पित्त प्रकोप और उपचार
विदाहि ( वंश, करीरादि पित्त प्रकोपक ), कटु (तीक्ष्ण), अम्ल (खट्टे) और अत्युष्ण भोजनों (खानपानादि) के सेवन से, अत्यधिक धूप अथवा अग्नि सेवन से, क्षुधा और प्यास के रोकने से, अन्न के पाचन काल में, दोपहर में और आधी रात के Time उपरोक्त कारणों से पित्त का कोप ( पित्त का दुष्ट ) होता है। इन कारणों के विपरीत (उल्टा) आचरण करने से और विपरीत समयों में पित्त का शमन होता है।
पित्त से संबंधित दोषों को दूर करने के लिए औषधि
1- शतावरी का रस दो तोला में मधु पांच Grams मिलाकर पी लेने से पित्त से संबंधित दर्द ठीक होता है।
2- हरड,़ बहेड़ा, आंवला, अमलतास की फली का गूदा, इन चारों औषधियों (Ayurvedic Medicines) के काढे़ में खांड़ और शहद मिलाकर पी लेने से खूनपित्त और पित्त से संबंधित दर्द (नाभिस्थान अथवा पित्त और पित्त से संबंधित दर्द ) नाभिस्थान अथवा पित्त वाहिनियों में पित्त संचित और अवरुद्ध होने से उत्पन्न होने वाले दर्द को अवश्य दूर करता है।
नोट- काढ़ा बनाने के लिए औषधि के मिश्रण से 16 गुना जल डालकर मंद आंच में पकाइयें जब जल एक चौथाई बच जाये, तो उसे ठंडा करके पीना चाहिये। इस काढ़ा की मात्रा चार तोला के आसपास रखनी चाहिए।
3- पीपल (गीली) चरपरी होने पर भी कोमल और शीतवीर्य होने से पित्त को बनाती है।
4- खट्टा आंवला, लवण रस और सेंधा नमक भी शीतवीर्य होने से पित्त को बनाती है।
5- गिलोय का रस कटु और उष्ण होने पर भी पित्त को बनाता है।
6- हरीतकी (पीली हरड़) 25 grams, मुनक्का 50 grams, दोनों को सिल पर बारीक के साथ पीस लें और उसमें 75 grams बहेड़े का चूर्ण (Powder) मिला लिजिएं। चने के बराबर गोलियां बनाकर Daily सुबह के समय ताजा जल से दो या तीन गोली लें। इसके सेवन से समस्त पित्त रोगों का शमन होता है। हृदय रोग, खून के रोग, विषम ज्वर, पाण्डु-कामला, अरुचि, उबकाई, कष्ट, प्रमेह, अपरा, गुल्म आदि अनेक ब्याधियाँ नष्ट होती हैं।
7- 10 grams आंवला रात को जल में भिगो दें। सुबह के समय आंवले को मसलकर छान लिजिएं। इस जल में थोड़ी मिश्री और जीरे का चूर्ण (Powder) मिलाकर लें। तमाम पित्त रोगों की रामबाण औषधि है। इसका प्रयोग 15-20 दिन करना चाहिए।
8- शंखभस्म 1Grams, सोंठ का चूर्ण (Powder) आधा Grams, आँवला का चूर्ण आधा Grams, इन तीनों औषधियों (Ayurvedic Medicines) को शहद में मिलाकर सुबह में खाली पेट और शाम को खाने के एक घण्टे बाद लेने से अम्लपित्त दूर होता है।
नोट- वैसे तो सभी नुस्खे पूर्णतः निरापद हैं, but फिर भी इन्हें किसी अच्छे वैद्य से समझकर व सही औषधियों का चयन कर उचित मात्रा में लें, तो ही अच्छा रहेगा। गलत रूप से किसी औषदि का सेवन नुक्सान दायक भी हो सकता है।
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