सैकड़ों बीमारियों की जड़ पेट के कीडे़

इस सम्पूर्ण संसार में मनुष्य का शरीर सर्वश्रेष्ठ है। इसलिये हर तरह से हमें इसकी रक्षा करनी चाहिये। but, मनुष्य अपनी क्षणिक मानसिक तृप्ति के लिये तरह तरह के सडे़-गले भोजन जो body के लिये नुक्सान दायक हैं, खाता होता है। इससे शरीर में बहुत से प्रकार के कीडे़ उत्पन्न हो जाते हैं और यही शरीर की Mostly बीमारियों के जनक बनते हैं। ये
एलोपैथिक चिकित्सा के अनुसार अमाशय के कीड़े खान-पान की अनियमितता के वजह उत्पन्न होते हैं,जो 6 प्रकार के होते हैं। 1- राउण्ड वर्म 2- पिन वर्म 3- हुक वर्म 5-व्हिप वर्म 6-गिनी वर्म आदि प्रकार के कीडे़ जन्म लेते हैं।
कीडे़ क्यों उत्पन्न होते हैं बासी और मैदे की बनी चीजें अधिकता से खाने, अधिक मीठा गुड़-चीनी अधिकता से खाने, दूध या दूध से बनी अधिक चीजें खाने, उड़द और दही वगैरा के बने भोजन अधिक मात्रा में खाने, अजीर्ण में भोजन करने, दूध और दही के साथ साथ नमक लगातार खाने, मीठा रायता जैसे पतले पदार्थ अत्यधिक पी लेने से मनुष्य शरीर में कीडे़ उत्पन्न हो जाते हैं।
कीडे़ उत्पन्न होने के लक्षण और बीमारियाँ body के अन्दर मल, कफ व खून में बहुत से प्रकार के कीडे़ उत्पन्न होते हैं। इनमें खासकर बड़ी आंत में उत्पन्न होने वाली फीता कृमि (पटार) अधिक खतरनाक होती है।
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आरती जी बहुत ही अच्छी जानकारी और बहुत ही उपयोगी ब्लाग। मेरा भी एक ब्लाग आयुर्वेद पर आधारित है। हालांकि अभी यह प्रारम्भिक अवस्था में ही है। गूगल भी हिंदी को सपोर्ट कर रहा है। इससे आशा है कि अब हिंदी ब्लाग और हिंदी वेबसाइट बड़ी तादात में आएंगीं और हिंदी भाषी लोगों की सहायता और समस्यओं का निवारण करने में सहायक बनेंगीं।
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