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Tuesday 21 January 2014

Sex knowledge, satisfaction during sex

स्त्रियों में होती है चरम सुख पहुंचने की क्षमता अधिक
सेक्स संबंध में चरम आनंद को ऑर्गेज्म कहा जाता है। स्त्रियों में चरम सुख की स्थिति धीरे-धीरे या देर से मिलती है जिसकी वजह से कई स्त्रियों को इसके आने या होने का एहसास भी नहीं होता।
सेक्सोलॉजिस्टों का मानना हैं कि पूरुष का शरीर विभिन्न चरम सुख
कुपोषण, विटामिंस की कमी, सेक्स संबंधों की अज्ञाता के चलते हमारे देश में लोग मानसिक चरम सुख पाते हैं और उसे ही पर्याप्त समझते हैं। अधिकांस दंपति सुहागरात के दिन चरम आनंद का अनुभव नहीं कर पाते। कई बार प्रथम रात्रि में आनंद प्राप्त करना भी संभव नहीं होता, चरम सुख तो दूर की बात है। दरअसल, उस रात्रि को कई तरह के डर हावी रहते हैं जिसकी वजह से सेक्स का चरम सुख प्राप्त नहीं हो पाता। सेक्सोलॉजिस्टों का कहना है कि मिलन के लिए दोनों की मानसिकता एक जैसी हो, यह आवश्यक नहीं। चरमानंद तालमेल, स्नेह व सद्व्यवहार पर निर्भर करता है। अक्सर पुरुष को चरम आनंद मिल जाने पर स्त्रियां अपने कर्तव्य की पूर्ति समझ लेती है। चाहे उसे सेक्स में चरम सुख प्राप्त हो या ना हो। ऐसे में स्त्रियों को सेक्स में चरम सुख की प्राप्ति के लिए सेक्स का नॉलेज होना आवश्यक है। स्त्रियों को पता होना चाहिए कि चरम सुख क्या है और किस प्रकार के सेक्स उसके लिए वेहतर है। सेक्स के समय कैसी सावधानी वर्तनी चाहिए। इस तरह के नॉलेज से ही स्त्रियां पुरुष के समान चरम सुख को प्राप्त कर सकती है।  वाला है जबकि प्रकृति ने स्त्री को पुरुष की तुलना में अधिक बार चरम सुख पहुंचने की क्षमता दी है।

Monday 20 January 2014

Does the menstruation effect brest feeding

क्‍या मासिकधर्म, स्‍तनपान को प्रभावित करता है ?
कई महिलाओं को मासिकधर्म बच्चे के जन्म देने के दो महीने बाद शुरू होते है। इस अवस्था में स्त्रियां काफी उलझन में रहती है कि कहीं उनके स्‍तनपान से बच्चे या स्वयं को कोई तकलीफ तो नहीं हो गई। एक बार मासिकधर्म शरू हो जाने के बाद भी आपको बच्‍चे को स्‍तनपान कराने के दौर तक उतार-चढ़ाव आता रहता है। जैसे ही आप बच्‍चे को स्‍तनपान करवाना बंद कर देती है, तभी से आपको मासिकधर्म सामान्य रूप से आने लगता है।
मासिकधर्म से, स्‍तनपान पर पड़ने वाला प्रभाव निम्न है:
1) फर्टिलिटी रिटर्न : डिलीवरी के बाद पहले मासिकधर्म आने से स्त्रियों को फिर से फर्टिलिटी हो सकती है। ऐसा में आपको बच्‍चे को स्‍तनपान कराने का मन नहीं करता है जिससे स्‍तनपान की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है।
2) हारमोन्‍स में परिवर्तन : मासिकधर्म के दौरान शरीर के हारमोन्‍स में परिवर्तन होता है। इस वजह से स्त्रियों के मूड में बदलाव आता है और शारीरिक परिवर्तन भी होते है। ऐसे में हो सकता है कि स्त्रियों को मासिकधर्म के दिनों में स्‍तनों कराने से दर्द होता होगा।
3) स्‍वाद में बदलाव : मासिकधर्म के दौरान, हारमोन्‍स में परिवर्तन आने से ब्रेस्‍टमिल्‍क के स्‍वाद में भी परिवर्तन आ जाता है जिसकी वजह से बच्‍चा दूध पीने से कतराते हों।
4) सि‍रदर्द : मासिकधर्म शरू होने से पहले सिरदर्द होना एक स्‍वाभाविक लक्षण है। मासिकधर्म के दौरान हारमोन्‍स में परिवर्तन आने से स्‍तनपान कराने पर स्त्रियों को तनाव महसूस होता है और सिर में दर्द होता है।
5) ब्रेस्‍टमिल्‍क में कमी : डिलीवरी के बाद, मासिकधर्म के शुरू होने पर स्‍तनपान कराने पर ब्रेस्‍टमिल्‍क में कमी रहती है। हारमोन्‍स में परिवर्तन आने की वजह से शरीर में दूध के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है जिससे स्तनपान की प्रक्रिया प्रभावित होती है। ऐसी स्थिति में बॉडी में ब्‍लड़ सप्‍लाई करने वाले नेचुरल प्रोडक्‍ट का सेवन करना चाहिए।
6) निप्‍पल में दर्द : क्‍या आपको मासिकधर्म के दौरान निप्‍पल में दर्द होता है। अगर ऐसा
7) लगातार स्‍तनपान : स्‍तनपान के दौरान मासिकधर्म सामान्‍य नहीं होते है। मासिकधर्म शुरू हो जाने का मतलब यह नहीं होता है कि आप बच्‍चे को स्‍तनपान न कराएं। उन दिनों में आपको बच्‍चे को लगातार स्‍तनपान कराते रहना चाहिए, इससे स्‍तनों में दूध निकलता रहता है और अन्‍य समस्‍याएं पैदा नहीं होती है।

है तो आपको मासिकधर्म के दिनों में बच्‍चे को स्‍तनपान कराने में दिक्‍कत आ सकती है। इस तरह के केस में, आपको निप्‍पल शील्‍ड का इस्‍तेमाल करना चाहिए।
गर्भावस्था संबंधी अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-
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Sunday 19 January 2014

Fatness can be reduce by sex


सेक्स, मोटापे को कम करने में लाभकर
आजकल लोग मोटापे को दूर करने के लिए क्या-क्या नहीं करते। दुनियां की आवादी का एक बड़ हिस्सा मोटापे से परेशान हैं। वे अपने मोटापे को दूर करने के लिए जटिल व्यायाम से लेकर अनेक प्रकार की दवाइयों का सेवन करते हैं जिससे शरीर की चर्बी तो कम नहीं होता लेकिन बिमारियां जरूर हो जाती है।
सेक्सोलॉजिस्ट के अनुसार सेक्स मोटापा कम करने में सहायक हो
सेक्स विशेषज्ञों के अनुसार सेक्स के समय किए गए 1 kiss से लगभग 9 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है और एक बार किए गए सेक्स में 500 से 1000 कैलोरी खर्च होती है जिससे चर्बी घटता है और मोटापा कम होता है। सेक्स से एंड्रोफिन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे त्वचा सुंदर, चिकनी व चमकदार बनी रहती है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए सेक्स से बढ़िया कोई इलाज नहीं। तनाव को दूर भगाने में सेक्स एक वेहतरीन दवा का काम करता है। नियम‍ति सेक्स से पैदा होने वाले हार्मोन से ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी नहीं होती। सेक्स से शरीर में इस्ट्रोजन हार्मोन उत्पन्न होता है, जो हड्डियों की बीमारी नहीं होने देता। सेक्स मोटापा घटाने के साथ-साथ हार्टअटैक, हृदय रोग व मानसिक तनाव को भी दूर रखता है। सेक्स सौंदर्य बढ़ाने में भी सहायक होता है। हेल्दी सेक्स किसी भी थका देने वाली व्यायाम से अधिक लाभकारी होता है।

Thursday 16 January 2014

महिला या पुरुष, किसे चाहिए अधिक नींद और क्‍यों

महिला या पुरुष, किसे चाहिए अधिक नींद और क्‍यों
भारत में आमतौर पर स्त्रियां घर में सबसे पहले उठती है और देर से सोती हैं। क्या आप जानते हैं कि अधिक नींद की जरूरत किसे अधिक हैं स्त्रियों को या पुरूषों को। इस सवाल पर पश्चिमी देशों में काफी समय से बहस होती आ रही है लेकिन अब शोधकर्ताओं ने इसका जवाब ढूंढ लिया है। कुछ शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोधों में पाया गया कि जो महिलाएं पर्याप्‍त नींद नहीं ले पाती वे अवसाद से ग्रस्त हो जाती है और उसमें चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि महिलायें दिन भर अधिक मल्‍टी टास्टकिंग करती हैं इसलिए उनके मस्तिष्‍क को रिकवर करने में ज्‍यादा समय लगता है। इसलिए स्त्रियों को अधिक देर तक सोना चाहिए। साइंस वर्ल्‍ड रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों में कम नींद लेने पर इस प्रकार की समस्‍या नहीं देखी जाती। पिछले कई शोधों में हृदय रोग, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य, स्‍ट्रोक और शरीर में सूजन आदि जैसी समस्‍याओं को नींद की कमी से जोड़कर देखा जाता रहा है। कुछ डॉक्‍टर का कहना है कि नींद की कमी से होने वाली इस परेशानी से बचने के लिए महिलायें दिन में झपकियां ले सकती हैं लेकिन इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि महिलाओं द्वारा ली जाने वाली झपकी नब्‍बे मिनट से ज्‍यादा नहीं होनी चाहिए अन्यथा महिलाओं को रात में सोने में परेशानी हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद लेने का एक बड़ा फायदा यह है कि इस दौरान मस्तिष्‍क रिकवर और रिपेयर का काम करता है। उनके अनुसार गहरी नींद, मस्तिष्‍क को विचार, याद्दाश्‍त और भाषा आदि को सुदृढ़ करने में मदद करती है। आप दिन भर में जितना दिमाग इस्‍तेमाल करते हैं, आपको उतना रिकवर करने की जरूरत होती है जो नींद के दौरान ही संभव हो पाता है। इसलिए अच्छी नींद लेना अति आवश्यक है। शोधकर्ताओं के अनुसार महिलाओं को अधिक नींद की जरूरत इसलिए होती है क्‍योंकि वे पुरुषों के मुकाबले अधिक मल्‍टी टास्‍किंग होती हैं लेकिन जन पुरुषों को नौकरी में अधिक मानसिक कार्य करना पड़त है उन्‍हें भी अधिक नींद की जरूरत होती है।

Wednesday 15 January 2014

how to control irritation and make happy life

क्यों आता है गुस्सा?
गुस्सा भी मानव भावनाओं का एक प्रकार है लेकिन जब यह भावना आदत बन जाती है तो आप के साथ-साथ दूसरों पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ने लगता है। अगर आप को गुस्सा अधिक आता है तो आप को चाहिए कि आप अपने गुस्से की सही वजह को पहचाने और उन पर नियंत्रण रखें। गुस्सा एक नेचुरल इमोशन है जो चिड़चिड़ाहट, निराशा और इच्छा अनुसार काम न होने की दशा में उत्पन्न होता है। किसी हल्की झुंझलाहट से लेकर आक्रमक स्थिति को गुस्से के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है। हम जानते हैं कि गुस्सा एक नेचुरल इमोशन है जिससे पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है लेकिन नियंत्रन किया जा सकता है। गुस्सा आना बिल्कुल नॉर्मल है लेकिन अगर गुस्से की वजह से आप और आप के साथ रहने वाले दोस्त और परिवार वाले को नकसान पहुच रहा हो तो इस पर नियंत्रन करना आवश्यक हो जाता है।
गुस्से पर काबु पाने के लिए जरूरी है मानसिक स्वास्थ्यता
गुस्से पर काबू पाने के लिए सबसे पहला कदम यह है कि आप गुस्से को कभी अपने पर हावी मत होने दें। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने मन को शांत रखें और सोचे की गुस्सा क्यू आ रहा है? और इसे गुस्से से आप को क्या लाभ मिलेगा? और क्या नुकसान होगा? क्या आप के गुस्से से आप का काम सही प्रकार से हो जाएगा? क्या आप की परेशानी दुर हो जाएगी? अगर गुस्सा करने से काम नहीं बनता तो गुस्सा करना व्यर्थ है। ऐसे में यह देखे कि आप अगर गुस्से के स्थान पर शांत रहेंगे तो अच्छे से सोच पाएंगे और अपने काम को सफलता पूर्वक कर पाएंगे। गुस्सा आने पर भी अगर आप शांत रहेंगे तो आपकी सोच व्यापक होगी और आप दूसरों के पक्ष को समझ पाएंगे। इसके लिए मानसिक रूप से स्वास्थ्य रहना आवश्यक है। दिमाग को शांत और संतुलन हमेशा बना रखना चाहिए, लेकिन ऐसी स्थिति हासिल करने के लिए लंबी प्रैक्टिस की जरूरत है। अपने गुस्से को शांत रखने के लिए शुरू में सिर्फ 10 मिनट का समय तय करें और मन में ठानें कि इन 10 मिनटों के दौरान मुझे शांत रहना है। चाहे जो हो जाए, मैं अपना मानसिक संतुलन इन 10 मिनटों के दौरान नहीं खोऊंगा, अपने गुस्से पर शांत रखुंगा। धीरे-धीरे वक्त बढ़ाते जाएं। 10 से 15 मिनट, 15 से 20... धीरे-धीरे ऐसी स्थिति आ जाएगी कि मानसिक रूप से शांत और संतुलित रहना आपकी आदत बन जाएगी। इस तरह आप शांत रहकर अपने गुस्से पर काबू पा सकते हैं और अपने जीवन में खुश रह सकते हैं।

गुस्से पर नियंत्रन के लिए योग बहुत लाभकारी है इसका रोजना अभ्यास गुस्से पर नियंत्रन के साथ मन को भी स्वस्थ्य रखता है। योगा से संबंधित अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें- 


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