'ॐ' का उच्चारण, स्वास्थ्य के प्राप्ति
हिन्दी धर्म में 'ॐ' एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है जिसका उच्चारण करने से शरीर की सभी आंतरिक अंग चेतन अवस्था में आ जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में केवल यही एक ध्वनि ब्रह्मांड में गूंजती थी।
शोधकर्ताओं के अनुसार जब हम 'ॐ' बोलते हैं तो वस्तुतः हम तीन वर्णों का उच्चारण करते हैं: 'ओ', 'उ' तथा 'म'। 'ओ' मस्तिष्क से, 'उ' हृदय से तथा 'म' नाभि (जीवन) से जुड़ा है।
हम जानते हैं कि मन और मस्तिष्क से ही कोई भी काम सफल होता है। 'ॐ' के सतत उच्चारण से इन तीनों में एक रिदम आ जाती है जो हमारे द्वारा कार्य किये गए कार्य को पूर्ण करने में मदत करता है।
'ॐ' के जाप जिस स्थान पर किया जाता है वहां यह तरंगित होकर पवित्र एवं सकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करता है। इसके अभ्यास से जीवन की गुत्थियां सुलझती हैं तथा आत्मज्ञान होने लगता है।
'ॐ' से मनुष्य के मन में एकाग्रता, वैराग्य, सात्विक भाव, भक्ति, शांति एवं आशा का संचार होता है। इससे आध्यात्मिक ऊंचाइयां प्राप्त होती हैं। 'ॐ' से तनाव, निराशा, क्रोध दूर होते हैं।
इसके उच्चारण से मन, मस्तिष्क और शरीर स्वस्थ होते हैं। गले व सांस की बीमारियों नहीं होती। यह थायरॉइड समस्या, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, स्त्री रोग, अपच, वायु विकार, दमा व पेट की बीमारियों में लाभकारी होता है।
ध्यान, प्राणायाम, योगनिद्रा, योग आदि सभी को 'ॐ' के उच्चारण के बाद ही शुरू किया जाता है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए दिन में कम से कम 21 बार 'ॐ' का उच्चारण करना चाहिए। यह न केवल मन-मस्तिष्क को स्वास्थ्य रखता है बल्कि जीवन को कामयब भी लाभकर सिद्ध होता है।
हिन्दी धर्म में 'ॐ' एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है जिसका उच्चारण करने से शरीर की सभी आंतरिक अंग चेतन अवस्था में आ जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में केवल यही एक ध्वनि ब्रह्मांड में गूंजती थी।
शोधकर्ताओं के अनुसार जब हम 'ॐ' बोलते हैं तो वस्तुतः हम तीन वर्णों का उच्चारण करते हैं: 'ओ', 'उ' तथा 'म'। 'ओ' मस्तिष्क से, 'उ' हृदय से तथा 'म' नाभि (जीवन) से जुड़ा है।
हम जानते हैं कि मन और मस्तिष्क से ही कोई भी काम सफल होता है। 'ॐ' के सतत उच्चारण से इन तीनों में एक रिदम आ जाती है जो हमारे द्वारा कार्य किये गए कार्य को पूर्ण करने में मदत करता है।
'ॐ' के जाप जिस स्थान पर किया जाता है वहां यह तरंगित होकर पवित्र एवं सकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करता है। इसके अभ्यास से जीवन की गुत्थियां सुलझती हैं तथा आत्मज्ञान होने लगता है।
'ॐ' से मनुष्य के मन में एकाग्रता, वैराग्य, सात्विक भाव, भक्ति, शांति एवं आशा का संचार होता है। इससे आध्यात्मिक ऊंचाइयां प्राप्त होती हैं। 'ॐ' से तनाव, निराशा, क्रोध दूर होते हैं।
इसके उच्चारण से मन, मस्तिष्क और शरीर स्वस्थ होते हैं। गले व सांस की बीमारियों नहीं होती। यह थायरॉइड समस्या, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, स्त्री रोग, अपच, वायु विकार, दमा व पेट की बीमारियों में लाभकारी होता है।
ध्यान, प्राणायाम, योगनिद्रा, योग आदि सभी को 'ॐ' के उच्चारण के बाद ही शुरू किया जाता है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए दिन में कम से कम 21 बार 'ॐ' का उच्चारण करना चाहिए। यह न केवल मन-मस्तिष्क को स्वास्थ्य रखता है बल्कि जीवन को कामयब भी लाभकर सिद्ध होता है।
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