में मिला कर 15-20 मिनत के लिए इसी तरह रख दें।
  • निश्चित समय के बाद ये मैरीनेट हो जाएंगे. इन्हें तलने के लिए एक कढा़ई में तेल डाल कर गरम कर लें। गरम तेल में बैंगन के टुकडे़ एक-एक करके डालें. जितने टुकडे़ आसानी से डाल कर तले जा सकें डाल लें। इन्हें पलट-पलट कर हल्का ब्राउन होने तक तल लें और फिर एक प्लेट में निकाल कर रख लें।
तरी बनाएं:
  • टमाटर, हरी मिर्च और अदरक को धो लें. हरी मिर्च के डंठल हटा दें और अदरक को छील लें। अब इन तीनों को बडे़-बडे़ टुकडों में काट कर, इनके साथ मूंगफ़ली के दानों को भी मिक्सी में डाल लें और इन्हें पीस कर बारीक पेस्ट बना लें।कढा़ई में 2-3 टेबल स्पून तेल डाल कर गरम कर लें। बिलकुल धीमी आंच पर इसमें हींग और जीरा डाल कर भून लें. इसके बाद हल्दी पाउडर और धनिया पाउडर डाल कर टमाटर-मूंगफ़ली वाला पिसा मसाला डाल लें। लाल मिर्च डाल कर इसे तेल छोड़ने तक भूनें. जब तेल मसाले के उपर तैरने लगे तो इसमें फ़ैंटी हुई दही डाल कर मिला लें। चम्मच से चलाते हुए इसे फिर से तेल छोड़ने तक भूनें. जब मसाला भुन जाए तो इसमें तले हुए बैंगन के टुकडे़ डाल कर मिला लें।
  • तैयार बैंगन करी
  • आपको जितनी गाढी़ तरी पसंद है उसके अनुसार इसमें 1 या 1 1/2 कप पानी डाल लें। नमक मिलाएं और इसमें उबाल आने तक चलाते हुए पकाएं। सब्ज़ी में गरम मसाला डाल कर मिला दें। इसे ढक कर 5-6 मिनट तक पकने दें। इतने समय में मसालों का स्वाद बैंगन में भर जाएगा। गैस बंद करके इसमें आधा हरा धनिया मिला लें। बैंगन करी तैयार है।
  • गरमा-गरम बैंगन करी को बाउल में निकाल कर हरा धनिया डाल कर सजाएं और चपाती, परांठे या चावल के साथ इसे खाएं।
ध्यान दें:
अगर आप इसमें प्याज़ भी डालना चाहते हैं तो इसके लिए 1-2 पयाज़ को बारीक काट लें. तेल गरम करके हींग और जीरा भूनने की बाद प्याज़ को डाल कर गुलाबी होने तक भून लें और फिर उपर बताए अनुसार ही बना लें।
उपर दी सामग्री से 50 मिनट में ये सब्ज़ी 4-5 सदस्यों के लिए तैयार हो जाएगी।

Friday 4 July 2014

कसूंदी - Mango Mustard Sauce


कसूंदी सॉस बेहद स्वादिष्ट व चटपटी होती है। इसे आप पकौड़ों, पिज़्ज़ा, सैंडविच या किसी भी स्नैक्स के साथ खा सकते हैं। आज हम आप को कसूंदी बनाना बताने जा रहे हैं। इसे बनाना बेहद आसान है। कसूंदी बनाने के लिए सामाग्री।
कसूंदी की चटनी
कसूंदी के लिए सामाग्री
आवश्यक सामग्री:
  •     राई (काली सरसों) - 2 टेबल स्पून
  •     पीली सरसों - 2 टेबल स्पून
  •     कच्चे आम - 2 या 300 ग्राम (मीडियम आकार के)
  •     अदरक - 2 इंच लंबा टुकड़ा
  •     हरी मिर्च - 4-5
  •     लाल मिर्च - 1/2 छोटी चम्मच
  •     जीरा - 1 छोटी चम्मच
  •     धनिया पाउडर - 2 छोटी चम्मच
  •     चीनी - 1 छोटी चम्मच
  •     सरसों का तेल - आधा कप
  •     हींग - 1/4 छोटी चम्मच से कम
  •     हल्दी पाउडर - 1 छोटी चम्मच
  •     सिरका - एक चौथाई कप
  •     नमक - 2 छोटी चम्मच (स्वादानुसार)

कसूंदी बनाने की विधि:
  1.  कसूंदी
    तैयार कसूंदी की चटनी
    आम को धोकर छीलिये और गूदा निकाल कर काट लीजिये, राई और पीली सरसों को अच्छी तरह से साफ कर लीजिये, हरी मिर्च के डंठल हटा कर मिर्चों को धो लीजिये और अदरक को छील कर धोकर उसके टुकड़े कर लीजिये।
  2. मिक्सर में राई, पीली सरसों, आम का गूदा, हरी मिर्च, अदरक के टुकड़े, जीरा, धनिया पाउडर, हींग, हल्दी पाउडर व चीनी डालकर बारीक पीस लीजिये और यदि ये मसाले पीसते समय पानी की आवश्यकता लग रही हो तो 1-2 टेबल स्पून पानी मिलाकर सभी मसालों को अच्छी तरह पीस लीजिये।
  3. अब कढ़ाई में तेल गर्म कीजिये और उसमें पिसे हुए मसाले डालकर धीमी गैस पर 3-4 मिनट तक अच्छी तरह भूनिये। जब मसालों से भुनने की महक आने लगे तो गैस बंद कर दीजिये और मसालों के इस मिश्रण में सिरका व नमक मिलाकर इसे किसी कांच के कंटेनर में भर कर धूप में रख दीजिये।
  4. 3-4 दिन बाद जब आप देखें कि कसूंदी के ऊपर तेल तैरने लगा है तो समझ लीजिये कि कसूंदी खाने के लिये तैयार है।
  5. अब इसे आप गरमा गरम पालक या गोभी आलू के पकौड़ों के साथ परोस कर खाइये और बची हुई कसूंदी को फ्रिज में रखकर 6 महिने तक कभी भी खाइये। 
सुझाव:
कसुंदी को कांच के कंटेनर में भरने से पहले उस कंटेनर को उबलते हुए पानी से अच्छी तरह धोकर सुखालें ताकि कसूंदी जल्दी खराब न हो और ज्यादा दिन तक चल सके।

Tuesday 1 July 2014

Tawa Paneer Tikka

स्वादिष्ट पनीर टिक्के के बारे में आपने तो सुना ही होगा, आप चाहें तो इन्हें सुबह या शाम के नाश्ते में या जब भी की कभी आपका मन हो घर पर भी बना कर खा सकते हैं। आज हम आप को पनीर टिक्का बनाना बताने जा रहे हैं-  
  
www.jkhealthworld.com/hindi/पनीर
पनीर टिक्के के लिए आवश्यक सामग्री:

  •     पनीर - 250 ग्राम
  •     दही - 100 ग्राम (आधा कप)
  •     नमक - स्वादानुसार (3/4 छोटी चम्मच)
  •     काली मिर्च - आधी छोटी चम्मच
  •     मक्खन या घी - 2 टेबल स्पून
  •     जीरा पाउडर - 1/2 छोटी चम्मच
  •     अदरक - 1/2 इंच (पेस्ट बना लें)
  •     शिमला मिर्च - 1
  •     टमाटर - 2-3
  •     चाट मसाला - 1 छोटी चम्मच
  •     लाल मिर्च पाउडर - एक चौथाई छोटी चम्मच से कम (यदि आप चाहें)
  •     हरा धनिया - 2 टेबल स्पून (बारीक कटा हुआ)
  •     नीबू - 1 (चार टुकड़े कर लें)
तवा पनीर टिक्का बनाने की विधि:
सबसे पहले पनीर के बड़े-बड़े चौकोर टुकड़े कर लीजिये और दही को फेंट कर उसमें नमक, काली मिर्च, आधा अदरक का पेस्ट व पनीर के टुकड़े मिलाकर आधे घंटे के लिये ढककर रख दीजिये।
उसके बाद दही से पनीर के टुकड़े निकाल कर प्लेट में रख लीजिये और प्लेट को 1-2 घंटे के लिये फ्रिज में रख दीजिये।
अब शिमला मिर्च को धोकर उसके बीज निकाल दीजिये और शिमला मिर्च के पतले-लंबे टुकड़े काट लीजिये। टमाटर को भी धोकर गोल व पतला-पतला काट लीजिये।
अब किसी नॉनस्टिक कढ़ाई या तवे में मक्खन डाल कर गर्म कीजिये और फिर उसमें 6-7 पनीर के टुकड़े डाल कर धीमी गैस पर दोनों तरफ से हल्का ब्राउन होने तक तल कर निकाल लीजिये। पनीर के सभी टुकड़ों को इसी तरह सेक कर प्लेट में निकाल लीजिये।
अब कढ़ाई में जो मक्खन बचा है उसमें जीरा पाउडर, अदरक का पेस्ट व शिमला मिर्च डालिये चमचे से चलाइये और धीमी गैस पर 1 मिनट तक ढककर पकाइये। अब इसमें टमाटर, पनीर के तले हुए टुकड़े, चाट मसाला और लाल मिर्च पाउडर डाल कर सभी को अच्छी तरह मिला लीजिये और करीब 1 मिनट तक लगातार चलाते रहिये।
पनीर टिक्का तैयार है। अब इसे किसी प्लेट में निकाल कर हरे धनिये व नींबू से सजाइये और सुबह या शाम की चाय के साथ या फिर ऎसे ही परोस कर खाइये।

Thursday 15 May 2014

अपच- गर्मियों में अपच से बचने के घरेलु नुस्खें

गर्मियों के मौसम में खट्टे-मीठे मिक्स भोजन करने से पचता है। ऐसे में खाना ठीक से हजम नहीं हो पाता है। गर्मियों में अपच या खाना न पचने पर भारीपन, जी -मचलाना, बैचेनी, वमन आदि सभी समस्याएं पेट गड़बड़ होने पर होती ही है। ऐसे में हमारे खाने-पीने की कुछ चीजों का सेवन सही ढ़ंग से करके इसका उपचार कर सकते हैं।

अपच से बचने के कुछ घरेलु नुस्खें


  • नींबू- अपच होने पर नींबु की फांक पर नमक डालकर गर्म करके चुसने से भोजन सरलता से पच जाता है।
  • अमरूद- अपच या आफरा होने पर खाने के बाद 250 ग्राम अमरूद खाना चाहिए।
  • जीरा- जीरा, सौंठ, सेंधा नमक, पीपल, काली मिर्च,  समान मात्रा में मिलाकर पीसकर उसमें एक चम्मच रोज दिन में तीन बार गर्म पानी से फांकी लें।
  • अनन्नास- अनन्नास की फांक  पर नमक और काली मिर्च डालकर खाएं तो अजीर्ण दूर होता है।
  • पपीता- खाना न पचने पर पपीता खाना अच्छा है। लगातार पीपता के सेवन से यह समस्या दूर होती हैं।
  • गाजर- गाजर के रस में पालक का रस मिलाकर पीने से अपच दूर होती है
  • टमाटर- टमाटर पर काला नमक और काली मिर्च डालकर खाने से अजीर्ण दूर होती है।
  •  मूली- अपच होने पर भोजन के साथ मूली नमक, काली मिर्च डालकर दो माह तक खाएं।
अपच के अन्य घरेलु नुस्खों के लिए क्लिक करें- 
       

Monday 21 April 2014

गर्मियों में इन पांच खाद्य पदार्थों का सेवन 'न' करें

गर्मी के मौसम में कुछ ऐसे पदार्थ हैं जिनका सेवन नहीं करना चाहिए। अप्रैल और मई के महीनों में तापमान सबसे अधिक होता है। यह गर्मी बाहर के तापमान को तो बढ़ाती ही है, साथ ही शरीर में भी गर्मी उत्पन्न करती है जिसके कारण व्यक्ति थकावट और चिड़चिड़ापन महसूस करने लगता है और व्यक्ति अपने आप को एकाग्र नहीं कर पाता और नहीं उसका मन किसी काम में लग पाता है। गर्मी से राहत के लिए अधिक मात्रा में पानी पीना आवश्यक है क्योंकि गर्मी में पसीने के रुप में हमारे शरीर से पानी निकलता रहता है, पानी की उस कमी को पूरा करने के लिए हमे अधिक पानी पीना चाहिए। पानी पीने के साथ-साथ गर्मियों में स्वस्थ रहने के लिए सही खाद्य पदार्थों का सेवन भी महत्वपूर्ण है। गलत खाद्य पदार्थों का सेवन भोजन प्रणाली पर गलत असर डाल सकता है। गर्मी के मौसम में हमे इन 5 खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए-
गर्मी का भोजन
1. मसाले दार भोजन : गर्मी के दिनों में अत्यधिक मसालेदार भोजन के सेवन से बचना चाहिए। ऐसे भोजन शरीर में गर्मी का संचार करके चयापचय की दर को बढ़ा देता है।
2. मांसाहार : मछली, चिकन, मांस, समुद्री भोजन और अत्यधिक ग्रेवी वाले व्यंजन नहीं खाना चाहिए। इससे व्यक्ति को और अधिक पसीना आता है और पाचन की समस्याएं भी हो जाती हैं। ज्यादा मसालेदार खाने के सेवन से डायरिया भी हो सकता है।
3. ऑइली जंक फूड : इस मौसम में मांस, बर्गर, डीप फ्राइड व्यंजन और अन्य तेल वाली खाद्य सामग्री के सेवन से बचना चाहिए।
4. चाय और कॉफी : इन पेय पदार्थों से निश्चित रूप से परहेज करना चाहिए। कैफीन और अन्य पेय पदार्थ वास्तव में आपके शरीर में गर्मी बढ़ाने के साथ शरीर का निर्जलीकरण करते हैं।
5. सॉस से बचें : गर्मी के मौसम में सॉस का अधिक सेवन भी बहुत नुकसान दायक सकता है। उसमें तकरीबन 350 कैलोरी होती है, जो आपको सुस्त बना सकती है। कुछ सॉस में बहुत ज्यादा नमक और MSG (मोनोसोडियम ग्लूटामेंट) होता है जो किसी भी दृष्टी से लाभकारी नहीं होता।
गर्मी के मौसम में पौष्टिक और प्राकृतिक भोजन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त छाछ, लस्सी, नींबू-पानी, शिकंजी और आम आदि का सेवन करना चाहिए।

Sunday 20 April 2014

गर्मी के मौसम में कूल-कूल रखता है अंगूर

गर्मी का मौसम में अंगूर का सेवन करना बहुत लाभकारी माना गया है क्योंकि यह हमे न केवल शक्ति देता है  बल्कि हमे गर्मी में कूल भी रखता है। इन दिनों अंगूर बड़ी मात्रा में पाया जाता है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह एक शक्ति एवं सौन्दर्यवर्धक फल है। इसमें मां के दूध के समान पोषक तत्व पाए जाते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से अंगूर के अनेक फायदे हैं-
अंगूर के दानों में पॉली-फेनोलिक फाइटोकेमिकल कंपाउंड पाए जाते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट्स होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को न केवल कैंसर से, बल्कि कोरोनरी हार्ट डिजीज, नर्व डिजीज, अल्जाइमर व वाइरल तथा फंगल इन्फेक्शन से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं।
grapes is a best fruit in summer season अंगूर में सीमित मात्रा में कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, सोडियम, फाइबर, विटामिन ए, सी, ई व के, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीशियम, मैंग्नीज, जिंक और आयरन भी मिलता है।
शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्राव होने पर अंगूर के एक गिलास ज्यूस में दो चम्मच शहद मिलाकर पिलाने पर रक्त की कमी दूर होती है जिसकी रक्तस्राव के समय क्षति हुई है।
अंगूर का पल्प ग्लूकोज व शर्करा युक्त होता है। विटामिन- ए पर्याप्त मात्रा में होने से अंगूर का सेवन भूख बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है,  आंखों, बालों एवं त्वचा को चमकदार बनाता है।
हार्ट-अटैक से बचने के लिए काले अंगूर का रस एस्प्रिन की गोली के समान कारगर है। एस्प्रिन खून के थक्के नहीं बनने देती है। काले अंगूर के रस में फ्लेवोनाइडस नामक तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है।
अंगूर फोडे-फुन्सियों एवं मुंहासों को सूखाने में सहायता करता है। अंगूर के रस के गरारे करने से मुंह के घावों एवं छालों में राहत मिलती है।
एनीमिया में अंगूर से बढ़कर कोई दवा नहीं है। उल्टी आने व जी मिचलाने पर अंगूर पर थोड़ा नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें।
पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25 अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए।
भोजन के आधा घंटे बाद अंगूर का रस पीने से खून बढ़ता है और कुछ ही दिनों में पेट फूलना, बदहजमी आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

गर्मी के मौसन में लाभकाकरी अन्य फलों के बारे में जानने के लिए क्लिक करें-

Thursday 17 April 2014

पेट और जांघों की चर्बी के लिए योगासन

अगर आप पेट और जांघ की चर्बी से परेशान हैं तो आप के लिए फायदेमंद है नौकासन
आज कल लोग अपनी बढ़ती तोंद या जांघों पर जमे चर्बी से बहुत परेशान है। अगर आप भी इस समस्या से ग्रस्त है और अपने आप को इससे छूटकारा पाना चाहते हैं तो आप रोजाना योगाभ्यास करें। चर्बी को कम करने के लिए सबसे अच्छा आसन है नौकासन।
इस आसन के अभ्यास के दौरान शरीर का आकार नौका जैसा हो जाता है इसलिए इसे नौकासन कहते हैं। यह शरीर को लचीला बनाता है, पेट और शरीर के निचले हिस्से पर जमा फैट्स को घटाता है और एब्स की टोनिंग करता है।
नौकासन की सही विधि
- इसे करने के लिए पहले मैट पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं।
- अब सांस लेते हुए दोनों पैर ऊपर उठाएंऔर दोनों हाथों से पैर के पंजे छूने की कोशिश करें।
- इस स्थिति में शरीर का अग्रभाग और पैर, दोनों ही ऊपर की ओर होने चाहिए।
- कुछ सेकंड इस अवस्था में रहने के बाद सांस छोड़ते हुए लेट जाएं।
- कुछ सेकंड बाद इस प्रक्रिया को दोहराएं।
करीब 15 सेकंड के गैप पर इस प्रक्रिया को पांच बार दोहराएं और धीरे-धीरे इसकी संख्या बढ़ाते जाएं। इसे अधिकतम 30 बार कर सकते हैं। रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्या या बीपी के मरीज इस आसन को डॉक्टरी परामर्श के बाद ही करें।




Monday 14 April 2014

दिल को स्वस्थ रखेगा अलसी का तेल


अलसी में शरीर को फायदा पहुंचाने वाला ओमेगा थ्री तत्व अधिक पाया जाने के साथ ही दिल को नुकसान पहुंचाने वाले ओमेगा सिक्स के स्तर को भी नियंत्रित करने में सक्षम होता है।
oil of alasi is better for health
Linseed oil (अलीस का तेल)
अलसी के तेल में ओमेगा-3 अधिक होता है। ये अन्य तेलों से मिलने वाले ओमेगा सिक्स के स्तर को बराबर करता है। कुछ लोग खाने में अलसी का तेल दिन में एक बार जरूर इस्तेमाल करते हैं। बाजार में मिलने वाले तेल में फैट, ओमेगा थ्री और सिक्स के स्तर को जरूर देखना चाहिए क्योंकि इसमें पूफा (पीयूएफए-पॉली अनसेच्युरेटेड फैटी एसिड) और मूफा (एमयूएफए-मोनो सेच्युरेटेड फैटी एसिड) की मात्रा पाया जाता है। इसके बाद तय करें कि कौन सा खाद्य तेल आपके लिए सही रहेगा। प्रो. मिश्रा के अनुसार जो खाद्य तेल इस्तेमाल किया जाए उसमें सेच्युरेटेड फैट की मात्रा 10 फीसदी से कम होनी चाहिए। इसके अलावा पूफा-मूफा का स्तर चार अनुपात एक से अधिक नहीं होना चाहिए। यही नहीं, खाद्य तेल में ओमेगा थ्री और सिक्स का स्तर एक अनुपात चार से अधिक नहीं होना चाहिए। प्रो. मिश्रा के अनुसार खाद्य तेलों का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। यदि सुबह सरसों का तेल का इस्तेमाल किया गया है तो शाम को किसी और तेल से खाना पकाना चाहिए। इस तरह खाने में अलसी तेल का उपयोग करने से दिल को होने वाले खतरे से बचा जा सकता है। दिल की बिमारी से बचने के लिए अपने भोजन में अलसी का तेल जरूर प्रयोग करें।

Tuesday 8 April 2014

आलू का कुछ खास इस्तेमाल


खाने में आलू न हो खाने का मजा नहीं आता। किसी-न-किसी रूप में आलू हमारे भोजन में शामिल हो ही जाता है। कभी सब्‍जी के रूप, तो कभी चिप्स या फ्रेंच फ्राइज के रूप में। आलू न सिर्फ खाने में, बल्कि साफ-सफाई के साथ घर के अन्‍य कामों में भी कारगर होता है।
जंग हटाए मिनटों में
आलू में ऑक्‍जेलिक एसिड होता है। इसलिए आप इसका यूज लोहे के बर्तन से जंग हटाने या शीशे आदि की सफाई के लिए भी कर सकते हैं। यह लोहे के बर्तन से जंग को काटकर उसे बिल्‍कुल साफ कर देता है। अगर धातु के सामान पर जंग का निशान ज्यादा गहरा हो, तो आलू पर नमक लगाकर रगड़ा जा सकता है। लेकिन इस विधि को आजमाने से पहले धातु के एक छोटे स्थान पर रगड़कर देख लें कि कहीं उससे धातु पर कोई निशान तो नहीं पड़ रहा।
शीशा चमकाने के लिए भी आलू का प्रयोग मुफीद है। पहले आलू को कांच पर रगड़ें, इसके बाद साफ कपड़े या कागज से कांच को पोंछ दें।
आलू का ब्यूटी फंडा
आलू का रस चेहरे के दाग-धब्बे और झुर्रियों को हटाने के साथ त्‍वचा की रंगत को भी निखारता है। इसमें मौजूद पोटैशियम, सल्फर, फास्फोरस और कैल्शियम की मात्रा त्वचा की सफाई में मदद करती है।
त्वचा पर नेचुरल ग्‍लो पाना चाहती हैं, तो हफ्ते में एक बार आलू का फेस मास्क लगाएं। कच्चे आलू को कद्दूकस कर मोटा पेस्ट बनाएं और पूरे चेहरे पर लगाएं। इसे चेहरे पर एक घंटे तक लगा कर रखें, इसके बाद चेहरा धो लें।
आलू में एंटी-इंफ्लेमेंट्री यानी सूजन दूर करने वाले तत्व पाए जाते हैं। अगर आंखें सूज गई हों, तो सूजन दूर करने के लिए खीरे के बजाय आप कटे हुए आलू के स्लाइसेज भी यूज कर सकते हैं।
हल्दी के इस्तेमाल से हाथ पीले दिख रहे हों या चुकंदर काटते हुए हाथ लाल हो जाएं, तो उन पर कटे हुए आलू रगड़कर हाथ साफ किए जा सकते हैं।

Monday 31 March 2014

डाइट ड्रिंक्स है, महिलाओं की सेहत के लिए बड़ा खतरा

ऐसी महिलाएं जो कैलोरी से बचने के लिए डाइट ड्रिंक्स का अधिक सेवन करती हैं उन्हे सावधान रहने के जरूरत है क्योंकि इससे कई रोग हो सकते हैं। सावधान हो जाएं।  हाल में हुए एक शोध के अनुसार डाइट लेबल
से बिकने वाले ड्रिंक्स के सेवन से ‌महिलाओं को उम्र बढ़ने के साथ-साथ डायबिटीज व दिल के रोगों का खतरा अधिक होता जा रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ लोवा के शोधकर्ताओं ने 60,000 महिलाओं के खानपान से जुड़े अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। शोधकर्ताओं का मानना है कि दिन में दो बार डाइट ड्रिंक पीने से महिलाओं को न केवल डायबिटीज बल्कि आगे चलकर दिल के दौरे व स्ट्रोक का रिस्क भी 30 प्रतिशत बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने माना कि डाइट ड्रिंक में इस्तेमाल होने वाला आर्टिफिशियल स्वीटनर शरीर में शक्कर की इच्छा को अधिक बढ़ाता है जो आग चलकर मोटापा और फिर मधुमेह के खतरे को बढ़ाता है।
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Thursday 27 March 2014

कामेच्छा बढ़ाने के लिए फलों का सेवन

दिन भर की थकान, गलत खानपान और जीवनशैली से कारन तनाव का असर अगर बिस्तर पर भी नजर आता है और सेक्स के प्रति इच्छा में कमी से आप परेशान हैं तो आप को आपनी डाइट में इन फलों को लेना चाहिए। ऐसे कई फल हैं जिनके सेवन से न सिर्फ शरीर को  पौष्टिक तत्व मिलते हैं बल्कि कामेच्छा भी बढ़ती है। जानिए सेक्स इच्छा को बढ़ाने वाले और सेक्स लाइफ में जान डालने वाले फलों के नाम और उसमें पाए जाने वाले तत्व।
केलाकेले में ब्रोमेलिन एंजाइम होता है जो पुरुषों में कामेच्छा बढ़ाने और नपुंसकता संबंधी दोषों को दूर
करने में मददगार हो सकता है। इसमें पोटैशियम और रिबोफ्लेविन भी अच्छी मात्रा में होता है जो शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाता है और सेक्स ड्राइव लंबे समय तक बरकरार रहती है।
एवोकैडो
एवोकैडो यानी रुचिरा नामक पहाड़ी फल के सेवन से कामेच्छा बढ़ाने में मदद मिलती है। इसमें फोलिक एसिड, प्रोटीन, विटामिन बी 6 और पोटैशियम अच्छी मात्रा में है जो सेक्स पावर बढ़ाने और ऊर्जा देने में मददगार है। इसका नियमित सेवन महिलाओं में फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए भी फायदेमंद है।
आम
आम का मौसम कुछ ही समय बाद शुरू हो जाएगा। आम में अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन ई है जो सेक्स ड्राइव बढ़ाने में मददगार है।




Wednesday 26 March 2014

केले के है अनेक फायदे

अगर आप केले के सेवन नहीं करते हैं तो आप को केले का सेवन करना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि इसमें अनेक पोषक तत्व पाए जाते हैं।
केला में विटामिन ए, बी, सी और ई, मिनिरल्स, पोटैशियम, जिंक, आयरन आदि कई पोषक तत्व हैं जो औपको सेहत से जुड़े ये बड़े फायदे देंगे।
मूड बनाता है केला
केला में ट्राइपोफन नामक तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो शरीर में सेरोटोनिन बीपी नियंत्रित करता है
केले में पोटैशियम अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो रक्त संचार ठीक रखता है और सोडियम नियंत्रित रखता है। इससे ब्लड प्रेशर निय‌िंत्रित रहता है।
तेज दिमाग के लिए
केले में विटामिन "बी" अच्छी मात्रा में होता है। यह नर्वस सिस्टम को ठीक रखता है और याददाश्त तेज करता है। ऐसे में तेज दिमाग के लिए नियमित रूप से केले का सेवन कर सकते हैं।
ताकत बढ़ाता है केला
केले में प्राकृतिक तौर पर शुगर है। शारीरिक श्रम या कसरत करने के बाद केले के सेवन से शरीर में इसका स्तर सामान्य होता है और तुरंत ऊर्जा मिलती है। थकान महसूस करने पर इसके सेवन से आपको ताकत व ताजगी मिलेगी।की मात्रा बढ़ाता है जिससे मूड अच्छा रहता है। स्ट्रेस के दौरान इसका सेवन काफी लाभकारी डाइट है।

अन्य फलों के अधिक फायदे के बारे में जानने के लिए क्लिक करें-

Tuesday 25 March 2014

सूर्य नमस्कार

नियमित रूप से सूर्य नमस्कार आसन का अभ्यास करने से शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए चौड़ी छाती के लिए बेहद मददगार है। सूर्य नमस्कार के दौरान 12 आसन  किए जाते हैं। सुर्य नमस्कार आसन का अभ्यास।
(1) दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों।
(2) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाएं और हुए ऊपर की ओर तानकर भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं।
(3) अब श्वास धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें।
(4) श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। गर्दन को अब पीछे की ओर झुकाएं। इस स्थिति में कुछ समय रुकें।
(5) अब श्वास को धीरे-धीरे छोड़ते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं जिससे दोनों पैरों की एड़ियां मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें।
(6) अब श्वास भरते हुए दंडवत लेट जाएं।
(7) अब सीने से ऊपर के भाग को ऊपर की ओर उठाएं जिससे शरीर में खिंचाव हो।
(8) फिर पीठ के हिस्से को ऊपर उठाएं। सिर धुका हुआ हो और शरीर का आकार पर्वत के समान हो।
(9) अब पुनः चौथी प्रक्रिया को दोहराएं यानी बाएं पैर को पीछे ले जाएं।
(10) अब तीसरी स्थिति को दोहराएं यानी श्वास धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें।
(11) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाएं और हुए ऊपर की ओर तानकर भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं।
(12) अब फिर से पहली स्थिति में आ जाएं।
अन्य योगासन के लिए क्लिक करें-
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Monday 24 March 2014

हष्ट-पुष्ट शरीर और चौड़ी छाती के लिए लाभकारी है- योगाभ्यास

यदि आप चौड़ी और मजबूत छाती की इच्छा रखते हैं तो आप को योगाभ्यास करना चाहिए। प्राचीन काल से ही पुरुषों की ऐसी कद-काठी उन्हें हमेशा से आकर्षक बनाए रखती है। यदि आप भी पाना चहते हैं आकर्षक,  हष्ट-पुष्ट शरीर तो आप करें योगा का अभ्यास।
त्रिकोणासन
इस आसन से सीने की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और शरीर लचीला बनता है। प्रतिदिन इसका तीन बार अभ्यास करने से छाती चौड़ी होती है।
दोनों पैरों के बीच तीन ‌फुट का अंतर रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथ पैरों के समानांतर सीधे फैलाएं।
अब दाएं पैर के पंजे को दाएं हाथ से आसे छूने का प्रयास करें कि बांया हाथ आसमान की ओर हो और उससे 90
डिग्री का कोण बनें। 15 से 20 सेकंड बाद सीधे हो जाएं। अब यही प्रक्रिया बाएं हाथ और बाएं पैर से दोहराएं।
ताड़ासन
इसके नियमित अभ्यास से छाती चौड़ी होती है, बाजू मजबूत होते हैं और शरीर सुडौल होते हैं। प्रतिदिन इस आसन का चार से पांच बार अभ्यास फायदेमंद है।इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को ऊपर की और ले जाएं, बाजू कान से सटें और हाथों की उंगलियां छत की ओर हों और नमस्कार की मुद्रा में जोड़ लें। अब सांस खींचते हुए शरीर को ऊपर उठाएं व कुछ क्षण बाद सामान्य हो जाएं। इसी तरह शरीर को पहले दाईं ओर झुकाएं व फिर सामान्य हों जाएं और बाईं ओर झुकाएं।


Friday 21 March 2014

अंडरआर्म की डार्कनेस के लिए घरेलू उपाय


आज के लाइफस्टाइल में लड़कियां स्लीवलेस कपड़े पहना बेहद पसंदकरती हैं, लेकिन कई बार लड़कियों को अंडरआर्म की डार्कनेस के कारण अपने लाइफस्टाइल में ऐसा करने से परहेज करना पड़ता है। इसकी वजह से शादी-पार्टी में उनको अपना मन मार कर फुल स्लिव कपड़े पहनने पड़ते हैं। यहां हम लड़कियों को अंडरआर्म की डार्कनेस दूर करने के कुछ घरेलू उपाय बता रहे हैं जिसके उपयोग करने से अंडरआर्म की डार्कनेस दूर होगी और आप को अपना मन पसंद कपड़े पहने सकेंगे।

नींबू


नीबू के छिलके से अंडरआर्म की डार्कनेस दूर होती है। 10 से 15 मिनट तक अंडरआर्म पर नींबू के छिलके से मसाज करने और उसके बाद ठंडे पानी से धोने से अंडरआर्म की डार्कनेस दूर होती है। इसका उपयोग 2-3 दिन तक लगातार करने से आपको फर्क खुद महसूस होने लगेगा। आप नींबू के साथ चीनी मिक्‍स कर भी मसाज कर सकती हैं। 
चीनी
डार्क रंग की स्किन से  छुटकारा पाने के लिये  चीनी और पानी का यूज करें। इसके मिश्रण को अंडरआर्म पर लगाएं। आप चाहें तो दिन में दो बार इस मिश्रण को अंडरआर्म पर लगा सकती हैं। इससे अंडरआर्म की डार्कनेस दूर होती है और स्किन में चमक आती है।


Thursday 20 March 2014

वजन घटाने के उपयोगी उपाय


फिट रहने के लिए सबसे आसान उपाय है अधिक से अधिक पैदल चलना और एलिवेटर की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करना। दिन भर में सीढ़ियों से पांच बार उतरने और पांच बार चढ़ने से काफी लाभदायक होता है।
शारीरिक सक्रियता बढ़ाने के लिए कोई आवश्यक नहीं है कि आप घंटों जिम जाकर एक्सरसाईज करें।
व्यायाम
हैल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि घर की सीढ़ियां चढ़ने और उतरने से शरीर की कैलोरीज काफी हद तक बर्न होती है जो मोटापे को कम करने में सहयक होता है। इसमें न तो पैसे लगते हैं और न कोई परेशानी है। इसमें ज्यादा वक्त भी नहीं लगता और आपकी सांसें भी नहीं फूलती।
दूसरी आसान उपाय है फर्श की ओर चेहरा करके और बाहों को एल (L) आकार में बांधिए, पांव सीधे रखते हुए नितंब और शरीर को एक सीध में लाइए। फिर दंड लगाइए। यह शारीरिक सक्रियता बढ़ाने के लिए सबसे बेहतर व्यायम मानी गई है। यदि इसे हफ्ते में तीन बार 30 सेकेंड के लिए किया जाए, तो इससे काफी लाभ मिलेता है।

Wednesday 19 March 2014

चाय- चाय क्या है और क्या है इसका लाभ

चाय एक प्रकार के पेड़ की पत्ती होती है। यह बहुत प्रसिद्ध है। चाय नियमित पीने के लिए नहीं है। यह आवश्यकतानुसार पीने पर लाभदायक होती है। यह ठंडी प्रकृति वालों के लिए हितकारी है। भूखे पेट चाय पीने से पाचन शक्ति खराब होती है तथा सोते समय चाय पीने से नींद कम आती है। इससे स्नायुविक दर्द (न्यूरेल्जिया) और रक्तचाप बढ़ता है। अत: ऐसे रोगियों के लिए चाय हानिकारक होती है।
यद्यपि चाय को दवा के रूप में विभिन्न कष्टों में प्रयोग करके लाभान्वित हो सकते हैं, किन्तु फिर भी इसे दैनिक पेय के रूप में प्रयोग करने से हानियां होती हैं। चाय आजकल संसार भर में घर-घर आतिथ्य सत्कार का प्रतीक है। घर, प्रवास, खेलकूद के मैदानों, महफिलों, सेमिनारों, राजनीतिक बैठक या सम्मेलनों, कवि सम्मेलन या मुशायरा आदि किसी भी आयोजनों में देखें। सभी जगहों पर चाय का प्रवेश हो चुका है।

पनीर की भुर्जी

पनीर की भुर्जी का स्वाद लाजबाव होता है और इसे बनाना भी बेहद आसान है। इसे आप कभी भी मिनटों में बना कर खा सकते हैं। तो आइये आज पनीर भुर्जी बनाएं।
आवश्यक सामग्री:

  •     पनीर - 250 ग्राम
  •     घी या तेल - 1 टेबल स्पून
  •     जीरा - एक चौथाइ छोटी चम्मच
  •     हल्दी पाउडर - 2-3 चुटकी
  •     हरी मिर्च - 1-2 (बारीक कतर लीजिये)
  •     अदरक - 1 इंच लंबा टुकड़ा (कद्दूकस किया हुआ)
  •     मटर - आधी कटोरी (छिली हुई)
  •     शिमला मिर्च - 1 छोटी (बारीक कटी हुई)
  •     टमाटर - 1 (छोटा कटा हुआ)
  •     गरम मसाला - 1/6 छोटी चम्मच
  •     नमक - स्वादानुसार (आधी छोटी चम्मच)
  •     हरा धनिया - 1 टेबल स्पून (बारीक कतरा हुआ)

विधि:
पनीर की भुर्जी बनाने के लिए सबसे पहले पनीर को कद्दूकस करके रखे लें। फिर सारी सब्जियों को धोकर काट लें।
उसके बाद कढ़ाई में घी गर्म करें और उसमें जीरा डाल कर भून लें। फिर उसमें हल्दी पाउडर, हरी मिर्च, अदरक, मटर के दाने, शिमला मिर्च और टमाटर डाल कर अच्छी तरह भूनें। इसके बाद पनीर, नमक व गरम मसाला डाल कर सबको अच्छी तरह मिला लें।पनीर भुर्जी तैयार है। अब इसे किसी प्याले में निकाल कर हरे धनिये से सजाइये और गरमा गरम पराठे, चपाती या नान के साथ परोस कर खाइये।

Monday 17 March 2014

हेल्थ टिप्स- पहला सुख निरोगी काया


अगर आराम की नींद सोना चाहते हैं तो सोते समय 'चिंता' न करें और भगवान का 'चिंतन' करें।
पाचन शक्ति ठीक रखने के लिए सही समय पर भोजन करें और भोजन को अच्छी तरह चबा-चबाकर खाएं।
अगर यौनशक्ति ठीक रखनी हो तो कामुक चिंतन न किया करें और सप्ताह में एक से अधिक बार सहवास न किया करें।
अगर आप अधिक अण्डा, मांस खाते हैं और शराब पीते हैं तो अण्डा, मांस खाने से शरीर मोटा-तगड़ा जरूर हो सकता है पर कुछ बीमारियां भी इसी से पैदा होती हैं। शराब पीने से आनंद नहीं आता, बेहोशी आती है और बीमारियां होती हैं।
भोजन करते समय और सोते समय किसी भी प्रकार की चिंता, क्रोध या शोक नहीं करना चाहिए। भोजन से पहले हाथ और सोने से पहले पैर धोना तथा दोनों वक्त मुंह साफ करना हितकारी होता है।
यदि आप मुफ्त में स्वस्थ और चुस्त बने रहना चाहते हैं तो आपको तीन काम करना चाहिए। पहला तो प्रातः जल्दी उठकर वायु सेवन के लिए लम्बी सैर के लिए जाना और दूसरा ठीक वक्त पर खूब अच्छी तरह चबा-चबाकर खाना तथा तीसरा दोनों वक्त शौच अवश्य जाना।
बीमारी की अवस्था में, बीमारी से मुक्त होने के बाद, भोजन करने के बाद, परिश्रम या यात्रा से थके होने पर प्रातःकाल तथा सूर्यास्त के समय और उपवास करते समय विषय भोग करना बहुत हानिकारक होता है।
यदि आप सुख चाहते हैं तो दुःख देने वाला काम न करें, यदि आप आनंद चाहते हैं तो स्वास्थ्य की रक्षा करें। यदि आप स्वास्थ्य चाहते हैं तो व्यायाम और पथ्य का सेवन करें। संसार के सब सुख स्वस्थ व्यक्ति ही भोग सकता है। कहा भी गया है- पहला सुख निरोगी काया।
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Friday 14 March 2014

गर्दन की चर्बी हटाने के लिए योगाभ्यास

उम्र बढ़ने के साथ गर्दन की त्वचा ढीली पड़ने लगती है जो नैचुरल है लेकिन मोटापे बढ़ने के कारण भी गर्दन की चर्बी बढ़ जाती है जिसकी वजह से आप बुढ़े दिखने लगते हैं और चेहरे की सुंदरता नष्ट होने लगती है। ऐसे में खुबसुरत दिखने के लिए योग का अभ्यास आप के लिए बहुत लाभ दायक है-
ब्रह्म मुद्रा- योग में इसका स्थान बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। शाम को प्रार्थन करते समय इस मुद्रासन को किया जाता रहा है, क्योंकि इस आसन में गर्दन को चारों दिशा में घुमाया जाता है।
अभ्यास के लिए पद्मासन, सिद्धासन या वज्रासन में बैठकर कमर तथा गर्दन को सीधा रखते हुए गर्दन को धीरे-धीरे दाईं ओर ले जाएं। कुछ सेकंड दाईं ओर रुकें, उसके बाद गर्दन को धीरे-धीरे बाईं ओर ले जाएं। कुछ सेकंड तक बाईं ओर रुककर फिर दाईं ओर ले जाएं, फिर वापस आने के बाद गर्दन को ऊपर की ओर ले जाएं। उसके बाद नीचे की तरफ ले जाएं। फिर गर्दन को क्लॉकवाइज और एंटीक्लॉकवाइज घुमाएं। इस तरह यह एक चक्र पूरा हुआ। अपनी सुविधानुसार इसे 4 से 5 चक्रों में करे। इससे गर्दन की अधिक चर्बी कम होती है और आप सुंदर दिखते हैं।
सावधानियां- जिन्हें सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस या थॉइराइड की समस्या है वे ठोड़ी को ऊपर की ओर दबाएं। गर्दन को नीचे की ओर ले जाते समय कंधे न झुकाएं। कमर, गर्दन और कंधे सीधे रखें। गर्दन या गले में कोई गंभीर रोग हो तो योग चिकित्सक की सलाह से ही यह मुद्रासन करें।
लाभ- जिन लोगों को सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, थॉइराइड ग्लांट्स की शिकायत है उनके लिए यह आसन लाभदायक है। इससे गर्दन की मांसपेशियां लचीली तथा मजबूत होती हैं। आध्यात्मिक दृष्टि से भी यह आसन लाभदायक है। आलस्य भी कम होता जाता है तथा बदलते मौसम के सर्दी-जुकाम और खांसी से छुटकारा भी मिलता है।

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Wednesday 12 March 2014

तोंद कम करने के सरल उपाय


अनियमित और मसालेदार भोजन के अतिरिक्त आरामदायक रहन-सहन के कारण तोंद एक आम समस्या बन गई है जो डायबिटीज और हार्टअटैक जैसे रोग का कारण बन गया है। तोंद कई अन्य रोगों को भी जन्म देती है जिसकी वजह से व्यक्ति शारीरिक रूप से सभी अच्छा फिल नहीं कर पाता। मोटापे के दौरान कमर और पेट के आसपास इकट्ठा हुई अतिरिक्त चर्बी से किडनी और मूत्राशय में भी परेशानी आने लगती है। इससे रीढ़ की हड्डी पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है जिससे कमर दर्द और साइड दर्द होता रहता है। अगर आप तोंद से छुटकारा पाकर फिर से उसे पेट बनाने की सोच रहे हैं तो आप इन टीप्स को अपने। इन में से किसी भी एक उपाय को नियमित 1 माह तक करने से लाभ नजर आएगा।
fatness
Obesity
डाइट पर नियंत्रण : यह बहुत जरूरी है लेकिन कुछ लोगों के लिए यह बहुत कठिन टॉस्क है तो वे मानस‌िक उपाय करें। जब उनके सामने फैटी डाइट हो तो वे उससे होने वाले नुकसान के बारे में सोचें और अपनी तोंद को देंखे।
ओवर इटिंग से बचना जरूरी है। कोई भी बहाना न बनाएं। खुद के साथ न्याय करें।
योगा टिप्स : प्रतिदिन अंग संचालन करें। सावधान की मुद्रा में खड़े रहकर दोनों हाथों की हथेलियों को कमर पर रखें फिर कमर को क्लॉकवाइज और एंटी-क्लॉकवाइज 10-10 बार घुमाएं।
नौकासन करें : नियमित रूप से यह आसन न सिर्फ पेट की चर्बी कम करने में मददगार है बल्कि शरीर को
लचीला बनाने से लेकर पाचन संबंधी समस्याओं में यह काफी फायदेमंद साबित हुआ है।

Tuesday 4 March 2014

महिलाएं हो जाती हैं मोटी

महिलाओं में मोटापे की परेशानी। वैसे तो मोटापा स्त्री-पुरुष दोनों में होता है लेकिन आज-कल महिलाओं में यह ज्‍यादा देखने को मिलता है। विशेषज्ञों के अनुसार महिलाओं में मोटापा, न केवल गलत
खान-पान की आदत से होता है, बल्कि मासिक धर्म की अनियमितता से भी होता है। मोटापा कम करने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि महिलाओं में मोटापा बढ़ने का क्‍या कारण है और
इसको किस तरह कम किया जा सकता है। अगर आप भी महिला हैं, और बढ़ते वजन से परेशान हैं, तो इसे पढ़े। किस-किस जगह आता है मोटापा-
जांघे- थाई का स्‍थान सबसे पहले बढ़ता है, क्‍योंकि जबमासिक धर्म में अवरोध उत्पन्न होता है तो जांघे मोटी होने लगती हैं और इतनी मोटी हो जाती हैं कि चलने फिरने में भी परेशानी आने लगती है।
पेट- पेट का बढ़ना आमतौर पर शौच और पीरियड पर ही निर्भर करता है और दर्द भी रहने लगता है। इससे भूख कम हो जाती है और गैस बनने लगती है। साथ ही पेट भारी रहने लगता है।
कमर- लंबे समय तक मोटापा कमर पर ही दिखाई देता है। फिर शरीर फैलने लगता है और बढ़े हुए वजन की वजह से घुटनों पर असर पड़ता है और वह दर्द करने लगता है।
छाती और पीठ- छाती और पीठ पर टाइट कपड़े पहनने से यह बढ़ता है। मोटापा मिटाने का मूल मंत्र इनपुट कम आउटपुट ज्‍यादा- इनपुट कम करें, आउटपुट बढ़ाएं यानी खाने में ऐसे पदार्थों का
इस्‍मेमाल करें, जो आउटपुट बढ़ाते हैं। फल निष्‍कासन को तेज करते हैं जैसे नींबू पानी, गर्म पानी, छाछ, गुनगुना आंवला रस या कोई फल जैसे पपीता, अंगूर, अनार, संतरा, मौसमी आम या सब्‍जियां
लौकी, पत्‍तागोभी, फूलगोभी और बैगन का प्रयोग करें।
योग- मोटापे को कम करने के लिए योग बहुत ही बेहतर उपाय है। योग में चक्‍की संचालन, साइकलिंग, धनुरासन और अश्‍वासन मुख्‍य है।
मासज- मसाज पूरे शरीर के खून को सर्कुलेट करने में मदद करती है। इसके साथ ही मसाज मोटापे को कम करने का भी काम आसान करती है।
सूर्य स्‍नान- इससे जमा हुआ फैट बाहर निकलता है, कैल्शियम डी-1, डी-2, डी-3 की पूर्ती करता है। इसलिए 30 से 50 मिनट सूर्य स्‍नाना करना चाहिये। यह मोटापा कम करता है।
मोटापा बढ़ाने वाला तत्‍व- केला, अरबी, भिंडी, मैदा, मिठाइयां, सॉस, लंबे समय तक बैठना, दिन में सोना और बार बार खाना अधिक मोटापा बढ़ाता है। गरिष्‍ट और भारी भोजन शरीर में लंबे समय तक
रुकता है। क्‍या करें-
1.दिनभर गर्म पानी पीने की उपेक्षा सूर्य की रोशनी में रखा हुआ पानी पीना फायदेमंद है।
2. नीबू को बार-बार गर्म पानी में डाल कर न पिंए, सादे पानी से लें। गर्म पानी से कभी कभी ले सकते हैं पर इससे कमजोरी आने लगती है।
3. चाय के साथ नमकीन, ब्रेड और बिस्‍कुट नहीं लेना चाहिये। सिंपल चाय पिंए और चाय पीने के 10 मिनट बाद पानी पींए, मोटापा कम होगा।
4. पेट में जमने वाली वस्‍तु जैसे चॉक्‍लेट, टॉफी, ब्रेड, बिस्‍कुट आदी से परहेज करें। इन्‍हें बार-बार नहीं खाएं।

Monday 3 March 2014

स्वास्थ्य रहने के लिए कुछ अच्छी आदतें

  1. अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलती रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें।
  2. मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें।
  3. कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एयरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें। अगर किसी भी चीज के लिए
  4. वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े।
  5. 45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डॉक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू  जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।
स्वास्थ्य से संबंधित अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-
योगासन
प्राणायाम
डाईट

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