कैंसर
कैंसर का नाम सुनते ही शरीर में एक सिहरन सी हो जाया करती है। प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर भय व्याप्त हो जाता है क्योंकि यह प्राणघातक बीमारी है। इसे लाइलाज माना जाता है। प्रथम और द्वितीय स्तर तक पहुँचे कैंसर का इलाज तो संभव हो सका है, लेकिन तृतीय स्तर तक पहुँचे रोग का इलाज संभव नही है। यदि कुछ प्रतिशत संभव भी है, तो इलाज बहुत मंहगा है कि आम व्यक्ति के बस में नहीं है। फिर भी चिकित्सा जगत् अपनी कोशिश बराबर कर रहा है। निरंतर नई-नई शोधें कर रहा है। नई-नई विधियों से कैंसर निर्मूलन की कोशिश कर रहा है। कुछ हद तक सफल भी हुआ है, but पूर्ण सफलता से अभी दूर है। इसका कारण है कि प्रथम स्तर में कोई कैंसर को समझ नहीं पाता, जिसकी कारण से वह उसका उचित इलाज नहीं हो पाता। यदि जिसने इस disease का परीक्षण भी करा लिया तो औषधियां इतनी महंगी है कि वह उनका सेवन नहीं कर पाता। इसलिये यह disease बढ़ता ही जाता है और अंततोगत्वा बीमार व्यक्ति को निगल जाता है।
कैंसर के वजह-
1- कैसर के विषय की सम्पूर्ण जानकारी का अभाव ।
2- अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही की कारण से body के अन्दर और बाहर की साफ-सफाई न रखना ।
3- तम्बाकू और पान मसाला (गुटका) आदि का लगातार सेवन।
4- बीड़ी, सिगरेट, गांजा आदि का सेवन ।
5- शराब के लगातार सेवन से ।
6- पेट के कीडे़ (कृमि) से अमाशय या बड़ी आँत का कैंसर ।
7- मांसाहार के लगातार सेवन से।
जब व्यक्ति बीड़ी, सिगरेट, गांजा आदि का लगातार सेवन करता है तो फेफड़ों को शुद्ध ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है, जिसके वजह खून पूर्णतः फिल्टर नही हो पाता। यही प्रकिया लगातार बनी रहने की कारण से रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है और कोई भी रोग खड़ा बन जाता है। ऐसा ही लगातार शराब के पी लेने से होती है। पानमसाला और गुटका में पड़े रसायनों से मुँह में रियेक्शन के अनुसार हुए घाव कैंसर का रूप ले लेते हैं। इसी प्रकार से पेट के कीड़े भी कैंसर का वजह बनते हैं, जब पेट में कीड़े पड़ जाते हैं और वह वहां रहते हुए अपना आकार बढ़ा लेते हैं, साथ ही बहुत सारे हो जाते हैं, ऐसी अवस्था में जब आप भोजन करते हैं तो वह कीड़े उस खाने को भी खा जाते हैं और मल विर्सजन करते हैं, वही जहरीला मल आंतो द्वारा खींचकर खून में मिला दिया जाता है, जिसकी वजह से खून में खराबी आ जाती है, साथ ही जब कीड़ों को कुछ खाने को नहीं मिलता तो वह आँतों की दीवारों को काटते हैं और वहां घाव उत्पन्न कर देते हैं। जैसे ही हमारे खाने के साथ कैंसर के बैक्टीरिया पेट में जाते हैं और उस घाव के सम्पर्क में आते हैं तो वह घाव कैंसर में परिवर्तित हो जाता हैं। इसी प्रकार मांसाहार से भी कैंसर फैलता है। जब कोई पशु-पक्षी कैंसर से पीड़ित होता है, हम उसे मारकर उसका मांस खाते हैं तो इस मांस के साथ कैंसर के जीवाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और कैंसर का वजह बनते हैं।
कैंसर के प्रारम्भिक लक्षण
1- शरीर में कहीं भी घाव हो, जो भरता न हो।
2- body के किसी भी अंग से खून या मवाद लगातार आना।
3- body के किसी अंग या स्तन में गांठ का होना तथा धीरे-धीरे बढ़ना और उसे दबाने से दर्द होना।
4- लगातार अपच की Problem रहना।
5- खाना निगलने में कठिनाई होना।
6- लगातार मिचली की Problem होना।
7- पेट में लगातार दर्द बना रहना।
8- नाक में सूजन आना, सांस लेने में समस्या तथा लगातार नाक में दर्द।
यदि ऐसी परिअवस्था आपके साथ हो रही है, तो इसे सामान्य न मानकर किसी योग्य कैंसर विशेषज्ञ से जांच अवश्य करा लिजिएं। यदि कैंसर की स्थिति निकले तो तुरन्त चिकित्सक की सलाह पर औषदि का सेवन करें। कैंसर, प्रथम और द्वितीय स्टेज तक पूर्णतः सही हो सकता है। कैंसर विशेषज्ञ आपका कुछ खून परीक्षण, एक्सरे, अल्ट्रासाउण्ड या सी.टी. स्कैन व एम.आर.आई. जैसी जांचें करेंगे, तथा इसकी पूर्ण अवस्था समझने के लिए बायोप्सी परीक्षण कर आपको कैंसर की सही अवस्था बता देंगे। उसी According आपकी रेडियोथिरेपी या कीमोथिरेपी चिकित्सा की सलाह देंगे। यह चिकित्सा बहुत मंहगी है जिसे सभी नहीं अपना सकते हैं।
कैसर के प्रथम और द्वितीय स्टेज के बीमार व्यक्ति Ayurved चिकित्सा से भी पूर्णतः सही होते हैं। अवश्यक है, लगन और विश्वास से इन औषधियों (Ayurvedic Medicines) के सेवन की, इसमें पैसा भी कम खर्च होता है और साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं। अवश्यक है सही औषधियों के मिलने की और अच्छे वैद्य की देख रेख में औषधि सेवन की।
कैंसर निवारक Ayurvedic औषधियाँ-
1- कैंसर नासक चूर्ण (Powder)-
पारसपीपर के बीज की गिरी, शुद्ध कपूर, जावित्री, जीयापोता (पुत्रजीवा) की गिरी, नीमगिलोय का (स्वयं का बनाया हुआ), इन सभी औषधियों (Ayurvedic Medicines) के समभाग चूर्ण (Powder) को एक साथ मिलाकर एक बन्द डिब्बे में रख लिजिएं। Daily सुबह में खाली पेट आधा Grams औषधि के चूर्ण (Powder) को 10 grams शहद और 10 grams गौमूत्र अर्क के साथ रात को सोते Time लिजिएं। लगातार रोग पूर्णरूपेण सही होने तक लिजिएं। इस औषधि के खाने से पतले दस्त जाते हैं, उस अवस्था में औषधि की मात्रा कम कर दें पर औषधि रोके नहीं। यह औषधि मरीज के बलाबल के According कम या अधिक मात्रा में दी जा सकती हैं। इससे कैंसर की गांठ body के किसी भी हिस्से में होगी सही होगी व कैंसर का घाव भी सही होता है।
2- कैंसर नासक जड़ी-
सहस्रमुरिया का एक पौधा Daily जल में के साथ पीस लें और साथ में 10 grams शहद व 15 नग तुलसी पत्र व 10 grams गौमूत्र अर्क को मिलाकर सुबह में खाली पेट बीमार व्यक्ति को खिलायें। यह औषधि लगातार रोग सही होने तक दें। body के किसी भी अंग में कैंसर की गाठं या घाव को सही करती है। साथ ही खूनरोहेड़ा की छाल 2 तोला को 100 grams जल में धीमी आंच में पकाकर, जब वह जल 25 grams रह जाय तो उसे शाम को सोते Time 10 grams शुद्ध शहद व 10 grams गौमूत्र अर्क के साथ मिलाकर पिलायें, रोग सही होने तक। बीमार व्यक्ति पूर्ण धैर्य व विश्वास के साथ ही औषधि का लें लाभ जरूर होगा।
नोट- इसी खूनरोहेड़ा की Ayurved में रोहितारिष्ट नाम से औषधि बनाई जाती है।
3- गेंहूँ के जवारे से कैंसर का नास
सिद्ध मकरध्वज 5 grams, कृमि मुदगरस 5 grams, सितोपलादि चूर्ण (Powder) 60 grams, मुक्ता पिष्टी 3 Grams, त्रणकान्तमणि पिष्टी 10 grams, अभ्रकभस्म सहस्त्रपुटी 5 grams, महायोगराज गुग्गुल 5 grams, श्रृंगभस्म 2 Grams, हीरक भस्म 5 मि,ग्रा., स्वर्ण भस्म 5 मि.ग्रा., नीम गिलोय 10 grams, इन सभी औषधियों को के साथ पीस लें और मिला लिजिएं और 120 पुड़िया बना लिजिएं। एक पुड़िया औषधि को 20 grams गेंहूँ के जवारे का रस, 10 grams शुद्ध शहद, 10 grams गौमूत्र अर्क, 15 पत्ते तुलसी के साथ सुबह में खाली पेट औषधि दें। औषधि की मात्रा बीमार व्यक्ति के According कम या अधिक की जा सकती हैं। इससे शरीर में कही भी गांठ या घाव हो, सही होता है।
परहेज-
शराब, मांस, बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, गांजा आदि किसी भी तरह का नशा, गुटका, पान-मसाला, अधिक तली चीजें, अचार, लालमिर्च आदि का सेवन न करें।
नोट - मरीज को औषधियों की पहचान न होने की कारण से इन औषधियों का सेवन किसी योग्य वैद्य की देख-रेख में ही लिजिएं। किसी औषधि का गलत तरीके से सेवन नुक्सान दायक भी हो सकता है इसके लिये लेखक जिम्मेदार नहीं होगा।
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