योगा से बनती है, पतली कमर और तोंद होता है कम आजकल मैदे और बेसन से बनी चीजें खाने का प्रचनल बढ़ गया है जिससे शरीर में अतिरिक्त चर्बी बनती जा रही है। इसके अलावा कोक से भी पेट की प्रोब्लम बढ़ती जा रही है। इसके अलावा और भी कई कारण है जिससे पेट अब तोंद या कहे टैंक बन गया है। योग आपको हर पल शरीर और मन से युवा बनाए रखता है लेकिन इसका लाभ तभी मिलता है जब आप इसका अभ्यास नियमित रूप से करते हैं। आसनों के अलावा योग के अन्य उपाय करना भी युवा बने रहने के लिए आवश्यक है। जिन लोगों के पेट की चर्बी बढ़ गई है या जिन्हें अपनी कमर पतली बनानी है उनके लिए यहां कुछ योग टिप्स दिए जा रहे हैं जो शरीर की अतिरिक्त चरबी घटाने में योग काफी मदद करेगा। एक बात का ध्यान रखें कि योगा के दौरान आप को अपने खानपान पर भी सुधारना करना होगा। इसके लिए अपा को रोजान निम्न आसनों का अभ्यास करना होगा। नौकासन, उष्ट्रासन, त्रिकोणासन करके आप अपने पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम कर सकते हैं और अपनी कमर को पतली बना सकते हैं। योगाभ्यास और सही डायट का कॉम्बिनेशन आपके पेट को तोंद से टोन कर सकता है।
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Thursday, 30 January 2014
Tuesday, 28 January 2014
Benefits of OM, OM mantra
'ॐ' का उच्चारण, स्वास्थ्य के प्राप्ति
हिन्दी धर्म में 'ॐ' एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है जिसका उच्चारण करने से शरीर की सभी आंतरिक अंग चेतन अवस्था में आ जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में केवल यही एक ध्वनि ब्रह्मांड में गूंजती थी।
शोधकर्ताओं के अनुसार जब हम 'ॐ' बोलते हैं तो वस्तुतः हम तीन वर्णों का उच्चारण करते हैं: 'ओ', 'उ' तथा 'म'। 'ओ' मस्तिष्क से, 'उ' हृदय से तथा 'म' नाभि (जीवन) से जुड़ा है।
हम जानते हैं कि मन और मस्तिष्क से ही कोई भी काम सफल होता है। 'ॐ' के सतत उच्चारण से इन तीनों में एक रिदम आ जाती है जो हमारे द्वारा कार्य किये गए कार्य को पूर्ण करने में मदत करता है।
'ॐ' के जाप जिस स्थान पर किया जाता है वहां यह तरंगित होकर पवित्र एवं सकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करता है। इसके अभ्यास से जीवन की गुत्थियां सुलझती हैं तथा आत्मज्ञान होने लगता है।
'ॐ' से मनुष्य के मन में एकाग्रता, वैराग्य, सात्विक भाव, भक्ति, शांति एवं आशा का संचार होता है। इससे आध्यात्मिक ऊंचाइयां प्राप्त होती हैं। 'ॐ' से तनाव, निराशा, क्रोध दूर होते हैं।
इसके उच्चारण से मन, मस्तिष्क और शरीर स्वस्थ होते हैं। गले व सांस की बीमारियों नहीं होती। यह थायरॉइड समस्या, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, स्त्री रोग, अपच, वायु विकार, दमा व पेट की बीमारियों में लाभकारी होता है।
ध्यान, प्राणायाम, योगनिद्रा, योग आदि सभी को 'ॐ' के उच्चारण के बाद ही शुरू किया जाता है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए दिन में कम से कम 21 बार 'ॐ' का उच्चारण करना चाहिए। यह न केवल मन-मस्तिष्क को स्वास्थ्य रखता है बल्कि जीवन को कामयब भी लाभकर सिद्ध होता है।
हिन्दी धर्म में 'ॐ' एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है जिसका उच्चारण करने से शरीर की सभी आंतरिक अंग चेतन अवस्था में आ जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में केवल यही एक ध्वनि ब्रह्मांड में गूंजती थी।
शोधकर्ताओं के अनुसार जब हम 'ॐ' बोलते हैं तो वस्तुतः हम तीन वर्णों का उच्चारण करते हैं: 'ओ', 'उ' तथा 'म'। 'ओ' मस्तिष्क से, 'उ' हृदय से तथा 'म' नाभि (जीवन) से जुड़ा है।
हम जानते हैं कि मन और मस्तिष्क से ही कोई भी काम सफल होता है। 'ॐ' के सतत उच्चारण से इन तीनों में एक रिदम आ जाती है जो हमारे द्वारा कार्य किये गए कार्य को पूर्ण करने में मदत करता है।
'ॐ' के जाप जिस स्थान पर किया जाता है वहां यह तरंगित होकर पवित्र एवं सकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करता है। इसके अभ्यास से जीवन की गुत्थियां सुलझती हैं तथा आत्मज्ञान होने लगता है।
'ॐ' से मनुष्य के मन में एकाग्रता, वैराग्य, सात्विक भाव, भक्ति, शांति एवं आशा का संचार होता है। इससे आध्यात्मिक ऊंचाइयां प्राप्त होती हैं। 'ॐ' से तनाव, निराशा, क्रोध दूर होते हैं।
इसके उच्चारण से मन, मस्तिष्क और शरीर स्वस्थ होते हैं। गले व सांस की बीमारियों नहीं होती। यह थायरॉइड समस्या, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, स्त्री रोग, अपच, वायु विकार, दमा व पेट की बीमारियों में लाभकारी होता है।
ध्यान, प्राणायाम, योगनिद्रा, योग आदि सभी को 'ॐ' के उच्चारण के बाद ही शुरू किया जाता है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए दिन में कम से कम 21 बार 'ॐ' का उच्चारण करना चाहिए। यह न केवल मन-मस्तिष्क को स्वास्थ्य रखता है बल्कि जीवन को कामयब भी लाभकर सिद्ध होता है।
Monday, 27 January 2014
How to get beastliness about yoga
कैसे पाएं योगा से खूबसूरती
योग खुबसुरती को बढ़ाने का एक ऐसा साधान है जिसमें न तो पैसे लगते हैं और ना ही किसी प्रकार का कोई साईडिफैक्ट होता है। योग के अभ्यास से शरीर को खुबसुरत बनाने के साथ मन को भी प्रसन्न रखा जा सकता है। सुंदरता के लिए कैसे करें योग का अभ्यास।
योग खुबसुरती को बढ़ाने का एक ऐसा साधान है जिसमें न तो पैसे लगते हैं और ना ही किसी प्रकार का कोई साईडिफैक्ट होता है। योग के अभ्यास से शरीर को खुबसुरत बनाने के साथ मन को भी प्रसन्न रखा जा सकता है। सुंदरता के लिए कैसे करें योग का अभ्यास।
योग का अभ्यास- सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और अपने पैर को एक फुट की दूरी तक पैर फैलाएं। अब अपने चेहरे को हथेली से कवर करें और 10 बार लंबी-लंबी सांसे लें। इसके बाद अपने चेहरे, आंखों, माथे को उंगलियों से रगड़े और तेज-तेज सांस लें।
लाभ- इस तरह से योगा का अभ्यास करने से चेहरे पर ग्लो आता है, स्किन सॉफ्ट और रिंकल्स फ्री बनता है। इससे आंखों के नीचे के डार्क सर्कल कम हो जाते हैं और चिक पर शाइन आती है।
अगर चेहरे पर कम उम्र में ही रिंकल्स आने लगे हैं तो ऐसे में पूरे चेहरे की स्किन को हल्के हाथों से रगड़ते हुए लंबी सांस लेने ले से रिंकल्स कम होते हैं और चेहरा फ्रेश होगा।
गर्दन को सुडौल और सुंदर बनाने के लिए
योग का अभ्यास- अभ्यास के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और अपने शरीर को पूरी तरह से सीधे रखें। अब कंधों को बिना हिलाएं अपनी गर्दन को जितना लेफ्ट में मोड़ सकते हैं, मोड़। यह क्रिया लगभग 10 बार करें। इस क्रिया को पहले सिर के आगे की और करें और फिर पीछे की तरफ करें। ऐसा करने से आपकी चिन चेस्ट को छूनी चाहिए। इसे लगभग 3 बार करें। इस अभ्यास को बिना कोई झटका या जोर लगाए आराम से करें।
लाभ- इसका अभ्यास हमेशा करने से गर्दन की फैट कम होगी और आपकी गर्दन शेप में आएगी। यही नहीं, इसके अभ्यास से आपका गर्दन के रिंकल्स आने की प्रोसेस भी कम होगा। इसका अभ्यास से माइंड और बॉडी को भी आराम मिलता है। यह शरीर से टॉक्सिंस को रिमूव कर बॉडी को फ्लैक्सिबल बनाती है।
लाभ- इस तरह से योगा का अभ्यास करने से चेहरे पर ग्लो आता है, स्किन सॉफ्ट और रिंकल्स फ्री बनता है। इससे आंखों के नीचे के डार्क सर्कल कम हो जाते हैं और चिक पर शाइन आती है।
अगर चेहरे पर कम उम्र में ही रिंकल्स आने लगे हैं तो ऐसे में पूरे चेहरे की स्किन को हल्के हाथों से रगड़ते हुए लंबी सांस लेने ले से रिंकल्स कम होते हैं और चेहरा फ्रेश होगा।
गर्दन को सुडौल और सुंदर बनाने के लिए
योग का अभ्यास- अभ्यास के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और अपने शरीर को पूरी तरह से सीधे रखें। अब कंधों को बिना हिलाएं अपनी गर्दन को जितना लेफ्ट में मोड़ सकते हैं, मोड़। यह क्रिया लगभग 10 बार करें। इस क्रिया को पहले सिर के आगे की और करें और फिर पीछे की तरफ करें। ऐसा करने से आपकी चिन चेस्ट को छूनी चाहिए। इसे लगभग 3 बार करें। इस अभ्यास को बिना कोई झटका या जोर लगाए आराम से करें।
लाभ- इसका अभ्यास हमेशा करने से गर्दन की फैट कम होगी और आपकी गर्दन शेप में आएगी। यही नहीं, इसके अभ्यास से आपका गर्दन के रिंकल्स आने की प्रोसेस भी कम होगा। इसका अभ्यास से माइंड और बॉडी को भी आराम मिलता है। यह शरीर से टॉक्सिंस को रिमूव कर बॉडी को फ्लैक्सिबल बनाती है।
Friday, 24 January 2014
Beauty care by yoga
योग, सुंदरता के लिए है सबसे अच्छा
दुनिया की हर स्त्री सुंदर दिखना चाहती है और अपने आप को सुंदर बनाने के लिए अनेक प्रकार के कृत्रिम उपाय अपनाती है। लड़कियां अपने आप को सुंदर दिखाने के लिए मेकअप करने से लेकर बाल रंगने तक कई उपाय करती है लेकिन इतना सब करने के बाद भी उनकी सुंदरता लंबे समय तक नहीं टिक पाता है। ऐसे में लड़कियों को कुछ ऐसे साधन चाहिए जिससे उसकी सुंदरता हमेशा बना रहे और उम्र का असर भी कम दिखाई दें। सुंदरता बनाए रखने के लिए योगासन और प्राकृतिक चिकित्सा दो ऐसे साधन हैं जिनके जरिए स्त्रियां उम्रदराज होने पर भी सुंदर लग सकती हैं।
योगासन : योगासन के अभ्यास के लिए रोज 20-25 मिनट जरूर निकालें। योगा के अभ्यास से त्वचा की झुर्रियों के साथ पेट की अधिक चर्बी भी कम होती है। अभ्यास के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो कर दोनों हथेलियों से चेहरे को ढंक ले और फिर गहरी सांसें लें और छोड़े कुछ मिनटों के बाद उंगलियों की पोरों की ठोड़ी से लेकर माथे तक मालिश करिए। यह कसरत कम से कम तीन बार करें। इसी के साथ कपालभाति एवं अनुलोम विलोम भी कर लें। इससे त्वचा मुलायम और चमकदार होती है।
सुडौल गर्दन : अपने पैरों को पास में रखकर खड़े हो जाइए। चेहरे को पीछे की ओर मोड़कर जितना पीछे जा सकते हो जाएं और थोड़ी देर इसी अवस्था में रुकें। अब ठोड़ी को छाती की हड्डी पर गले के नीचे चिपका दें। यदि चिपकाना संभव न हो तब भी कोशिश करते रहें। सीधे खड़े रहें और कंधों को बिना हिलाए सिर को दोनों साइड में झुकाएं। कोशिश करें कि सिर को कंधे पर टिका सकें। ऐसा दोनों ओर करें। इस आसन को कम से कम 20 बार करें। इस आसन के बाद गरदन को दोनों तरफ तेजी से 10 बार झटकें। इससे गर्दन सुडौल होता है।
पेट की अधिक चर्बी : अपने पैरों को फैलाकर खड़े हो जाएं। आगे की ओर बिना घुटना मोड़े पैरों की उंगलियों को हाथ की उंगलियों की पोरों से पकड़ने की कोशिश करें। संभव है कि पहली बार आप ऐसा
नहीं कर पाएं लेकिन रोज कोशिश करेंगे तो शायद एक दिन कर पाएं। रोजाना 10-10 के क्रम में दो बार करें। पैरों को दो फुट की दूरी तक फैला लें और शरीर को आगे की ओर 90 डिग्री के कोण बनाते हुए झुका लें। अब सीधे हाथ की उंगलियों से बाएं पैर की उंगलियों को स्पर्श करने का प्रयत्न करें। दोनों ओर इसे कम से कम 20 बार करें। जमीन पर सीधे लेट जाएं। पैरों को पास में रखें। अब पैरों को बिना घुटने मोड़े ऊपर उठाने का प्रयत्न करें। इसी तरह सिर को धड़ सहित ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस तरह शरीर की आकृति एक नाव की तरह हो जाएगी। नौका जैसी आकृति बनाते हुए एक मिनट तक रुकें। इसके अलावा पेट की चर्बी गलाने के लिए आप पश्चिमोत्तान आसन कर सकते हैं।
सुडौल कमर : नाजुक या सुडौल कमर पाना हर स्त्री का ऐसा सपना है जो कम ही पूरा होता है। कमर का घेरा कम तब ही लगता है जब पेट की अनावश्यक चर्बी खत्म हो जाती है। आप चाहें तो इन आसनों को आजमा सकती हैं। पैरों को एक फुट की दूरी बनाते हुए खड़ी हो जाएं। हाथों को साइड में जमीन के समानांतर कंधों की ऊँचाई तक फैला लें। अब शरीर के उपरी हिस्से को बाईं ओर जितना मोड़ सकते हों मोड़ लें तथा पीछे की ओर देखें। ध्यान रखें कि पैर जमीन पर टिके रहें। ऐसा ही दूसरी तरफ भी करें। दस से बीस बार ऐसा रोजाने करने से कमर सुडौल होता है। पवनमुक्तासन, भुजंगासन, धनुर्रासन आसानी से कर सकते हैं।
दुनिया की हर स्त्री सुंदर दिखना चाहती है और अपने आप को सुंदर बनाने के लिए अनेक प्रकार के कृत्रिम उपाय अपनाती है। लड़कियां अपने आप को सुंदर दिखाने के लिए मेकअप करने से लेकर बाल रंगने तक कई उपाय करती है लेकिन इतना सब करने के बाद भी उनकी सुंदरता लंबे समय तक नहीं टिक पाता है। ऐसे में लड़कियों को कुछ ऐसे साधन चाहिए जिससे उसकी सुंदरता हमेशा बना रहे और उम्र का असर भी कम दिखाई दें। सुंदरता बनाए रखने के लिए योगासन और प्राकृतिक चिकित्सा दो ऐसे साधन हैं जिनके जरिए स्त्रियां उम्रदराज होने पर भी सुंदर लग सकती हैं।
योगासन : योगासन के अभ्यास के लिए रोज 20-25 मिनट जरूर निकालें। योगा के अभ्यास से त्वचा की झुर्रियों के साथ पेट की अधिक चर्बी भी कम होती है। अभ्यास के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो कर दोनों हथेलियों से चेहरे को ढंक ले और फिर गहरी सांसें लें और छोड़े कुछ मिनटों के बाद उंगलियों की पोरों की ठोड़ी से लेकर माथे तक मालिश करिए। यह कसरत कम से कम तीन बार करें। इसी के साथ कपालभाति एवं अनुलोम विलोम भी कर लें। इससे त्वचा मुलायम और चमकदार होती है।
सुडौल गर्दन : अपने पैरों को पास में रखकर खड़े हो जाइए। चेहरे को पीछे की ओर मोड़कर जितना पीछे जा सकते हो जाएं और थोड़ी देर इसी अवस्था में रुकें। अब ठोड़ी को छाती की हड्डी पर गले के नीचे चिपका दें। यदि चिपकाना संभव न हो तब भी कोशिश करते रहें। सीधे खड़े रहें और कंधों को बिना हिलाए सिर को दोनों साइड में झुकाएं। कोशिश करें कि सिर को कंधे पर टिका सकें। ऐसा दोनों ओर करें। इस आसन को कम से कम 20 बार करें। इस आसन के बाद गरदन को दोनों तरफ तेजी से 10 बार झटकें। इससे गर्दन सुडौल होता है।
पेट की अधिक चर्बी : अपने पैरों को फैलाकर खड़े हो जाएं। आगे की ओर बिना घुटना मोड़े पैरों की उंगलियों को हाथ की उंगलियों की पोरों से पकड़ने की कोशिश करें। संभव है कि पहली बार आप ऐसा
नहीं कर पाएं लेकिन रोज कोशिश करेंगे तो शायद एक दिन कर पाएं। रोजाना 10-10 के क्रम में दो बार करें। पैरों को दो फुट की दूरी तक फैला लें और शरीर को आगे की ओर 90 डिग्री के कोण बनाते हुए झुका लें। अब सीधे हाथ की उंगलियों से बाएं पैर की उंगलियों को स्पर्श करने का प्रयत्न करें। दोनों ओर इसे कम से कम 20 बार करें। जमीन पर सीधे लेट जाएं। पैरों को पास में रखें। अब पैरों को बिना घुटने मोड़े ऊपर उठाने का प्रयत्न करें। इसी तरह सिर को धड़ सहित ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस तरह शरीर की आकृति एक नाव की तरह हो जाएगी। नौका जैसी आकृति बनाते हुए एक मिनट तक रुकें। इसके अलावा पेट की चर्बी गलाने के लिए आप पश्चिमोत्तान आसन कर सकते हैं।
सुडौल कमर : नाजुक या सुडौल कमर पाना हर स्त्री का ऐसा सपना है जो कम ही पूरा होता है। कमर का घेरा कम तब ही लगता है जब पेट की अनावश्यक चर्बी खत्म हो जाती है। आप चाहें तो इन आसनों को आजमा सकती हैं। पैरों को एक फुट की दूरी बनाते हुए खड़ी हो जाएं। हाथों को साइड में जमीन के समानांतर कंधों की ऊँचाई तक फैला लें। अब शरीर के उपरी हिस्से को बाईं ओर जितना मोड़ सकते हों मोड़ लें तथा पीछे की ओर देखें। ध्यान रखें कि पैर जमीन पर टिके रहें। ऐसा ही दूसरी तरफ भी करें। दस से बीस बार ऐसा रोजाने करने से कमर सुडौल होता है। पवनमुक्तासन, भुजंगासन, धनुर्रासन आसानी से कर सकते हैं।
Thursday, 23 January 2014
Natural Green Juice is good for health
नेचुरल ग्रीन जूस स्वास्थ्य के लिए है बहुत फायदेमंद
पालक और नारियल जूस- पालक और नारियल का जूस पीना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। नारियल के जूस बनाने के लिए एक कप नारियल का दूध, कटी हुई पालक, एक कप केल पत्तियां सेलेरी की स्टिक, 1 केला और दालचीनी लेकर इन सभी को मिक्स करके जूस निकाल लें। यह ग्रीन जूस स्वाद में मीठा होता है और इस जूस से शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह शरीर के विषैले तत्वों को नष्ट करता है और पाचन क्रिया को स्वास्थ्य रखता है।
एलोवेरा जूस- एलोवेरा में कई स्वास्थ्यवर्धक गुण होते है। यह शरीर के विषाक्ता को निष्ट करने का अच्छा कार्य करता है। यह बॉडी से विषैले तत्वों को बाहर निकाल देता है और शरीर को डिहाईड्रेट होने से बचाता है।
खीरा और पालक जूस- एक कप कटी हुई पालक और एक खीरा लेकर इसमें
स्वाद के लिए नमक, नींबू या पीपर डाल लेकर पानी मिलाकर जूस बनाएं। इसका पीना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है। खीरा एक अच्छा नेचुरल क्लींजर होता है और इसमें प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। वहीं, पालक में एंटी-ऑक्सीडेंट, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व होते है जो शरीर के लिए लाभकारी होता है।
पुदीना और नींबू जूस- पुदीना ताजगी देता है और नींबू एनर्जी देता है। इसलिए पुदीना और नींबू को मिलाकर जूस बनाकर पीने से बॉडी में ड्रिहाईड्रेशन नहीं होता है। पुदीने की पत्तियों रस निकाल कर इसमें नींबू का रस स्वाद के लिए नमक, चीनी और दालचीनी और पानी मिलाकर पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और कभी शरीर में पानी की कमी नहीं होती।
पालक और नारियल जूस- पालक और नारियल का जूस पीना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। नारियल के जूस बनाने के लिए एक कप नारियल का दूध, कटी हुई पालक, एक कप केल पत्तियां सेलेरी की स्टिक, 1 केला और दालचीनी लेकर इन सभी को मिक्स करके जूस निकाल लें। यह ग्रीन जूस स्वाद में मीठा होता है और इस जूस से शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह शरीर के विषैले तत्वों को नष्ट करता है और पाचन क्रिया को स्वास्थ्य रखता है।
एलोवेरा जूस- एलोवेरा में कई स्वास्थ्यवर्धक गुण होते है। यह शरीर के विषाक्ता को निष्ट करने का अच्छा कार्य करता है। यह बॉडी से विषैले तत्वों को बाहर निकाल देता है और शरीर को डिहाईड्रेट होने से बचाता है।
खीरा और पालक जूस- एक कप कटी हुई पालक और एक खीरा लेकर इसमें
स्वाद के लिए नमक, नींबू या पीपर डाल लेकर पानी मिलाकर जूस बनाएं। इसका पीना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है। खीरा एक अच्छा नेचुरल क्लींजर होता है और इसमें प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। वहीं, पालक में एंटी-ऑक्सीडेंट, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व होते है जो शरीर के लिए लाभकारी होता है।
पुदीना और नींबू जूस- पुदीना ताजगी देता है और नींबू एनर्जी देता है। इसलिए पुदीना और नींबू को मिलाकर जूस बनाकर पीने से बॉडी में ड्रिहाईड्रेशन नहीं होता है। पुदीने की पत्तियों रस निकाल कर इसमें नींबू का रस स्वाद के लिए नमक, चीनी और दालचीनी और पानी मिलाकर पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और कभी शरीर में पानी की कमी नहीं होती।
Tuesday, 21 January 2014
Sex knowledge, satisfaction during sex
स्त्रियों में होती है चरम सुख पहुंचने की क्षमता अधिक
सेक्स संबंध में चरम आनंद को ऑर्गेज्म कहा जाता है। स्त्रियों में चरम सुख की स्थिति धीरे-धीरे या देर से मिलती है जिसकी वजह से कई स्त्रियों को इसके आने या होने का एहसास भी नहीं होता।
सेक्सोलॉजिस्टों का मानना हैं कि पूरुष का शरीर विभिन्न चरम सुख
कुपोषण, विटामिंस की कमी, सेक्स संबंधों की अज्ञाता के चलते हमारे देश में लोग मानसिक चरम सुख पाते हैं और उसे ही पर्याप्त समझते हैं। अधिकांस दंपति सुहागरात के दिन चरम आनंद का अनुभव नहीं कर पाते। कई बार प्रथम रात्रि में आनंद प्राप्त करना भी संभव नहीं होता, चरम सुख तो दूर की बात है। दरअसल, उस रात्रि को कई तरह के डर हावी रहते हैं जिसकी वजह से सेक्स का चरम सुख प्राप्त नहीं हो पाता। सेक्सोलॉजिस्टों का कहना है कि मिलन के लिए दोनों की मानसिकता एक जैसी हो, यह आवश्यक नहीं। चरमानंद तालमेल, स्नेह व सद्व्यवहार पर निर्भर करता है। अक्सर पुरुष को चरम आनंद मिल जाने पर स्त्रियां अपने कर्तव्य की पूर्ति समझ लेती है। चाहे उसे सेक्स में चरम सुख प्राप्त हो या ना हो। ऐसे में स्त्रियों को सेक्स में चरम सुख की प्राप्ति के लिए सेक्स का नॉलेज होना आवश्यक है। स्त्रियों को पता होना चाहिए कि चरम सुख क्या है और किस प्रकार के सेक्स उसके लिए वेहतर है। सेक्स के समय कैसी सावधानी वर्तनी चाहिए। इस तरह के नॉलेज से ही स्त्रियां पुरुष के समान चरम सुख को प्राप्त कर सकती है। वाला है जबकि प्रकृति ने स्त्री को पुरुष की तुलना में अधिक बार चरम सुख पहुंचने की क्षमता दी है।
सेक्स संबंध में चरम आनंद को ऑर्गेज्म कहा जाता है। स्त्रियों में चरम सुख की स्थिति धीरे-धीरे या देर से मिलती है जिसकी वजह से कई स्त्रियों को इसके आने या होने का एहसास भी नहीं होता।
सेक्सोलॉजिस्टों का मानना हैं कि पूरुष का शरीर विभिन्न चरम सुख
कुपोषण, विटामिंस की कमी, सेक्स संबंधों की अज्ञाता के चलते हमारे देश में लोग मानसिक चरम सुख पाते हैं और उसे ही पर्याप्त समझते हैं। अधिकांस दंपति सुहागरात के दिन चरम आनंद का अनुभव नहीं कर पाते। कई बार प्रथम रात्रि में आनंद प्राप्त करना भी संभव नहीं होता, चरम सुख तो दूर की बात है। दरअसल, उस रात्रि को कई तरह के डर हावी रहते हैं जिसकी वजह से सेक्स का चरम सुख प्राप्त नहीं हो पाता। सेक्सोलॉजिस्टों का कहना है कि मिलन के लिए दोनों की मानसिकता एक जैसी हो, यह आवश्यक नहीं। चरमानंद तालमेल, स्नेह व सद्व्यवहार पर निर्भर करता है। अक्सर पुरुष को चरम आनंद मिल जाने पर स्त्रियां अपने कर्तव्य की पूर्ति समझ लेती है। चाहे उसे सेक्स में चरम सुख प्राप्त हो या ना हो। ऐसे में स्त्रियों को सेक्स में चरम सुख की प्राप्ति के लिए सेक्स का नॉलेज होना आवश्यक है। स्त्रियों को पता होना चाहिए कि चरम सुख क्या है और किस प्रकार के सेक्स उसके लिए वेहतर है। सेक्स के समय कैसी सावधानी वर्तनी चाहिए। इस तरह के नॉलेज से ही स्त्रियां पुरुष के समान चरम सुख को प्राप्त कर सकती है। वाला है जबकि प्रकृति ने स्त्री को पुरुष की तुलना में अधिक बार चरम सुख पहुंचने की क्षमता दी है।
Monday, 20 January 2014
Does the menstruation effect brest feeding
क्या मासिकधर्म, स्तनपान को प्रभावित करता है ?
कई महिलाओं को मासिकधर्म बच्चे के जन्म देने के दो महीने बाद शुरू होते है। इस अवस्था में स्त्रियां काफी उलझन में रहती है कि कहीं उनके स्तनपान से बच्चे या स्वयं को कोई तकलीफ तो नहीं हो गई। एक बार मासिकधर्म शरू हो जाने के बाद भी आपको बच्चे को स्तनपान कराने के दौर तक उतार-चढ़ाव आता रहता है। जैसे ही आप बच्चे को स्तनपान करवाना बंद कर देती है, तभी से आपको मासिकधर्म सामान्य रूप से आने लगता है।
मासिकधर्म से, स्तनपान पर पड़ने वाला प्रभाव निम्न है:
1) फर्टिलिटी रिटर्न : डिलीवरी के बाद पहले मासिकधर्म आने से स्त्रियों को फिर से फर्टिलिटी हो सकती है। ऐसा में आपको बच्चे को स्तनपान कराने का मन नहीं करता है जिससे स्तनपान की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है।
2) हारमोन्स में परिवर्तन : मासिकधर्म के दौरान शरीर के हारमोन्स में परिवर्तन होता है। इस वजह से स्त्रियों के मूड में बदलाव आता है और शारीरिक परिवर्तन भी होते है। ऐसे में हो सकता है कि स्त्रियों को मासिकधर्म के दिनों में स्तनों कराने से दर्द होता होगा।
3) स्वाद में बदलाव : मासिकधर्म के दौरान, हारमोन्स में परिवर्तन आने से ब्रेस्टमिल्क के स्वाद में भी परिवर्तन आ जाता है जिसकी वजह से बच्चा दूध पीने से कतराते हों।
4) सिरदर्द : मासिकधर्म शरू होने से पहले सिरदर्द होना एक स्वाभाविक लक्षण है। मासिकधर्म के दौरान हारमोन्स में परिवर्तन आने से स्तनपान कराने पर स्त्रियों को तनाव महसूस होता है और सिर में दर्द होता है।
5) ब्रेस्टमिल्क में कमी : डिलीवरी के बाद, मासिकधर्म के शुरू होने पर स्तनपान कराने पर ब्रेस्टमिल्क में कमी रहती है। हारमोन्स में परिवर्तन आने की वजह से शरीर में दूध के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है जिससे स्तनपान की प्रक्रिया प्रभावित होती है। ऐसी स्थिति में बॉडी में ब्लड़ सप्लाई करने वाले नेचुरल प्रोडक्ट का सेवन करना चाहिए।
6) निप्पल में दर्द : क्या आपको मासिकधर्म के दौरान निप्पल में दर्द होता है। अगर ऐसा
7) लगातार स्तनपान : स्तनपान के दौरान मासिकधर्म सामान्य नहीं होते है। मासिकधर्म शुरू हो जाने का मतलब यह नहीं होता है कि आप बच्चे को स्तनपान न कराएं। उन दिनों में आपको बच्चे को लगातार स्तनपान कराते रहना चाहिए, इससे स्तनों में दूध निकलता रहता है और अन्य समस्याएं पैदा नहीं होती है।
है तो आपको मासिकधर्म के दिनों में बच्चे को स्तनपान कराने में दिक्कत आ सकती है। इस तरह के केस में, आपको निप्पल शील्ड का इस्तेमाल करना चाहिए।कई महिलाओं को मासिकधर्म बच्चे के जन्म देने के दो महीने बाद शुरू होते है। इस अवस्था में स्त्रियां काफी उलझन में रहती है कि कहीं उनके स्तनपान से बच्चे या स्वयं को कोई तकलीफ तो नहीं हो गई। एक बार मासिकधर्म शरू हो जाने के बाद भी आपको बच्चे को स्तनपान कराने के दौर तक उतार-चढ़ाव आता रहता है। जैसे ही आप बच्चे को स्तनपान करवाना बंद कर देती है, तभी से आपको मासिकधर्म सामान्य रूप से आने लगता है।
मासिकधर्म से, स्तनपान पर पड़ने वाला प्रभाव निम्न है:
1) फर्टिलिटी रिटर्न : डिलीवरी के बाद पहले मासिकधर्म आने से स्त्रियों को फिर से फर्टिलिटी हो सकती है। ऐसा में आपको बच्चे को स्तनपान कराने का मन नहीं करता है जिससे स्तनपान की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है।
2) हारमोन्स में परिवर्तन : मासिकधर्म के दौरान शरीर के हारमोन्स में परिवर्तन होता है। इस वजह से स्त्रियों के मूड में बदलाव आता है और शारीरिक परिवर्तन भी होते है। ऐसे में हो सकता है कि स्त्रियों को मासिकधर्म के दिनों में स्तनों कराने से दर्द होता होगा।
3) स्वाद में बदलाव : मासिकधर्म के दौरान, हारमोन्स में परिवर्तन आने से ब्रेस्टमिल्क के स्वाद में भी परिवर्तन आ जाता है जिसकी वजह से बच्चा दूध पीने से कतराते हों।
4) सिरदर्द : मासिकधर्म शरू होने से पहले सिरदर्द होना एक स्वाभाविक लक्षण है। मासिकधर्म के दौरान हारमोन्स में परिवर्तन आने से स्तनपान कराने पर स्त्रियों को तनाव महसूस होता है और सिर में दर्द होता है।
5) ब्रेस्टमिल्क में कमी : डिलीवरी के बाद, मासिकधर्म के शुरू होने पर स्तनपान कराने पर ब्रेस्टमिल्क में कमी रहती है। हारमोन्स में परिवर्तन आने की वजह से शरीर में दूध के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है जिससे स्तनपान की प्रक्रिया प्रभावित होती है। ऐसी स्थिति में बॉडी में ब्लड़ सप्लाई करने वाले नेचुरल प्रोडक्ट का सेवन करना चाहिए।
6) निप्पल में दर्द : क्या आपको मासिकधर्म के दौरान निप्पल में दर्द होता है। अगर ऐसा
7) लगातार स्तनपान : स्तनपान के दौरान मासिकधर्म सामान्य नहीं होते है। मासिकधर्म शुरू हो जाने का मतलब यह नहीं होता है कि आप बच्चे को स्तनपान न कराएं। उन दिनों में आपको बच्चे को लगातार स्तनपान कराते रहना चाहिए, इससे स्तनों में दूध निकलता रहता है और अन्य समस्याएं पैदा नहीं होती है।
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गर्भावस्था के लक्षण
Sunday, 19 January 2014
Fatness can be reduce by sex
सेक्स, मोटापे को कम करने में लाभकर
आजकल लोग मोटापे को दूर करने के लिए क्या-क्या नहीं करते। दुनियां की आवादी का एक बड़ हिस्सा मोटापे से परेशान हैं। वे अपने मोटापे को दूर करने के लिए जटिल व्यायाम से लेकर अनेक प्रकार की दवाइयों का सेवन करते हैं जिससे शरीर की चर्बी तो कम नहीं होता लेकिन बिमारियां जरूर हो जाती है।
सेक्सोलॉजिस्ट के अनुसार सेक्स मोटापा कम करने में सहायक हो
सेक्स विशेषज्ञों के अनुसार सेक्स के समय किए गए 1 kiss से लगभग 9 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है और एक बार किए गए सेक्स में 500 से 1000 कैलोरी खर्च होती है जिससे चर्बी घटता है और मोटापा कम होता है। सेक्स से एंड्रोफिन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे त्वचा सुंदर, चिकनी व चमकदार बनी रहती है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए सेक्स से बढ़िया कोई इलाज नहीं। तनाव को दूर भगाने में सेक्स एक वेहतरीन दवा का काम करता है। नियमति सेक्स से पैदा होने वाले हार्मोन से ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी नहीं होती। सेक्स से शरीर में इस्ट्रोजन हार्मोन उत्पन्न होता है, जो हड्डियों की बीमारी नहीं होने देता। सेक्स मोटापा घटाने के साथ-साथ हार्टअटैक, हृदय रोग व मानसिक तनाव को भी दूर रखता है। सेक्स सौंदर्य बढ़ाने में भी सहायक होता है। हेल्दी सेक्स किसी भी थका देने वाली व्यायाम से अधिक लाभकारी होता है।
आजकल लोग मोटापे को दूर करने के लिए क्या-क्या नहीं करते। दुनियां की आवादी का एक बड़ हिस्सा मोटापे से परेशान हैं। वे अपने मोटापे को दूर करने के लिए जटिल व्यायाम से लेकर अनेक प्रकार की दवाइयों का सेवन करते हैं जिससे शरीर की चर्बी तो कम नहीं होता लेकिन बिमारियां जरूर हो जाती है।
सेक्सोलॉजिस्ट के अनुसार सेक्स मोटापा कम करने में सहायक हो
सेक्स विशेषज्ञों के अनुसार सेक्स के समय किए गए 1 kiss से लगभग 9 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है और एक बार किए गए सेक्स में 500 से 1000 कैलोरी खर्च होती है जिससे चर्बी घटता है और मोटापा कम होता है। सेक्स से एंड्रोफिन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे त्वचा सुंदर, चिकनी व चमकदार बनी रहती है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए सेक्स से बढ़िया कोई इलाज नहीं। तनाव को दूर भगाने में सेक्स एक वेहतरीन दवा का काम करता है। नियमति सेक्स से पैदा होने वाले हार्मोन से ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी नहीं होती। सेक्स से शरीर में इस्ट्रोजन हार्मोन उत्पन्न होता है, जो हड्डियों की बीमारी नहीं होने देता। सेक्स मोटापा घटाने के साथ-साथ हार्टअटैक, हृदय रोग व मानसिक तनाव को भी दूर रखता है। सेक्स सौंदर्य बढ़ाने में भी सहायक होता है। हेल्दी सेक्स किसी भी थका देने वाली व्यायाम से अधिक लाभकारी होता है।
Thursday, 16 January 2014
महिला या पुरुष, किसे चाहिए अधिक नींद और क्यों
महिला या पुरुष, किसे चाहिए अधिक नींद और क्यों
भारत में आमतौर पर स्त्रियां घर में सबसे पहले उठती है और देर से सोती हैं। क्या आप जानते हैं कि अधिक नींद की जरूरत किसे अधिक हैं स्त्रियों को या पुरूषों को। इस सवाल पर पश्चिमी देशों में काफी समय से बहस होती आ रही है लेकिन अब शोधकर्ताओं ने इसका जवाब ढूंढ लिया है। कुछ शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोधों में पाया गया कि जो महिलाएं पर्याप्त नींद नहीं ले पाती वे अवसाद से ग्रस्त हो जाती है और उसमें चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि महिलायें दिन भर अधिक मल्टी टास्टकिंग करती हैं इसलिए उनके मस्तिष्क को रिकवर करने में ज्यादा समय लगता है। इसलिए स्त्रियों को अधिक देर तक सोना चाहिए। साइंस वर्ल्ड रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों में कम नींद लेने पर इस प्रकार की समस्या नहीं देखी जाती। पिछले कई शोधों में हृदय रोग, मानसिक स्वास्थ्य, स्ट्रोक और शरीर में सूजन आदि जैसी समस्याओं को नींद की कमी से जोड़कर देखा जाता रहा है। कुछ डॉक्टर का कहना है कि नींद की कमी से होने वाली इस परेशानी से बचने के लिए महिलायें दिन में झपकियां ले सकती हैं लेकिन इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि महिलाओं द्वारा ली जाने वाली झपकी नब्बे मिनट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए अन्यथा महिलाओं को रात में सोने में परेशानी हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद लेने का एक बड़ा फायदा यह है कि इस दौरान मस्तिष्क रिकवर और रिपेयर का काम करता है। उनके अनुसार गहरी नींद, मस्तिष्क को विचार, याद्दाश्त और भाषा आदि को सुदृढ़ करने में मदद करती है। आप दिन भर में जितना दिमाग इस्तेमाल करते हैं, आपको उतना रिकवर करने की जरूरत होती है जो नींद के दौरान ही संभव हो पाता है। इसलिए अच्छी नींद लेना अति आवश्यक है। शोधकर्ताओं के अनुसार महिलाओं को अधिक नींद की जरूरत इसलिए होती है क्योंकि वे पुरुषों के मुकाबले अधिक मल्टी टास्किंग होती हैं लेकिन जन पुरुषों को नौकरी में अधिक मानसिक कार्य करना पड़त है उन्हें भी अधिक नींद की जरूरत होती है।
भारत में आमतौर पर स्त्रियां घर में सबसे पहले उठती है और देर से सोती हैं। क्या आप जानते हैं कि अधिक नींद की जरूरत किसे अधिक हैं स्त्रियों को या पुरूषों को। इस सवाल पर पश्चिमी देशों में काफी समय से बहस होती आ रही है लेकिन अब शोधकर्ताओं ने इसका जवाब ढूंढ लिया है। कुछ शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोधों में पाया गया कि जो महिलाएं पर्याप्त नींद नहीं ले पाती वे अवसाद से ग्रस्त हो जाती है और उसमें चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि महिलायें दिन भर अधिक मल्टी टास्टकिंग करती हैं इसलिए उनके मस्तिष्क को रिकवर करने में ज्यादा समय लगता है। इसलिए स्त्रियों को अधिक देर तक सोना चाहिए। साइंस वर्ल्ड रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों में कम नींद लेने पर इस प्रकार की समस्या नहीं देखी जाती। पिछले कई शोधों में हृदय रोग, मानसिक स्वास्थ्य, स्ट्रोक और शरीर में सूजन आदि जैसी समस्याओं को नींद की कमी से जोड़कर देखा जाता रहा है। कुछ डॉक्टर का कहना है कि नींद की कमी से होने वाली इस परेशानी से बचने के लिए महिलायें दिन में झपकियां ले सकती हैं लेकिन इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि महिलाओं द्वारा ली जाने वाली झपकी नब्बे मिनट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए अन्यथा महिलाओं को रात में सोने में परेशानी हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद लेने का एक बड़ा फायदा यह है कि इस दौरान मस्तिष्क रिकवर और रिपेयर का काम करता है। उनके अनुसार गहरी नींद, मस्तिष्क को विचार, याद्दाश्त और भाषा आदि को सुदृढ़ करने में मदद करती है। आप दिन भर में जितना दिमाग इस्तेमाल करते हैं, आपको उतना रिकवर करने की जरूरत होती है जो नींद के दौरान ही संभव हो पाता है। इसलिए अच्छी नींद लेना अति आवश्यक है। शोधकर्ताओं के अनुसार महिलाओं को अधिक नींद की जरूरत इसलिए होती है क्योंकि वे पुरुषों के मुकाबले अधिक मल्टी टास्किंग होती हैं लेकिन जन पुरुषों को नौकरी में अधिक मानसिक कार्य करना पड़त है उन्हें भी अधिक नींद की जरूरत होती है।
Wednesday, 15 January 2014
how to control irritation and make happy life
क्यों आता है गुस्सा?
गुस्सा भी मानव भावनाओं का एक प्रकार है लेकिन जब यह भावना आदत बन जाती है तो आप के साथ-साथ दूसरों पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ने लगता है। अगर आप को गुस्सा अधिक आता है तो आप को चाहिए कि आप अपने गुस्से की सही वजह को पहचाने और उन पर नियंत्रण रखें। गुस्सा एक नेचुरल इमोशन है जो चिड़चिड़ाहट, निराशा और इच्छा अनुसार काम न होने की दशा में उत्पन्न होता है। किसी हल्की झुंझलाहट से लेकर आक्रमक स्थिति को गुस्से के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है। हम जानते हैं कि गुस्सा एक नेचुरल इमोशन है जिससे पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है लेकिन नियंत्रन किया जा सकता है। गुस्सा आना बिल्कुल नॉर्मल है लेकिन अगर गुस्से की वजह से आप और आप के साथ रहने वाले दोस्त और परिवार वाले को नकसान पहुच रहा हो तो इस पर नियंत्रन करना आवश्यक हो जाता है।
गुस्से पर काबु पाने के लिए जरूरी है मानसिक स्वास्थ्यता
गुस्से पर काबू पाने के लिए सबसे पहला कदम यह है कि आप गुस्से को कभी अपने पर हावी मत होने दें। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने मन को शांत रखें और सोचे की गुस्सा क्यू आ रहा है? और इसे गुस्से से आप को क्या लाभ मिलेगा? और क्या नुकसान होगा? क्या आप के गुस्से से आप का काम सही प्रकार से हो जाएगा? क्या आप की परेशानी दुर हो जाएगी? अगर गुस्सा करने से काम नहीं बनता तो गुस्सा करना व्यर्थ है। ऐसे में यह देखे कि आप अगर गुस्से के स्थान पर शांत रहेंगे तो अच्छे से सोच पाएंगे और अपने काम को सफलता पूर्वक कर पाएंगे। गुस्सा आने पर भी अगर आप शांत रहेंगे तो आपकी सोच व्यापक होगी और आप दूसरों के पक्ष को समझ पाएंगे। इसके लिए मानसिक रूप से स्वास्थ्य रहना आवश्यक है। दिमाग को शांत और संतुलन हमेशा बना रखना चाहिए, लेकिन ऐसी स्थिति हासिल करने के लिए लंबी प्रैक्टिस की जरूरत है। अपने गुस्से को शांत रखने के लिए शुरू में सिर्फ 10 मिनट का समय तय करें और मन में ठानें कि इन 10 मिनटों के दौरान मुझे शांत रहना है। चाहे जो हो जाए, मैं अपना मानसिक संतुलन इन 10 मिनटों के दौरान नहीं खोऊंगा, अपने गुस्से पर शांत रखुंगा। धीरे-धीरे वक्त बढ़ाते जाएं। 10 से 15 मिनट, 15 से 20... धीरे-धीरे ऐसी स्थिति आ जाएगी कि मानसिक रूप से शांत और संतुलित रहना आपकी आदत बन जाएगी। इस तरह आप शांत रहकर अपने गुस्से पर काबू पा सकते हैं और अपने जीवन में खुश रह सकते हैं।
गुस्सा भी मानव भावनाओं का एक प्रकार है लेकिन जब यह भावना आदत बन जाती है तो आप के साथ-साथ दूसरों पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ने लगता है। अगर आप को गुस्सा अधिक आता है तो आप को चाहिए कि आप अपने गुस्से की सही वजह को पहचाने और उन पर नियंत्रण रखें। गुस्सा एक नेचुरल इमोशन है जो चिड़चिड़ाहट, निराशा और इच्छा अनुसार काम न होने की दशा में उत्पन्न होता है। किसी हल्की झुंझलाहट से लेकर आक्रमक स्थिति को गुस्से के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है। हम जानते हैं कि गुस्सा एक नेचुरल इमोशन है जिससे पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है लेकिन नियंत्रन किया जा सकता है। गुस्सा आना बिल्कुल नॉर्मल है लेकिन अगर गुस्से की वजह से आप और आप के साथ रहने वाले दोस्त और परिवार वाले को नकसान पहुच रहा हो तो इस पर नियंत्रन करना आवश्यक हो जाता है।
गुस्से पर काबु पाने के लिए जरूरी है मानसिक स्वास्थ्यता
गुस्से पर काबू पाने के लिए सबसे पहला कदम यह है कि आप गुस्से को कभी अपने पर हावी मत होने दें। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने मन को शांत रखें और सोचे की गुस्सा क्यू आ रहा है? और इसे गुस्से से आप को क्या लाभ मिलेगा? और क्या नुकसान होगा? क्या आप के गुस्से से आप का काम सही प्रकार से हो जाएगा? क्या आप की परेशानी दुर हो जाएगी? अगर गुस्सा करने से काम नहीं बनता तो गुस्सा करना व्यर्थ है। ऐसे में यह देखे कि आप अगर गुस्से के स्थान पर शांत रहेंगे तो अच्छे से सोच पाएंगे और अपने काम को सफलता पूर्वक कर पाएंगे। गुस्सा आने पर भी अगर आप शांत रहेंगे तो आपकी सोच व्यापक होगी और आप दूसरों के पक्ष को समझ पाएंगे। इसके लिए मानसिक रूप से स्वास्थ्य रहना आवश्यक है। दिमाग को शांत और संतुलन हमेशा बना रखना चाहिए, लेकिन ऐसी स्थिति हासिल करने के लिए लंबी प्रैक्टिस की जरूरत है। अपने गुस्से को शांत रखने के लिए शुरू में सिर्फ 10 मिनट का समय तय करें और मन में ठानें कि इन 10 मिनटों के दौरान मुझे शांत रहना है। चाहे जो हो जाए, मैं अपना मानसिक संतुलन इन 10 मिनटों के दौरान नहीं खोऊंगा, अपने गुस्से पर शांत रखुंगा। धीरे-धीरे वक्त बढ़ाते जाएं। 10 से 15 मिनट, 15 से 20... धीरे-धीरे ऐसी स्थिति आ जाएगी कि मानसिक रूप से शांत और संतुलित रहना आपकी आदत बन जाएगी। इस तरह आप शांत रहकर अपने गुस्से पर काबू पा सकते हैं और अपने जीवन में खुश रह सकते हैं।
गुस्से पर नियंत्रन के लिए योग बहुत लाभकारी है इसका रोजना अभ्यास गुस्से पर नियंत्रन के साथ मन को भी स्वस्थ्य रखता है। योगा से संबंधित अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-
Tuesday, 14 January 2014
Increase reproduction power by taking red meet
रेड मीट से बढ़ता है प्रजनन क्षमता
प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाले आहार के बारे में हमेशा ही बाते होती रहती है। अभी हाल में ही वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोधों में वैज्ञानिकों ने रेड मीट में ऐसे पोषक तत्वों की खोज करने का दावा किया है, जो प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदत करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रेड मीट और सुअर के मांस में ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो किसी व्यक्ति की प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे लोग जो परिवार बढ़ाने की इच्छा रखते हैं, उनके लिए इन पदार्थों का सेवन फायदेमंद रहेगा।
अब वैज्ञानिक शोधों के द्वारा भी यह पुष्टि हो चुकी है कि रेड मीट में पाया जाने वाला पौष्टिक तत्व वास्तव में प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है।
ठीक उसी तरह सुअर का मांस में भी सेलेनियम काफी मात्रा में होता है तथा इसका सेवन वयस्कों में सेलेनियम के स्तर में वृद्धि करता है जो सामान्य प्रजनन क्षमता को बढ़ाने लाभकर है।
विटामिन बी-6 भी प्रजनन और गर्भधारण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और रेड मीट में विटामिन बी-6 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
रक्सटन ने अपने इस शोध में बताया कि, "वयस्कों को हफ्ते में 500 ग्राम रेड मीट के सेवन करना चाहिए। इस प्रकार हफ्ते में 4 या 5 बार अलग-अलग पशुओं के मांस का सेवन करना चाहिए। यह प्रजन्न क्षमता को बढ़ाने में बहुत मदत करता है।
प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाले आहार के बारे में हमेशा ही बाते होती रहती है। अभी हाल में ही वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोधों में वैज्ञानिकों ने रेड मीट में ऐसे पोषक तत्वों की खोज करने का दावा किया है, जो प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदत करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रेड मीट और सुअर के मांस में ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो किसी व्यक्ति की प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे लोग जो परिवार बढ़ाने की इच्छा रखते हैं, उनके लिए इन पदार्थों का सेवन फायदेमंद रहेगा।
अब वैज्ञानिक शोधों के द्वारा भी यह पुष्टि हो चुकी है कि रेड मीट में पाया जाने वाला पौष्टिक तत्व वास्तव में प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है।
ठीक उसी तरह सुअर का मांस में भी सेलेनियम काफी मात्रा में होता है तथा इसका सेवन वयस्कों में सेलेनियम के स्तर में वृद्धि करता है जो सामान्य प्रजनन क्षमता को बढ़ाने लाभकर है।
विटामिन बी-6 भी प्रजनन और गर्भधारण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और रेड मीट में विटामिन बी-6 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
रक्सटन ने अपने इस शोध में बताया कि, "वयस्कों को हफ्ते में 500 ग्राम रेड मीट के सेवन करना चाहिए। इस प्रकार हफ्ते में 4 या 5 बार अलग-अलग पशुओं के मांस का सेवन करना चाहिए। यह प्रजन्न क्षमता को बढ़ाने में बहुत मदत करता है।
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Monday, 13 January 2014
Fat reduce by exercise
व्यायाम करने से मांसपेशियों से चर्बी घटती है। एक अध्ययन से पता चला है कि व्यायाम के दौरान हमारी मांसपेशियों में एक प्रकार का पदार्थ स्राव होता है जो चर्बी कम करने में हमारी मदद करता है।
मैसाचुसेट्स जनरल हास्पिटल में नियुक्त तथा अध्ययन के वरिष्ठ लेखक रॉबर्ट गेर्सटेन ने कहा कि व्यायाम के दौरान मांसपेशियों से उत्सर्जित संकेत रक्त परिसंचरण के जरिए वसा उत्तकों एवं लीवर तक पहुंचकर उन्हें प्रभावित करता है।
शोधकर्ताओं को हालांकि पहले से पता था कि पीजीसी-1 नामक प्रोटीन मांसपेशियों में उपापचयी गुणसूत्रों को नियंत्रित करता है तथा मांसपेशियों को व्यायाम के दौरान प्रतिक्रिया करने में मदद करता है लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि पीजीसी-1 प्रोटीन अन्य उत्तकों तक संकेत कैसे पहुंचाते हैं।
गेर्सटेन और उनके सहयोगियों ने जब पीजीसी-1 को सक्रिय करने के बाद उत्तकों द्वारा स्रावित चयापचयों की परीक्षण किया तो उन्हें एक ऐसा चयापचय `अमीनोआइसोब्यूटीरिक एसिड` दिखा जो गुणसूत्रों में वसा उत्तकों की सक्रियता को बढ़ाता है, जो शरीर से कैलोरी की मात्रा कम करने के लिए उत्तरदायी होता है।
मैसाचुसेट्स जनरल हास्पिटल में नियुक्त तथा अध्ययन के वरिष्ठ लेखक रॉबर्ट गेर्सटेन ने कहा कि व्यायाम के दौरान मांसपेशियों से उत्सर्जित संकेत रक्त परिसंचरण के जरिए वसा उत्तकों एवं लीवर तक पहुंचकर उन्हें प्रभावित करता है।
शोधकर्ताओं को हालांकि पहले से पता था कि पीजीसी-1 नामक प्रोटीन मांसपेशियों में उपापचयी गुणसूत्रों को नियंत्रित करता है तथा मांसपेशियों को व्यायाम के दौरान प्रतिक्रिया करने में मदद करता है लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि पीजीसी-1 प्रोटीन अन्य उत्तकों तक संकेत कैसे पहुंचाते हैं।
गेर्सटेन और उनके सहयोगियों ने जब पीजीसी-1 को सक्रिय करने के बाद उत्तकों द्वारा स्रावित चयापचयों की परीक्षण किया तो उन्हें एक ऐसा चयापचय `अमीनोआइसोब्यूटीरिक एसिड` दिखा जो गुणसूत्रों में वसा उत्तकों की सक्रियता को बढ़ाता है, जो शरीर से कैलोरी की मात्रा कम करने के लिए उत्तरदायी होता है।
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Sunday, 12 January 2014
Make happy life, forget tension
आज के भाग-दौर भरी जिन्दगी में अवसाद, सीज़ोफ्रेनिया और विभाज्य व्यलक्तिपत्वह विकार जैसी मानसिक रोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हमारे देश में लगभग एक करोड़ लोग मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं और उन्हें उचित इलाज नहीं मिलता। लोगों हमेशा चिंतित रहते हैं और जितना चिंता करते हैं मानसिक परेशानी और बढ़ती जाती है।
साइकोलाजिस्ट के अनुसार अगर आप स्वयं को पसंद नहीं करते, अकारण चिंताग्रस्ते रहते हैं, किसी भी काम को करने में आपका मन नहीं लगता, आप में चि़ड़चिड़ापन है तो आप को साइकोलाजिस्ट से मिलने में देरी नहीं करनी चाहिए। अगर आप किसी बात को लेकर परेशान हैं, तो उस विषय में अपने प्रियजनों से बातें करें। अपनी इच्छाओं व विचारों को स्पष्ट रूप से दूसरों पर जाहिर करने से ना केवल आपका तनाव कम होगा बल्कि आपके सम्बन्ध भी अच्छे बनेंगे।
साइकोलाजिस्ट के अनुसार अगर आप स्वयं को पसंद नहीं करते, अकारण चिंताग्रस्ते रहते हैं, किसी भी काम को करने में आपका मन नहीं लगता, आप में चि़ड़चिड़ापन है तो आप को साइकोलाजिस्ट से मिलने में देरी नहीं करनी चाहिए। अगर आप किसी बात को लेकर परेशान हैं, तो उस विषय में अपने प्रियजनों से बातें करें। अपनी इच्छाओं व विचारों को स्पष्ट रूप से दूसरों पर जाहिर करने से ना केवल आपका तनाव कम होगा बल्कि आपके सम्बन्ध भी अच्छे बनेंगे।
Apple for healthy life
हमारे देश में एक बहुत पुरानी कहावत है अगर आप डाक्टर से बचना चाहते हैं तो सेब खायें। क्या आप जानते हैं कि सेब एक नकारात्मक कैलोरी वाला आहार है जिसके सेवन से शरीर स्वस्थ्य और फिट रह सकता है। अधिकांश फल और सब्जियां सर्दियों के मौसम में होते हैं अतः एक प्रकार से हम कह सकते हैं कि सर्दियों का मौसम फलों व सब्जि़यों का होता है। लेकिन सेब के जूस का प्रयोग आप किसी भी मौसम में कर सकते हैं। सेब के जूस में एण्टी आक्सिडेंट्स होते हैं और यह कैंसर से शरीर की सुरक्षा करते हैं। स्वस्थ रहना है तो हर मौसम में मिलने वाले इस फल का आनंद लें, जो स्वाद में तो अच्छा है ही, स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभप्रद है।
Friday, 10 January 2014
Nine tips for happy life
1. यदि आप प्रसन्न रहना चाहते हैं तो जिस जगह या स्थान पर जाने से आपके मन को सुकून मिलता हो, ऐसी जगह पर बार-बार जाएं।
2. आज के समय में लोगों के चेहरे के खुशी गायब सी हो गई है इसे में अगर आप किसी को खुशी दे सकते हैं तो उसे खुशी दें। एक कहावत है कि किसी को नाराज करने में एक मिनट का भी समय नहीं लगता, लेकिन किसी
3. अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो अपने जीवन में सकारात्मक सोच अपनाए। सकारात्मक सोच से कठिन से कठिन दिखाई देने वाले काम आसानी से पूर्ण हो जाते हैं। यदि आप अपने मन में सकारात्मक भाव जाग्रत करेंगी तो आपका हर काम आसानी से पूरा हो जाएगा।
4. आज कल लोग अक्सर बड़ी खुशियों के लिए छोटी खुशियों को नजर अंदाज कर देते हैं। इसलिए लोग अक्सर खुश नहीं हो पाता। अतः बड़ी खुशी पाने के लिए छोटी खुशी का नजर अंदाज न करें। खुशी छोटी हो या बड़ी सभी का अंनंद अठाना चाहिए।
5. तन की सुंदरता के बजाय मन की सुंदरता को महत्व दें। तन की सुंदरता तो कुछ वर्र्षो की मेहमान है, जबकि मन की सुंदरता तो हमेशा साथ रहेगी। अतः किसी से दोस्ती उसकी सुंदरता देख कर ना करें।
6. अपने आसपास के लोगों पर विश्वास करें। यदि आप हरेक को शंकालु दृष्टि से देखेंगी तो जिंदगी का आनंद उठाने से वंचित रह जाएंगे।
7. कौन कैसा है इस बात पर ज्यादा दिमाग न लगाएं। इसके बजाय इस बात पर ध्यान केंद्रित करें कि आप अपने को और अच्छा कैसे बना सकती हैं।
8. जो बात दिल में हो उसे कहने में संकोच न करें। कई बार हम अपने दिल की बात जुबां पर नहीं ला पाते और हमें बाद में पछताना पड़ता है।
9. बिस्तर पर जाने से पहले सारी चिंताओं को अलग कर दें और बेफ्रिक होकर लेटें। नींद खुद ब खुद आ जाएगी। किसी को हंसाने में कई घंटे बीत जाते हैं। इसलिए दूसरों को हंसने का अवसर अवश्य प्रदान करें।
2. आज के समय में लोगों के चेहरे के खुशी गायब सी हो गई है इसे में अगर आप किसी को खुशी दे सकते हैं तो उसे खुशी दें। एक कहावत है कि किसी को नाराज करने में एक मिनट का भी समय नहीं लगता, लेकिन किसी
3. अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो अपने जीवन में सकारात्मक सोच अपनाए। सकारात्मक सोच से कठिन से कठिन दिखाई देने वाले काम आसानी से पूर्ण हो जाते हैं। यदि आप अपने मन में सकारात्मक भाव जाग्रत करेंगी तो आपका हर काम आसानी से पूरा हो जाएगा।
4. आज कल लोग अक्सर बड़ी खुशियों के लिए छोटी खुशियों को नजर अंदाज कर देते हैं। इसलिए लोग अक्सर खुश नहीं हो पाता। अतः बड़ी खुशी पाने के लिए छोटी खुशी का नजर अंदाज न करें। खुशी छोटी हो या बड़ी सभी का अंनंद अठाना चाहिए।
5. तन की सुंदरता के बजाय मन की सुंदरता को महत्व दें। तन की सुंदरता तो कुछ वर्र्षो की मेहमान है, जबकि मन की सुंदरता तो हमेशा साथ रहेगी। अतः किसी से दोस्ती उसकी सुंदरता देख कर ना करें।
6. अपने आसपास के लोगों पर विश्वास करें। यदि आप हरेक को शंकालु दृष्टि से देखेंगी तो जिंदगी का आनंद उठाने से वंचित रह जाएंगे।
7. कौन कैसा है इस बात पर ज्यादा दिमाग न लगाएं। इसके बजाय इस बात पर ध्यान केंद्रित करें कि आप अपने को और अच्छा कैसे बना सकती हैं।
8. जो बात दिल में हो उसे कहने में संकोच न करें। कई बार हम अपने दिल की बात जुबां पर नहीं ला पाते और हमें बाद में पछताना पड़ता है।
9. बिस्तर पर जाने से पहले सारी चिंताओं को अलग कर दें और बेफ्रिक होकर लेटें। नींद खुद ब खुद आ जाएगी। किसी को हंसाने में कई घंटे बीत जाते हैं। इसलिए दूसरों को हंसने का अवसर अवश्य प्रदान करें।
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Thursday, 9 January 2014
व्यायाम न करने से हड्डियां होती है कमजोर
व्यायाम करने हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। हड्डी सर्जन का मानना है कि अमेरिकी या ब्रिटिश के लोगों की तुलना में भारतीय लोगों की हड्डियां कमजोर और विकृत होती हैं और हड्डी विकार होने का खतरा अधिक होता है। हड्डियों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूक के लिए किये गए आयोजित बताया गया है कि भारत में घुटनों की सर्जरी का स्वरूप अमेरिका की सर्जरी से बिल्कुल अलग है। भारतीय उपमहाद्वीप में लोगों की हड्डियां काफी कमजोर होती हैं।
गोवा के हड्डी विशेषज्ञ अमेया वेलिंगकर के मुताबिक अमेरिका एवं ब्रिटेन की तुलना में भारत के लोग में घुटने के दर्द या बीमारी को नजरअंदाज कर दिया जाता है जिसकी वजह से अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और अंत समय में सर्जरी का भी सहारा लेना पड़ता है। वेलिंगकर ने कहा कि भारतीय लोगों में कमजोर हड्डियों का दूसरा बड़ा कारण नियमित व्यायाम न करना है। भारतीय लोग शारीरिक गतिविधियों को नजरअंदाज करते हैं जिससे हड्डियां कमजोर होती हैं और बाद में तकलीफ बढ़ती है।
उन्होंने कहा, भारतीय लोगों की हड्डियां दूसरे लोगों की तुलना में कम गुणवत्ता वाली होती हैं और नियमित व्यायाम की कमी के कारण यह और भी कमजोर हो जाती है। शोध के अनूसार हम जितना अधिक नियमित व्यायाम करेंगे, हड्डियों की तकलीफ से उतने ही दूर रहेंगे। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में लोग स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूप होते हैं और नियमित रूप से व्यायाम करते हैं जिसकी वजह से उनकी हड्डियां मजबूत और उच्चतम गुणवत्ता वाली होती हैं। अतः हमे हडि्डयों के रोग से बचने के लिए रोजाना व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम से न केवल हम रोग से बचे रहेंगे बल्कि हडि्डयों का विकास भी अच्छी करह से होगा। इससे हमरे शरीरि को चुस्ति और फुर्ति भी मिलेगी।
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Wednesday, 8 January 2014
Ginger tea is best for health
भारत में चाय का अपना अलग ही महत्वपूर्ण है। मौसम चाहे कोई भी हो चाय से कोई समझौता नहीं करता लेकिन सर्दियों में तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इसके साथ ही अगर अदरक वाली चाय हो तो मजा ही आ जाए। सर्दियों में अदरक वाली चाय की अपना ही अलग मजा होता है। अदरक वाली चाय कई प्रकार से कारगर होती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अदरक वाली चाय की सिर्फ सुगंध भर से ही आपका मूड बदल सकता है। अदरक वाली चाय में एंटी ऑक्सीडेंट होता है जो स्वास्थ्य के लिये बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसको पीने से पेट की जलन एवं पेट की अन्य समस्या दूर होती है। चाय मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्फूर्ति दिलाने का काम करती है और सर्दी के मौसम में सर्दी से बचाती है।
अदरक वाली चाय के फायदे
कफ और सर्दी में अदरक की चाय से मिलती है राहत- अदरक की चाय पीने से शरीर के वात, पित्त और कफ से उत्पन्न होने वाले दोष ठीक होते हैं क्योंकि अदरक गर्म होती है। इससे श्वसन संबंधी समस्याओं में भी राहत मिलती है। इसका सेवन रक्तचाप को सामान्य बनाए रखता है।
सिरदर्द और थकान में राहत दिलाती है अदरक वाली चाय- अदरक की चाय से सिरदर्द और काम की वजह से हुई मानसिक एवं शारीरिक थकान दूर होती है। इससे आप रिफ्रेश महसूस करते हैं। यह आलस मिटाती है और शरीर में ऊर्जा भरने का काम करता है।
भूख बढ़ाए में लाभकारी है अदरक- यदि किसी को ठीक से भूख नहीं लगती हो तो उन्हें नियमित रूप से अदरक वाली चाय पीनी शुरु कर देनी चाहिए। यह अंदर जा कर पाचन के लिये इंजाइम रिलीज करती है जिससे भूख बढ जाती है।
पाचन क्रिया को ठीक रखती है अदरक वाली चाय- अदरक की चाय से पाच क्रिया सही रहती है। यह कब्ज नहीं होने देती है। यह भोजन को पचाती है और गैस बाहर निकालती है।
त्वचा के लिए फायदेमंद है अदरक की चाय- अदरक वाली चाय पीने से झाइयां मिटती है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो कि एजिंग को रोकता है और त्वचा से झाइयों को मिटाता है।
अदरक वाली चाय के फायदे
कफ और सर्दी में अदरक की चाय से मिलती है राहत- अदरक की चाय पीने से शरीर के वात, पित्त और कफ से उत्पन्न होने वाले दोष ठीक होते हैं क्योंकि अदरक गर्म होती है। इससे श्वसन संबंधी समस्याओं में भी राहत मिलती है। इसका सेवन रक्तचाप को सामान्य बनाए रखता है।
सिरदर्द और थकान में राहत दिलाती है अदरक वाली चाय- अदरक की चाय से सिरदर्द और काम की वजह से हुई मानसिक एवं शारीरिक थकान दूर होती है। इससे आप रिफ्रेश महसूस करते हैं। यह आलस मिटाती है और शरीर में ऊर्जा भरने का काम करता है।
भूख बढ़ाए में लाभकारी है अदरक- यदि किसी को ठीक से भूख नहीं लगती हो तो उन्हें नियमित रूप से अदरक वाली चाय पीनी शुरु कर देनी चाहिए। यह अंदर जा कर पाचन के लिये इंजाइम रिलीज करती है जिससे भूख बढ जाती है।
पाचन क्रिया को ठीक रखती है अदरक वाली चाय- अदरक की चाय से पाच क्रिया सही रहती है। यह कब्ज नहीं होने देती है। यह भोजन को पचाती है और गैस बाहर निकालती है।
त्वचा के लिए फायदेमंद है अदरक की चाय- अदरक वाली चाय पीने से झाइयां मिटती है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो कि एजिंग को रोकता है और त्वचा से झाइयों को मिटाता है।
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Tuesday, 7 January 2014
Asthma can be controlled by taking fiber food
शोधकर्ताओं के अनुसार रेशेदार फल एवं सब्जियों का सेवन शरीर की अधिक सक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली को शांत करने में मदत मिलती है, जो आंतों में ऐंठन, आंत्रशोथ और आंतों के कैंसर का कारण बन सकती है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अधिक रेशेयुक्त भोजन लेने से दमा पर नियंत्रन किया जा सकता है, क्योंकि रेशेदार भोजन अस्थिमज्जा में विकसित होने वाले रोग प्रतिरक्षी कोशिकाओं के विकास होने से रोकती है। एक वेबसाइट के अनुसार, जब हम रेशेदार फल या सब्जी का सेवन करते हैं तो हमारी आंतों में प्राकृतिक रूप से मौजूद जीवाणु उन रेशों को पचाने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया में उत्सर्जित वसा अम्ल प्रतिरक्षी कोशिकाओं के संपर्क में आने के बाद ज्वलनशील स्
वैज्ञानिकों का मानना है कि अधिक रेशेयुक्त भोजन लेने से दमा पर नियंत्रन किया जा सकता है, क्योंकि रेशेदार भोजन अस्थिमज्जा में विकसित होने वाले रोग प्रतिरक्षी कोशिकाओं के विकास होने से रोकती है। एक वेबसाइट के अनुसार, जब हम रेशेदार फल या सब्जी का सेवन करते हैं तो हमारी आंतों में प्राकृतिक रूप से मौजूद जीवाणु उन रेशों को पचाने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया में उत्सर्जित वसा अम्ल प्रतिरक्षी कोशिकाओं के संपर्क में आने के बाद ज्वलनशील स्
थिति पर नियंत्रण रखती है। ये वसा अम्ल प्रतिरक्षी कोशिकाओं के साथ संयुक्त होकर पूरे शरीर में रक्त प्रवाह के माध्यम से पहुंच जाती है। अध्ययन कर्ताओं का कहना है कि रेशेदार भोजन शरीर में दमा जैसे रोगों में असरकारक हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि पश्चिमी देशों में 60 के दशक में जब भोजन में रेशेदार पदार्थो के सेवन में कमी आई तो उसी दौरान दमा का तेजी से प्रसार हुआ। लेकिन कम विकसित देशों में भी अब दमा एक आम रोग हो चुकी है। इस विषय में स्विट्जरलैंड के लुसाने विश्वविद्यालय में प्रतिरक्षा विज्ञानी बेंजामिन मार्सलैंड व उनके साथी द्वारा चूहों पर दो सप्ताहों तक किये गए शोधों से पता चला है कि चूहों के धूल कणों में एक एलर्जी पैदा करने वाली चीज पाई, जो मनुष्यों में दमा फैलाने में अहम भूमिका अदा करती है।
Monday, 6 January 2014
unnecessarily death can be stopped by increase high tax of smoking for stop smoking
भारत जैसे देशों में सबसे कम कीमत वाला सिगरेट मिलती है जिसे एक आम आदमी भी खरीद कर पी सकता है। यह कारण है कि भारत में धूम्रपान करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है इसका एक मात्र समाधान
ऊंचा कर है। शोध पत्रिका ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन’ में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में यदि सिगरेट पर कर 3 गुणा बढ़ा दिया जाए, तो धूम्रपान करने वालों की संख्या में एक तिहाई गिरावट आएगी तथा इस सदी में फेफड़े के कैंसर तथा अन्य कारणों से होने वाली असमय मौत में 20 करोड़ तक की कमी आएगी। यहां सेंट माइकेल्स अस्पताल के वैश्विक स्वास्थ्य शोध केंद्र के निदेशक व रिपोर्ट के मुख्य लेखक प्रभात झा के मुताबिक कर बढ़ने से अलग-अलग
सिगरेट की कीमतों का अंतर घट जाएगा और लोग अपेक्षाकृत सस्ता सिगरेट खरीदने की अपेक्षा सिगरेट खरीदना ही बंद कर देंगे। टोबेको कंट्रोल पोलिसी इवेल्युएशन प्रोजेक्ट इंडिया (टीसीपी इंडिया) के अनुसार भारत में करीब 27.5 करोड़ लोग तंबाकू का नशा करते हैं। भारत में पुरुषों को होने वाले कैंसर के सभी मामलों में से करीब आधा तंबाकू के कारण और महिलाओं के मामले में करीब एक चौथाई तंबाकू के कारण होता है। एक अनुमान के मुताबिक 2020 तक हर साल 15 लाख लोगों की मौत तंबाकू जन्य कारणों से होने लगेगी। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और रिपोर्ट के सह-लेखक रिचर्ड पेटो के मुताबिक सरकार को तंबाकू उपयोग पर रोक लगाने के लिए कदम उठाना चाहिए। उनके मुताबिक कर बढ़ाना एक कारगर उपाय है। इससे तिहरा लाभ होगा। धूम्रपान करने वालों और उसकी वजह से होने वाली मौत की संख्या घटेगी, धूम्रपान के कारण होने वाली असमय मौत कम होगी और सरकार की आय भी बढ़ेगी।
हेल्थ से संबंधित अधिक जानकारी के लिए-
heart diseases, Fatness, No side effect of sugar of fruits, vegetable and hunney
अक्सर मोटापे की बीमारी के लिए फलों, सब्जियों और शहद में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली शर्करा को दोष दिया जाता है जिसकी वजह से अक्सर चिकित्सक इसकी अधिक मात्रा में सेवन करने से माना करते हैं लेकिन एक शोध से पाया गया है कि दिल की बीमारियों में फल,
Sunday, 5 January 2014
wheat grass, Juice of wheat grass
गेहूं के जवारों में अनेक पोषक तत्व व रोग निवारक गुण पाए जाते हैं जिससे इसे आहार नहीं वरन् अमृत का दर्जा भी दिया जाता है। जवारों में सबसे प्रमुख तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है। गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं। इसलिए कोई भी रोग हो तो वर्तमान में चल रही चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ इसका प्रयोग कर बहुत लाभ प्राप्त किया जा सकता है। जवारों के जूस एक प्रकार के शक्तिवर्धक टॉनिक के रूप में कार्य करता है और शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है।
हिमोग्लोबिन रक्त में पाया जाने वाला एक तत्व है। हिमोग्लोबिन में हेमिन नामक तत्व पाया जाता है। रासायनिक रूप से हिमोग्लोबिन व हेमिन में काफी समानता है। हिमोग्लोबिन व हेमिन में कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन व नाइट्रोजन के अणुओं की संख्या व उनकी आपस में संरचना भी करीब-करीब एक जैसी होती है। हिमोग्लोबिन व हेमिन की संरचना में केवल एक ही अंतर होता है कि क्लोरोफिल के परमाणु केंद्र में मैग्नेशियम, जबकि हेमिन के परमाणु केंद्र में लोहा स्थित होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि हिमोग्लोबिन व क्लोरोफिल में काफी समानता है और इसीलिए गेहूं के जवारों को हरा रक्त कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
हिमोग्लोबिन रक्त में पाया जाने वाला एक तत्व है। हिमोग्लोबिन में हेमिन नामक तत्व पाया जाता है। रासायनिक रूप से हिमोग्लोबिन व हेमिन में काफी समानता है। हिमोग्लोबिन व हेमिन में कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन व नाइट्रोजन के अणुओं की संख्या व उनकी आपस में संरचना भी करीब-करीब एक जैसी होती है। हिमोग्लोबिन व हेमिन की संरचना में केवल एक ही अंतर होता है कि क्लोरोफिल के परमाणु केंद्र में मैग्नेशियम, जबकि हेमिन के परमाणु केंद्र में लोहा स्थित होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि हिमोग्लोबिन व क्लोरोफिल में काफी समानता है और इसीलिए गेहूं के जवारों को हरा रक्त कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
Use of water for diseases care
Water Therapy |
पानी द्वारा अनेक प्रकार के रोगों को दूर किया जाता है। पानी द्वारा रोगों का उपचार की विधि बहुत प्राचीन है। इससे जलचिकित्सा के नाम से जाना जाता है।
पानी का उपयोग की विधि-
रात को सोने से पहले लगभग एक लीटर पानी किसी बर्तन में ढ़क कर रखें दें और सुबह उठकर चार बड़े ग्लास भरकर पानी एक ही समय एक साथ पी जाएं। ध्यान रहे कि पानी पीने के पहले मुंह न धोएं, न ब्रश करें तथा शौचकर्म भी न करें। पानी पीने के बाद थूकें नहीं।
पानी पीने के पौन घंटे बाद आप ब्रश/दातून, मुंह धोना, शौचकर्म इत्यादि नित्यकर्म करें। जो व्यक्ति बीमार या कमजोर हो और वे एक साथ चार ग्लास पानी नहीं पी सकें तो उन्हें शुरूआत एक-दो ग्लास पानी से करना चाहिए तथा धीरे-धीरे चार ग्लास तक बढ़ाना चाहिए। साथ ही भोजन करने के बाद लगभग दो घंटे पानी न पिया जाए तो अति उत्तम रहेगा। चार ग्लास पानी पीने की यह विधि स्वस्थ या बीमार, सभी के लिए अति लाभदायक सिद्ध हुई है। सकनीरा एसोसिएशन के अनुभव द्वारा यह सिद्ध किया गया है कि कई बीमारियां इस प्रयोग से निम्नलिखित समय में दूर होती जाती हैं।
पानी का उपयोग की विधि-
रात को सोने से पहले लगभग एक लीटर पानी किसी बर्तन में ढ़क कर रखें दें और सुबह उठकर चार बड़े ग्लास भरकर पानी एक ही समय एक साथ पी जाएं। ध्यान रहे कि पानी पीने के पहले मुंह न धोएं, न ब्रश करें तथा शौचकर्म भी न करें। पानी पीने के बाद थूकें नहीं।
पानी पीने के पौन घंटे बाद आप ब्रश/दातून, मुंह धोना, शौचकर्म इत्यादि नित्यकर्म करें। जो व्यक्ति बीमार या कमजोर हो और वे एक साथ चार ग्लास पानी नहीं पी सकें तो उन्हें शुरूआत एक-दो ग्लास पानी से करना चाहिए तथा धीरे-धीरे चार ग्लास तक बढ़ाना चाहिए। साथ ही भोजन करने के बाद लगभग दो घंटे पानी न पिया जाए तो अति उत्तम रहेगा। चार ग्लास पानी पीने की यह विधि स्वस्थ या बीमार, सभी के लिए अति लाभदायक सिद्ध हुई है। सकनीरा एसोसिएशन के अनुभव द्वारा यह सिद्ध किया गया है कि कई बीमारियां इस प्रयोग से निम्नलिखित समय में दूर होती जाती हैं।
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