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Monday, 27 January 2014

How to get beastliness about yoga

कैसे पाएं योगा से खूबसूरती
योग खुबसुरती को बढ़ाने का एक ऐसा साधान है जिसमें न तो पैसे लगते हैं और ना ही किसी प्रकार का कोई साईडिफैक्ट होता है। योग के अभ्यास से शरीर को खुबसुरत बनाने के साथ मन को भी प्रसन्न रखा जा सकता है। सुंदरता के लिए कैसे करें योग का अभ्यास।
योग का अभ्यास- सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और अपने पैर को एक फुट की दूरी तक पैर फैलाएं। अब अपने चेहरे को हथेली से कवर करें और 10 बार लंबी-लंबी सांसे लें। इसके बाद अपने चेहरे, आंखों, माथे को उंगलियों से रगड़े और तेज-तेज सांस लें।
लाभ- इस तरह से योगा का अभ्यास करने से चेहरे पर ग्लो आता है, स्किन सॉफ्ट और रिंकल्स फ्री बनता है। इससे आंखों के नीचे के डार्क सर्कल कम हो जाते हैं और चिक पर शाइन आती है।
अगर चेहरे पर कम उम्र में ही रिंकल्स आने लगे हैं तो ऐसे में पूरे चेहरे की स्किन को हल्के हाथों से रगड़ते हुए लंबी सांस लेने ले से रिंकल्स कम होते हैं और चेहरा फ्रेश होगा।
गर्दन को सुडौल और सुंदर बनाने के लिए
योग का अभ्यास- अभ्यास के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और अपने शरीर को पूरी तरह से सीधे रखें। अब कंधों को बिना हिलाएं अपनी गर्दन को जितना लेफ्ट में मोड़ सकते हैं, मोड़। यह क्रिया लगभग 10 बार करें। इस क्रिया को पहले सिर के आगे की और करें और फिर पीछे की तरफ करें। ऐसा करने से आपकी चिन चेस्ट को छूनी चाहिए। इसे लगभग 3 बार करें। इस अभ्यास को बिना कोई झटका या जोर लगाए आराम से करें।
लाभ- इसका अभ्यास हमेशा करने से गर्दन की फैट कम होगी और आपकी गर्दन शेप में आएगी। यही नहीं, इसके अभ्यास से आपका गर्दन के रिंकल्स आने की प्रोसेस भी कम होगा। इसका अभ्यास से माइंड और बॉडी को भी आराम मिलता है। यह शरीर से टॉक्सिंस को रिमूव कर बॉडी को फ्लैक्सिबल बनाती है।

Friday, 24 January 2014

Beauty care by yoga


योग, सुंदरता के लिए है सबसे अच्छा 
दुनिया की हर स्त्री सुंदर दिखना चाहती है और अपने आप को सुंदर बनाने के लिए अनेक प्रकार के कृत्रिम उपाय अपनाती है। लड़कियां अपने आप को सुंदर दिखाने के लिए मेकअप करने से लेकर बाल रंगने तक कई उपाय करती है लेकिन इतना सब करने के बाद भी उनकी सुंदरता लंबे समय तक नहीं टिक पाता है। ऐसे में लड़कियों को कुछ ऐसे साधन चाहिए जिससे उसकी सुंदरता हमेशा बना रहे और उम्र का असर भी कम दिखाई दें। सुंदरता बनाए रखने के लिए योगासन और प्राकृतिक चिकित्सा दो ऐसे साधन हैं जिनके जरिए स्त्रियां उम्रदराज होने पर भी सुंदर लग सकती हैं।
योगासन : योगासन के अभ्यास के लिए रोज 20-25 मिनट जरूर निकालें। योगा के अभ्यास से त्वचा की झुर्रियों के साथ पेट की अधिक चर्बी भी कम होती है। अभ्यास के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो कर दोनों हथेलियों से चेहरे को ढंक ले और फिर गहरी सांसें लें और छोड़े कुछ मिनटों के बाद उंगलियों की पोरों की ठोड़ी से लेकर माथे तक मालिश करिए। यह कसरत कम से कम तीन बार करें। इसी के साथ कपालभाति एवं अनुलोम विलोम भी कर लें। इससे त्वचा मुलायम और चमकदार होती है।
सुडौल गर्दन : अपने पैरों को पास में रखकर खड़े हो जाइए। चेहरे को पीछे की ओर मोड़कर जितना पीछे जा सकते हो जाएं और थोड़ी देर इसी अवस्था में रुकें। अब ठोड़ी को छाती की हड्डी पर गले के नीचे चिपका दें। यदि चिपकाना संभव न हो तब भी कोशिश करते रहें। सीधे खड़े रहें और कंधों को बिना हिलाए सिर को दोनों साइड में झुकाएं। कोशिश करें कि सिर को कंधे पर टिका सकें। ऐसा दोनों ओर करें। इस आसन को कम से कम 20 बार करें। इस आसन के बाद गरदन को दोनों तरफ तेजी से 10 बार झटकें। इससे गर्दन सुडौल होता है।
पेट की अधिक चर्बी : अपने पैरों को फैलाकर खड़े हो जाएं। आगे की ओर बिना घुटना मोड़े पैरों की उंगलियों को हाथ की उंगलियों की पोरों से पकड़ने की कोशिश करें। संभव है कि पहली बार आप ऐसा
नहीं कर पाएं लेकिन रोज कोशिश करेंगे तो शायद एक दिन कर पाएं। रोजाना 10-10 के क्रम में दो बार करें। पैरों को दो फुट की दूरी तक फैला लें और शरीर को आगे की ओर 90 डिग्री के कोण बनाते हुए झुका लें। अब सीधे हाथ की उंगलियों से बाएं पैर की उंगलियों को स्पर्श करने का प्रयत्न करें। दोनों ओर इसे कम से कम 20 बार करें। जमीन पर सीधे लेट जाएं। पैरों को पास में रखें। अब पैरों को बिना घुटने मोड़े ऊपर उठाने का प्रयत्न करें। इसी तरह सिर को धड़ सहित ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस तरह शरीर की आकृति एक नाव की तरह हो जाएगी। नौका जैसी आकृति बनाते हुए एक मिनट तक रुकें। इसके अलावा पेट की चर्बी गलाने के लिए आप पश्चिमोत्तान आसन कर सकते हैं।
सुडौल कमर : नाजुक या सुडौल कमर पाना हर स्त्री का ऐसा सपना है जो कम ही पूरा होता है। कमर का घेरा कम तब ही लगता है जब पेट की अनावश्यक चर्बी खत्म हो जाती है। आप चाहें तो इन  आसनों को आजमा सकती हैं। पैरों को एक फुट की दूरी बनाते हुए खड़ी हो जाएं। हाथों को साइड में जमीन के समानांतर कंधों की ऊँचाई तक फैला लें। अब शरीर के उपरी हिस्से को बाईं ओर जितना मोड़ सकते हों मोड़ लें तथा पीछे की ओर देखें। ध्यान रखें कि पैर जमीन पर टिके रहें। ऐसा ही दूसरी तरफ भी करें। दस से बीस बार ऐसा रोजाने करने से कमर सुडौल होता है। पवनमुक्तासन, भुजंगासन, धनुर्रासन आसानी से कर सकते हैं।

Thursday, 23 January 2014

Natural Green Juice is good for health

नेचुरल ग्रीन जूस स्वास्थ्य के लिए है बहुत फायदेमंद
पालक और नारियल जूस- पालक और नारियल का जूस पीना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। नारियल के जूस बनाने के लिए एक कप नारियल का दूध, कटी हुई पालक, एक कप केल पत्तियां सेलेरी की स्टिक, 1 केला और दालचीनी लेकर इन सभी को मिक्‍स करके जूस निकाल लें। यह ग्रीन जूस स्‍वाद में मीठा होता है और इस जूस से शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह शरीर के विषैले तत्‍वों को नष्ट करता है और पाचन क्रिया को स्वास्थ्य रखता है।
एलोवेरा जूस- एलोवेरा में कई स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक गुण होते है। यह शरीर के विषाक्ता को निष्ट करने का अच्छा कार्य करता है। यह बॉडी से विषैले तत्‍वों को बाहर निकाल देता है और शरीर को डिहाईड्रेट होने से बचाता है।
खीरा और पालक जूस-  एक कप कटी हुई पालक और एक खीरा लेकर इसमें
स्‍वाद के लिए नमक, नींबू या पीपर डाल लेकर पानी मिलाकर जूस बनाएं। इसका पीना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभप्रद होता है। खीरा एक अच्‍छा नेचुरल क्‍लींजर होता है और इसमें प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। वहीं, पालक में एंटी-ऑक्‍सीडेंट, प्रोटीन और अन्‍य पोषक तत्‍व होते है जो शरीर के लिए लाभकारी होता है।
पुदीना और नींबू जूस- पुदीना ताजगी देता है और नींबू एनर्जी देता है। इसलिए पुदीना और नींबू को मिलाकर जूस बनाकर पीने से बॉडी में ड्रिहाईड्रेशन नहीं होता है। पुदीने की पत्तियों रस निकाल कर इसमें नींबू का रस स्‍वाद के लिए नमक, चीनी और दालचीनी और पानी मिलाकर पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और कभी शरीर में पानी की कमी नहीं होती।

Tuesday, 21 January 2014

Sex knowledge, satisfaction during sex

स्त्रियों में होती है चरम सुख पहुंचने की क्षमता अधिक
सेक्स संबंध में चरम आनंद को ऑर्गेज्म कहा जाता है। स्त्रियों में चरम सुख की स्थिति धीरे-धीरे या देर से मिलती है जिसकी वजह से कई स्त्रियों को इसके आने या होने का एहसास भी नहीं होता।
सेक्सोलॉजिस्टों का मानना हैं कि पूरुष का शरीर विभिन्न चरम सुख
कुपोषण, विटामिंस की कमी, सेक्स संबंधों की अज्ञाता के चलते हमारे देश में लोग मानसिक चरम सुख पाते हैं और उसे ही पर्याप्त समझते हैं। अधिकांस दंपति सुहागरात के दिन चरम आनंद का अनुभव नहीं कर पाते। कई बार प्रथम रात्रि में आनंद प्राप्त करना भी संभव नहीं होता, चरम सुख तो दूर की बात है। दरअसल, उस रात्रि को कई तरह के डर हावी रहते हैं जिसकी वजह से सेक्स का चरम सुख प्राप्त नहीं हो पाता। सेक्सोलॉजिस्टों का कहना है कि मिलन के लिए दोनों की मानसिकता एक जैसी हो, यह आवश्यक नहीं। चरमानंद तालमेल, स्नेह व सद्व्यवहार पर निर्भर करता है। अक्सर पुरुष को चरम आनंद मिल जाने पर स्त्रियां अपने कर्तव्य की पूर्ति समझ लेती है। चाहे उसे सेक्स में चरम सुख प्राप्त हो या ना हो। ऐसे में स्त्रियों को सेक्स में चरम सुख की प्राप्ति के लिए सेक्स का नॉलेज होना आवश्यक है। स्त्रियों को पता होना चाहिए कि चरम सुख क्या है और किस प्रकार के सेक्स उसके लिए वेहतर है। सेक्स के समय कैसी सावधानी वर्तनी चाहिए। इस तरह के नॉलेज से ही स्त्रियां पुरुष के समान चरम सुख को प्राप्त कर सकती है।  वाला है जबकि प्रकृति ने स्त्री को पुरुष की तुलना में अधिक बार चरम सुख पहुंचने की क्षमता दी है।

Monday, 20 January 2014

Does the menstruation effect brest feeding

क्‍या मासिकधर्म, स्‍तनपान को प्रभावित करता है ?
कई महिलाओं को मासिकधर्म बच्चे के जन्म देने के दो महीने बाद शुरू होते है। इस अवस्था में स्त्रियां काफी उलझन में रहती है कि कहीं उनके स्‍तनपान से बच्चे या स्वयं को कोई तकलीफ तो नहीं हो गई। एक बार मासिकधर्म शरू हो जाने के बाद भी आपको बच्‍चे को स्‍तनपान कराने के दौर तक उतार-चढ़ाव आता रहता है। जैसे ही आप बच्‍चे को स्‍तनपान करवाना बंद कर देती है, तभी से आपको मासिकधर्म सामान्य रूप से आने लगता है।
मासिकधर्म से, स्‍तनपान पर पड़ने वाला प्रभाव निम्न है:
1) फर्टिलिटी रिटर्न : डिलीवरी के बाद पहले मासिकधर्म आने से स्त्रियों को फिर से फर्टिलिटी हो सकती है। ऐसा में आपको बच्‍चे को स्‍तनपान कराने का मन नहीं करता है जिससे स्‍तनपान की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है।
2) हारमोन्‍स में परिवर्तन : मासिकधर्म के दौरान शरीर के हारमोन्‍स में परिवर्तन होता है। इस वजह से स्त्रियों के मूड में बदलाव आता है और शारीरिक परिवर्तन भी होते है। ऐसे में हो सकता है कि स्त्रियों को मासिकधर्म के दिनों में स्‍तनों कराने से दर्द होता होगा।
3) स्‍वाद में बदलाव : मासिकधर्म के दौरान, हारमोन्‍स में परिवर्तन आने से ब्रेस्‍टमिल्‍क के स्‍वाद में भी परिवर्तन आ जाता है जिसकी वजह से बच्‍चा दूध पीने से कतराते हों।
4) सि‍रदर्द : मासिकधर्म शरू होने से पहले सिरदर्द होना एक स्‍वाभाविक लक्षण है। मासिकधर्म के दौरान हारमोन्‍स में परिवर्तन आने से स्‍तनपान कराने पर स्त्रियों को तनाव महसूस होता है और सिर में दर्द होता है।
5) ब्रेस्‍टमिल्‍क में कमी : डिलीवरी के बाद, मासिकधर्म के शुरू होने पर स्‍तनपान कराने पर ब्रेस्‍टमिल्‍क में कमी रहती है। हारमोन्‍स में परिवर्तन आने की वजह से शरीर में दूध के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है जिससे स्तनपान की प्रक्रिया प्रभावित होती है। ऐसी स्थिति में बॉडी में ब्‍लड़ सप्‍लाई करने वाले नेचुरल प्रोडक्‍ट का सेवन करना चाहिए।
6) निप्‍पल में दर्द : क्‍या आपको मासिकधर्म के दौरान निप्‍पल में दर्द होता है। अगर ऐसा
7) लगातार स्‍तनपान : स्‍तनपान के दौरान मासिकधर्म सामान्‍य नहीं होते है। मासिकधर्म शुरू हो जाने का मतलब यह नहीं होता है कि आप बच्‍चे को स्‍तनपान न कराएं। उन दिनों में आपको बच्‍चे को लगातार स्‍तनपान कराते रहना चाहिए, इससे स्‍तनों में दूध निकलता रहता है और अन्‍य समस्‍याएं पैदा नहीं होती है।

है तो आपको मासिकधर्म के दिनों में बच्‍चे को स्‍तनपान कराने में दिक्‍कत आ सकती है। इस तरह के केस में, आपको निप्‍पल शील्‍ड का इस्‍तेमाल करना चाहिए।
गर्भावस्था संबंधी अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-
गर्भावस्था
गर्भावस्था में भोजन
गर्भावस्था के लक्षण

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