यदि आप चौड़ी और मजबूत छाती की इच्छा रखते हैं तो आप को योगाभ्यास करना चाहिए। प्राचीन काल से ही पुरुषों की ऐसी कद-काठी उन्हें हमेशा से आकर्षक बनाए रखती है। यदि आप भी पाना चहते हैं आकर्षक, हष्ट-पुष्ट शरीर तो आप करें योगा का अभ्यास।
त्रिकोणासनइस आसन से सीने की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और शरीर लचीला बनता है। प्रतिदिन इसका तीन बार अभ्यास करने से छाती चौड़ी होती है।
दोनों पैरों के बीच तीन फुट का अंतर रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथ पैरों के समानांतर सीधे फैलाएं।
अब दाएं पैर के पंजे को दाएं हाथ से आसे छूने का प्रयास करें कि बांया हाथ आसमान की ओर हो और उससे 90
डिग्री का कोण बनें। 15 से 20 सेकंड बाद सीधे हो जाएं। अब यही प्रक्रिया बाएं हाथ और बाएं पैर से दोहराएं।
ताड़ासन
इसके नियमित अभ्यास से छाती चौड़ी होती है, बाजू मजबूत होते हैं और शरीर सुडौल होते हैं। प्रतिदिन इस आसन का चार से पांच बार अभ्यास फायदेमंद है।इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को ऊपर की और ले जाएं, बाजू कान से सटें और हाथों की उंगलियां छत की ओर हों और नमस्कार की मुद्रा में जोड़ लें। अब सांस खींचते हुए शरीर को ऊपर उठाएं व कुछ क्षण बाद सामान्य हो जाएं। इसी तरह शरीर को पहले दाईं ओर झुकाएं व फिर सामान्य हों जाएं और बाईं ओर झुकाएं।
त्रिकोणासनइस आसन से सीने की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और शरीर लचीला बनता है। प्रतिदिन इसका तीन बार अभ्यास करने से छाती चौड़ी होती है।
दोनों पैरों के बीच तीन फुट का अंतर रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथ पैरों के समानांतर सीधे फैलाएं।
अब दाएं पैर के पंजे को दाएं हाथ से आसे छूने का प्रयास करें कि बांया हाथ आसमान की ओर हो और उससे 90
डिग्री का कोण बनें। 15 से 20 सेकंड बाद सीधे हो जाएं। अब यही प्रक्रिया बाएं हाथ और बाएं पैर से दोहराएं।
ताड़ासन
इसके नियमित अभ्यास से छाती चौड़ी होती है, बाजू मजबूत होते हैं और शरीर सुडौल होते हैं। प्रतिदिन इस आसन का चार से पांच बार अभ्यास फायदेमंद है।इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को ऊपर की और ले जाएं, बाजू कान से सटें और हाथों की उंगलियां छत की ओर हों और नमस्कार की मुद्रा में जोड़ लें। अब सांस खींचते हुए शरीर को ऊपर उठाएं व कुछ क्षण बाद सामान्य हो जाएं। इसी तरह शरीर को पहले दाईं ओर झुकाएं व फिर सामान्य हों जाएं और बाईं ओर झुकाएं।
भुजंगासन
इस आसन का नियमित अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है, छाती चौड़ी होती है व बाजुओं को शक्ति बनती है। अभ्यास के लिए सबसे पहले पेट के बल जमीन पर लेटें। दोनों हाथों की कोहनी मोड़ें औप हथेलियों को कधें के बगल में जमीन पर रखें। सांस अंदर की ओर खींचते हुए पेट से ऊपर का हिस्सा उठाएं और भार हथेलियों व कोहनी पर रहने दें। इस दौरान बैक, जांघ और घुटनों को जमीन पर सीधा रहने दें। कुछ सेकेंड बाद सांस छोड़ते हुए वापस पिछली मुद्रा में आएं।
ऊष्ट्रासन
इसे करने के लिए पहले घुटने के बल मैट पर बैठें और दोनों हाथों को सीधे नीचे की ओर रखें। अब इसी मुद्रा में थोड़ा उठते हुए दोनों हाथों को पीछे एड़ी की ओर ले जाएं। इससे जांघों पर तनाव पड़े और पैरों का भार घुटनों पर हो। सिर पीछे झुकाएं जिससे ठुड्डी आसमान की ओर हो। इस दौरान कुछ क्षण गहरी सांस लें और फिर सामान्य मुद्रा में आ जाएं।
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