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Monday, 11 August 2014

5 ऐसे योगासन जो मधुमेह पर लगाम लगाएं

योगासन
योग से डायबिटीज पर काबू पाएं
नियमित योग एक तरफ जहां आपको स्वस्थ रखता है वहीं दूसरी तरफ गंभीर बीमारियों से भी निजात दिलाता है। अगर मधुमेह में नियमित कुछ खास तरह के योग किए जाएं तो मधुमेह को कंट्रोल कर सकते हैं। आइए जानें कुछ खास योगासनों के बारे में जो डायबिटीज को कम करने में मददगार हो सकते हैं।
प्राणायाम:
गहरी सांस लेना और छोड़ना रक्त संचार को दुरुस्त करता है।  इससे दिमाग शांत होता है और नर्वस सिस्टम को आराम मिलता है। फर्श पर चटाई बिछाकर पद्मासन की मुद्रा में पैर पर पैर चढ़ाकर बैठ जाएं। अब अपनी पीठ सीधी करें, अपने हाथ घुटनों पर ले जाएं, ध्यान रहे हथेली ऊपर की तरफ खुली हो, और अपनी आँखें बंद करें। गहरी सांस लें और पांच की गिनती तक सांस रोककर रखें। अब धीरे धीरे सांस छोड़ें। इस पूरी प्रक्रिया को कम से कम दस बार दोहराएं।
सेतुबंधासन:
यह आसन न सिर्फ रक्तचाप को नियंत्रित रखता है बल्कि मानसिक शान्ति देता है और पाचनतंत्र को ठीक करता है। चटाई पर लेट जाएं।अब सांस छोड़ते हुए पैरों के बल ऊपर की ओर उठें। अपने शरीर को इस तरह उठाएं कि आपकी गर्दन और सर फर्श पर ही रहे और शरीर का बाकी हिस्सा हवा में।  सपोर्ट के लिए आप हाथों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। अगर आप में लचीलापन है तो अतिरिक्त स्ट्रेचिंग के लिए आप अपनी अंगुलियों को ऊपर उठी पीठ के पीछे भी ले जा सकते हैं। अपने कम्फर्ट का ध्यान रखते हुए इस आसन को पूरा करें।
बलासन:
बच्चों की मुद्रा के नाम से जाना जाने वाला यह आसन तनावमुक्ति का बहुत अहम साधन है। इससे तनाव और थकान से राहत मिलाती है। ये ज्यादा देर तक बैठे रहने से होने वाले लोअर बैक पेन में भी काफी मददगार साबित होता है। फर्श पर घुटनों के बल बैठ जाएं। अब अपने पैर को सीधे करते हुए अपनी एड़ी पर बैठ जाएं। दोनों जांघों के बीच थोड़ी दूरी बनाएं। सांस छोड़ें और कमर से नीचे की और झुकें। अपने पेट को जाघों पर टिके रहने दें और पीठ को आगे की और स्ट्रेच करें। अब अपनी बांहों को सामने की तरफ ले जाएं ताकि पीठ में खिंचाव हो।  आप अपने माथे को फर्श पर टिका सकते हैं बशर्ते आपमें उतना लाचीलापन हो।  पर शरीर के साथ ज़बरदस्ती न करें। वक्त के साथ आप ऐसा करने में कामयाब होंगे।
वज्रासन:
यह एक बेहद सामान्य आसन है जो मानसिक शान्ति देने के साथ पाचन तंत्र को ठीक रखता है। घुटने टेक कर बैठ जाएं और अपने पैर के ऊपरी सतह को चटाई के संपर्क में इस तरह रखें कि आपकी एड़ी ऊपर की तरफ हो।  अब आराम से अपनी पुष्टिका को एड़ी पर टिका दें।  यह ध्यान देना ज़रूरी है कि आपका गुदाद्वार आपकी दोनों एड़ी के ठीक बीच में हो।  अब अपनी दोनों हथेलियों को नीचे की और घ्तनों पर ले जाएं।  अपनी आँखें बंद करें और एक गति में गहरी साँस लें।
सर्वांगासन:
चटाई पर पैर फैलाकर लेट जाइए।  अब धीरे धीरे घुटनों को मोड़कर या सीधे ही पैरों को ऊपर उठाइए।  अब अपनी हथेली को अपनी पीठ और पुष्टिका पर रखकर इस आसन को सपोर्ट कीजिए।  अपने शरीर को इस तरह ऊपर उठाइए कि आपके पंजे छत की दिशा में इंगित हों।  समूचा भार आपके कंधों पर होना चाहिए।  सुनिश्चित करें कि आप धीरे-धीरे सांस ले रहे हैं और अपनी ठुड्डी को सीने पर टिका लें।  आपकी केहुनी फर्श पर टिकी होनी चाहिए और आपकी पीठ को हथेली का साथ मिला होना चाहिए।  इस आसन में तब तक रहें जब तक आप इसके साथ सहज हैं।  लेटने वाली मुद्रा में वापस आने के लिए धीरे-धीरे पैरों को नीचे लाएं, सीधा तेज़ी से नीचे न आएं।



Sunday, 10 August 2014

सात कुदरती उपाय जो हाई बीपी पर लगाम लगाएं

तेज रफ्तार भागती जिंदगी ने हमारी रगों में खून की रफ्तार को भी जरूरत से बढ़ा दिया है। खून की यह बेहद तेज रफ्तार हमारी सेहत के लिए अच्‍छी नहीं।  डॉक्‍टरी जुबान में इसे हाइपरटेंशन कहा जाता है यानी हाई बीपी। उच्‍च रक्‍तचाप को नियंत्रित करने के लिए हमें दवाओं का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन इसके साथ ही कुछ कुदरती उपाय भी हैं जिनके जरिये बीपी को काबू किया जा सकता है।
http://jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%89%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A-%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%AAपॉवर वॉक-
तेज गति से चलते से न केवल आपकी फिटनेस में सुधार होता है, बल्कि साथ ही साथ इससे रक्‍तचाप को भी नियंत्रित करने में मदद मिलती है। व्‍यायाम करने से हमारे दिल की कार्यक्षमता में इजाफा होता है और वह ऑक्‍सीन का बेहतर इस्‍तेमाल कर पाता है। इसके लिए आपको कड़ा व्‍यायाम करने की जरूरत नहीं। सप्‍ताह में चार से पांच दिन तक 30 मिनट कार्डियो एक्‍सरसाइज करने से ही आपको काफी फायदा होगा।
गहरी सांस लें-
प्राणायाम, योग और ताई ची जैसी श्‍वास प्रक्रियायें तनाव को कम करने में मदद करती हैं। इससे भी रक्‍तचाप को कम करने में मदद मिलती है। सुबह शाम पांच से दस मिनट तक इन क्रियाओं को करना आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। गहरी सांस लें, आपका पेट पूरी तरह फूल जाना चाहिए। सांसे छोड़ते ही आपकी सारी चिंता बाहर निकल जाएगी।
आलू-
आहार में पोटेशियम युक्‍त फलों और सब्जियों को शामिल करने से आप रक्‍तचाप को कम कर सकते हैं। यदि आप रोजाना 2 हजार से 4 हजार मिलीग्राम पोटेशियम का सेवन करने से आप स्‍वयं को उच्‍च रक्‍तचाप से दूर रख सकते हैं। शकरकंदी, टमाटर, संतरें का रस, आलू, केला, राजमा, नाशपति, किशमिश, सूखे मेवे और तरबूज आदि में पोटेशियम काफी मात्रा में होता है।
नमक का सेवन करें कम-
नमक का अधिक सेवन करने से उच्‍च रक्‍तचाप का खतरा बढ़ जाता है। इसे कम करने के लिए आपको अपने भोजन में नमक की मात्रा कम करनी चाहिए। डॉक्‍टरों का मानना है कि नमक में मौजूद सोडियम की अधिक मात्रा हमारे शरीर के लिए अच्‍छी नहीं होती। इसलिए जरूरी है कि नमक का सेवन अल्‍प मात्रा में ही किया जाए।
डार्क चॉकलेट-
डार्क चॉकलेट में फ्लेनोल्‍ड होते हैं, जो रक्‍तवा‍हिनियों को अधिक लचीला बनाने में मदद करते हैं। एक शोध के अनुसार डार्क चॉकलेट का सेवन करने वाले 18 फीसदी लोगों ने रक्‍तचाप में कमी आने की बात कही।
कॉफी-
रक्‍तचाप पर कैफीन के असर को लेकर वैज्ञानिकों में मतभेद हैं। कुछ का मानना है कि कैफीन और रक्‍तचाप में कोई संबंध नहीं है, वहीं कुछ इससे असहमत हैं। इनके मुताबिक कैफीन रक्‍चाप को बढ़ाता है और रक्‍तवाहिनियों को संकरा कर देता है इसके साथ ही यह तनाव का खतरा भी बढ़ा देता है। इसके कारण दिल को अधिक क्षमता से काम करना पड़ता है। इससे रक्‍तचाप का खतरा बढ़ जाता है।
चाय पियें-
गुलहड़ की चाय पीने से उच्‍च रक्‍तचाप की समस्‍या से बचा जा सकता है। डेढ़-दो महीने इस चाय का सेवन करने से रक्‍तचाप को सात प्‍वाइंट तक नीचे लाने में मदद मिलती है। कई शोध भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि इस चाय का सेवन रक्‍तचाप को नियंत्रित करने में काफी मदद करता है।
आराम है जरूरी-
बेशक, जीवन में कामयाबी के लिए काम करना जरूरी है, लेकिन आराम की अहमियत को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक जो लोग सप्‍ताह में 41 घंटे से ज्‍यादा ऑफिस में गुजारते हैं, उन्‍हें उच्‍च रक्‍तचाप होने का खतरा 15 फीसदी तक बढ़ जाता है। हालांकि, आज के इस दौर में दफ्तर में काम करना बेहद जरूरी है, लेकिन इसकी भरपाई के लिए आपको व्‍यायाम करना चाहिए। आप जिम जा सकते हैं, खाना पका सकते हैं और सैर आदि के लिए कुछ समय निकाल सकते हैा। आप काम के घंटे समाप्‍त होने से आधा घंटा पहले ही अपना सारा काम निपटाने का लक्ष्‍य रखें ताकि आप समय पर घर जा सकें।
संगीत-
संगीत आपके रक्‍तचाप को कम करने में काफी मदद करता है। इटली स्थित फ्लोरेंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि सही स्‍वर लहरियां आपके उच्‍च रक्‍तचाप को कम करने में मदद करती हैं। रोजाना हल्‍की-हल्‍की सांसें लेते हुए यदि आप मद्धम संगीत सुनें तो आपको उच्‍च रक्‍तचाप और थकान आदि से मुक्ति मिलती है।

Thursday, 7 August 2014

डायबिटीज में आयुर्वेदिक डाइट


स्वस्थ रहने के लिए आजकल लोगों में डिटॉक्सिफिकेशन का चलन जोरों पर है। आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास खुद के लिए बहुत कम समय होता है। पौष्टिक भोजन की कमी, धूम्रपान व शराब का सेवन, शरीर में टॉक्सिन की मात्रा बढ़ा देता है। डिटॉक्सिफिकेशन का अर्थ है शरीर में जमा विषैले पदार्थों को बाहर निकालना। इस क्रिया में शरीर को अंदर और बाहर दोनों तरह से साफ किया जाता है।
डायबिटीज डिटॉक्स डाइट
Vegetable Juice
डायबिटीज डिटॉक्स डाइट में मधुमेह रोगियों के ब्लड शुगर को खान-पान के जरिए नियंत्रित किया जाता है। इस डाइट में रोगियों को किस प्रकार का कार्बोहाइड्रेट लेना और कितनी मात्रा में लेना है इस बारे में बताया जाता है। इस डाइट में मधुमेह रोगियों को ऐसे कार्बोहाइड्रेट दिया जाता है जो धीरे-धीरे पचे जिससे रोगी का ब्लड शुगर का स्तर सामान्य रहे। धीरे-धीरे पचने वाली कार्बोहाइड्रेड ज्यादातर फलों और सब्जियों में ही पाया जाता है।
आयुर्वेदिक डिटॉक्स डाइट
  • बीमारी पर काबू पाने में आयुर्वेदिक उपचारों पर लोगों का काफी भरोसा है। आयुर्वेदिक डिटॉक्स डाइट में शरीर में मौजूद टॉक्सिन को बाहर निकाला जाता है। आयुर्वेदिक डिटॉक्स डाइट काफी हल्का और ऊर्जावान होता है इसकी मदद से आपकी पाचन क्षमता मजबूत होती है और शरीर में मौजूद समस्याओं का खात्मा होता है।
  • आयुर्वेदिक डिटॉक्स डाइट दो तरह की होती है। एक सामान्य आयुर्वेदिक डिटॉक्स डाइट जो कि सभी लोगों के शरीर को डिटॉक्स करने का काम करती है। दूसरा है विशिष्ट डिटॉक्स डाइट जो किसी खास प्रकार के व्यक्ति के लिए होता है। यह डाइट उनके बॉडी टाइप, स्वास्थ्य और टॉक्सिन की मात्रा पर निर्भर करती है। आइए जानें डायबिटीज आयुर्वेदिक डिटॉक्स डाइट के बारे में ।
  • डिटॉक्स डाइट की मदद से आप ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल कर हृदय की गतिविधि को बढ़ा सकते हैं।
  • दो दिन का उपवास करें और सिर्फ गर्म पानी में अदरक का पाउडर मिलाकर पिएं। एक लीटर पानी में एक चम्मच अदरक का पाउडर मिलाएं इसे उबाल लें फिर थोड़ा गुनगुना ही इसे पिएं।
  • अगले पांच दिन तक मूंग और सब्जियों के सूप का ही सेवन करें।
  • उसके अगलें पांच दिन साबूत मूंग और सब्जियों को काटकर उसमें अदरक-लहसुन का पेस्ट, हल्दी और गर्म मसाला मिलाकर पकाएं और इसका सेवन करें।
  • इसके बाद आप अपनी नार्मल डाइट लेना शुरु कर सकते हैं।
  • इस डिटॉक्स डाइट को महीने में एक बार जरूर अपनाएं। इससे डायबिटीज में होने वाली समस्याओं को खत्म करने में मदद मिलेगी साथ ही आपका ब्लड शुगर भी नियंत्रित रहेगा। इसके अलावा डायबिटीज बढ़ाने के जिम्मेदार कारक जैसे वजन बढ़ना, तनाव आदि से भी छुटकारा मिलेगा।

Wednesday, 6 August 2014

अर्थराइटिस- Arthiritis

आहार जो बढ़ा सकता है अर्थराइटिस का दर्द
अर्थराइटिस यानी गठिया जोड़ो की बीमारी है। जब चलने में तकलीफ होने लगे, जोड़ों में दर्द हो, ऐसे में एक ही बीमारी का नाम आता है वह है अर्थराइिटस। यह बीमारी उम्र ढलने वाले लोगों को अधिक होती है, लेकिन बदली हुई लाइफस्‍टाइल के कारण इसकी चपेट में हर उम्र के लोग आ रहे हैं।
जोड़ों काेदर्द
अर्थराइटिस होने पर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से जोड़ों में सूजन आ जाती है। इसमें असहनीय पीड़ा होती है। खासकर ठंड के मौसम में इसका दर्द बर्दाश्‍त से बाहर हो जाता है। लेकिन इसका दर्द बढ़ाने में दिनचर्या के साथ-साथ आहार भी बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। कई आहार ऐसे हैं जिनको खाने से गठिया का दर्द बढ़ता है। इसलिए अर्थराइटिस की समस्‍या होने पर इन आहार से बचना चाहिए।
अर्थराइटिस में न खायें ये आहार
मछली और मांस
मांस और मछली का सेवन करने वालों को अर्थराइटिस में इससे परहेज करें क्‍योंकि यह दर्द को बढ़ा सकता है। मांस और मछली में अधिक मात्रा में प्यूरिन पाया जाता है। प्यूरिन हमारे शरीर में ज्यादा यूरिक एसिड पैदा करता है। रेड मीट, हिलसा मछली, टूना और एन्कोवी जैसी मछलियों में काफी मात्रा में प्यूरिन पाया जाता है, इसलिए इन्हें अपने डायट चार्ट से बाहार कर दीजिए।
जोड़ों के दर्द
शुगरयुक्‍त खाद्य-पदार्थ
गठिया के मरीज को चीनी और मीठे से परहेज करना चाहिए। शुगर का अधिक सेवन करने से शरीर के कुछ प्रोटीन्‍स का ह्रास होता है। यह आपके गठिया के दर्द को बढ़ाता भी है। इसलिए अपने डायट चार्ट में से शुगर और शुगरयुक्‍त आहार का को निकाल दीजिए।
दुग्‍ध उत्‍पाद
डेयरी प्रोडक्‍ट से बने खाद्य-पदार्थ भी अर्थराइटिस के दर्द को बढ़ा सकते हैं। क्‍योंकि दुग्‍ध उत्‍पाद जैसे, पनीर, बटर आदि में कुछ ऐसे प्रोटीन होते हैं जो जोड़ों के आसपास मौजूद ऊतकों को प्रभावित करते हैं, इसकी वजह से जोड़ों का दर्द बढ़ सकता है। इसलिए दुग्‍ध उत्‍पादों को खाने से बचें।
अल्कोहल और सॉफ्ट ड्रिंक
अर्थराइटिस के मरीजों को शराब और साफ्ट ड्रिंक के सेवन से बचना चाहिए। अल्कोहल खासकर बीयर शरीर में यूरिक एसिड के स्‍तर को बढ़ाता ही है और तो और शरीर से गैर जरूरी तत्व निकालने में शरीर को रोकता भी है। इसी तरह सॉफ्ट ड्रिंक खासकर मीठे पेय या सोडा में फ्रेक्टोस नामक तत्व होता है, जो यूरिक एसिड के बढ़ने में मदद करता है। 2010 में किए गए एक शोध से यह बात सामने आई है कि जो लोग ज्यादा मात्रा में फ्रक्टोस वाली चीजों का सेवन करते हैं, उनमें गठिया होने का खतरा दोगुना अधिक होता है।
टमाटर न खायें
हालांकि टमाटर और विटामिन और मिनरल भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, लेकिन यह अर्थराइटिस के दर्द को बढ़ाता भी है। टमाटर में कुछ ऐसे रासायनिक घटक पाये जाते हैं जो गठिया के दर्द को बढ़ाकर जोड़ों में सूजन पैदा करते हैं। इसलिए टमाटर खाने से परहेज करें। 
अर्थराइटिस बहुत ही तकलीफदेह बीमारी है, इसके कारण हिलने-डुलने में भी परेशानी का अनुभव करता है, पैरों के अंगूठे में इसका असर सबसे पहले देखने को मिलता है। अर्थराइटिस के मरीजों को अपना डायट चार्ट बनाते समय एक बार चिकित्‍सक से सलाह लेना चाहिए।

Tuesday, 22 July 2014

दाल चावल के परांठे - Daal Chawal Paratha

आज हम आप को बताने जा रहे हैं दाल चावल के पराठे। यदि आपके फ्रिज में दाल और चावल बचे हों तो इनसे आप परांठे बना सकते हैं। इससे बने परांठे खाने में बेहद स्वादिष्ट होते हैं। इन्हें बनाने के लिए आप मूंग, चने, अरहर या किसी भी दाल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
आवश्यक सामग्री:
  1.     दाल - 1 कटोरी (जो भी दाल रखी हो)
  2.     चावल - 1 कटोरी
  3.     गेहूं का आटा - 2 कटोरी
  4.     नमक - स्वादानुसार (आधा छोटी चम्मच)
  5.     जीरा - आधा छोटी चम्मच
  6.     तेल या घी - परांठे बनाने के लिये
विधि:
एक बर्तन में आटा छान कर इसमें नमक, जीरा और एक छोटी चम्मच तेल डाल कर मिला लें. इसमें दाल और चावल डालें और अच्छे से मिला लें। ज़रूरत के अनुसार पानी डालते हुए आटे को गूंठ लें। इसे 20 मिनट के लिए ढक कर रख दें। इतने समय में आटा सैट हो जाएगा। अब आटे को हाथों से मसल कर चिकना कर लें। परांठे बनाने के लिए आटा तैयार है।
सबसे पहले तवा गरम करें। अब आटे से थोडा़ सा आटा लेकर एक गोल लोई बनाएं। इसे सूखे आटे में लपेटें और फिर चकले पर 3 इंच के व्यास में गोल बेल लें। बेले परांठे पर थोडा़ सा तेल या घी लगाकर चिकना करें और परांठे को चारों तरफ़ से उठाकर इकठ्ठा करते हुए गोल करें। इसे अच्छे से बंद करके हाथों से दबाकर चपटा कर लें।
तैयार लोई को फिर से सूखे आटे में लपेटकर 6-8 इंच के व्यास में गोल और थोडा़ मोटा बेल लें। अब गरम तवे पर तोडा़ सा तेल डाल कर फ़ैलाएं और इस पर बेला हुआ परांठा डाल दें। परांठे के दोनों तरफ़ थोडा़-थोडा़ तेल लगा कर इसे मीडियम आंच पर पलटते हुए हल्का ब्राउन और खस्ता होने तक सेक लें। जब परांठा सिक जाए तो इसे प्लेट में रख लें।
दाल चावल के गरमा-गरम परांठों को दही, आचार, चटनी या पसंद की सब्ज़ी के साथ परोस कर सभी को खिलाएं। इन्हें गरम-गरम खाने का मजा ही कुछ और है।

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