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Thursday, 15 May 2014

अपच- गर्मियों में अपच से बचने के घरेलु नुस्खें

गर्मियों के मौसम में खट्टे-मीठे मिक्स भोजन करने से पचता है। ऐसे में खाना ठीक से हजम नहीं हो पाता है। गर्मियों में अपच या खाना न पचने पर भारीपन, जी -मचलाना, बैचेनी, वमन आदि सभी समस्याएं पेट गड़बड़ होने पर होती ही है। ऐसे में हमारे खाने-पीने की कुछ चीजों का सेवन सही ढ़ंग से करके इसका उपचार कर सकते हैं।

अपच से बचने के कुछ घरेलु नुस्खें


  • नींबू- अपच होने पर नींबु की फांक पर नमक डालकर गर्म करके चुसने से भोजन सरलता से पच जाता है।
  • अमरूद- अपच या आफरा होने पर खाने के बाद 250 ग्राम अमरूद खाना चाहिए।
  • जीरा- जीरा, सौंठ, सेंधा नमक, पीपल, काली मिर्च,  समान मात्रा में मिलाकर पीसकर उसमें एक चम्मच रोज दिन में तीन बार गर्म पानी से फांकी लें।
  • अनन्नास- अनन्नास की फांक  पर नमक और काली मिर्च डालकर खाएं तो अजीर्ण दूर होता है।
  • पपीता- खाना न पचने पर पपीता खाना अच्छा है। लगातार पीपता के सेवन से यह समस्या दूर होती हैं।
  • गाजर- गाजर के रस में पालक का रस मिलाकर पीने से अपच दूर होती है
  • टमाटर- टमाटर पर काला नमक और काली मिर्च डालकर खाने से अजीर्ण दूर होती है।
  •  मूली- अपच होने पर भोजन के साथ मूली नमक, काली मिर्च डालकर दो माह तक खाएं।
अपच के अन्य घरेलु नुस्खों के लिए क्लिक करें- 
       

Monday, 21 April 2014

गर्मियों में इन पांच खाद्य पदार्थों का सेवन 'न' करें

गर्मी के मौसम में कुछ ऐसे पदार्थ हैं जिनका सेवन नहीं करना चाहिए। अप्रैल और मई के महीनों में तापमान सबसे अधिक होता है। यह गर्मी बाहर के तापमान को तो बढ़ाती ही है, साथ ही शरीर में भी गर्मी उत्पन्न करती है जिसके कारण व्यक्ति थकावट और चिड़चिड़ापन महसूस करने लगता है और व्यक्ति अपने आप को एकाग्र नहीं कर पाता और नहीं उसका मन किसी काम में लग पाता है। गर्मी से राहत के लिए अधिक मात्रा में पानी पीना आवश्यक है क्योंकि गर्मी में पसीने के रुप में हमारे शरीर से पानी निकलता रहता है, पानी की उस कमी को पूरा करने के लिए हमे अधिक पानी पीना चाहिए। पानी पीने के साथ-साथ गर्मियों में स्वस्थ रहने के लिए सही खाद्य पदार्थों का सेवन भी महत्वपूर्ण है। गलत खाद्य पदार्थों का सेवन भोजन प्रणाली पर गलत असर डाल सकता है। गर्मी के मौसम में हमे इन 5 खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए-
गर्मी का भोजन
1. मसाले दार भोजन : गर्मी के दिनों में अत्यधिक मसालेदार भोजन के सेवन से बचना चाहिए। ऐसे भोजन शरीर में गर्मी का संचार करके चयापचय की दर को बढ़ा देता है।
2. मांसाहार : मछली, चिकन, मांस, समुद्री भोजन और अत्यधिक ग्रेवी वाले व्यंजन नहीं खाना चाहिए। इससे व्यक्ति को और अधिक पसीना आता है और पाचन की समस्याएं भी हो जाती हैं। ज्यादा मसालेदार खाने के सेवन से डायरिया भी हो सकता है।
3. ऑइली जंक फूड : इस मौसम में मांस, बर्गर, डीप फ्राइड व्यंजन और अन्य तेल वाली खाद्य सामग्री के सेवन से बचना चाहिए।
4. चाय और कॉफी : इन पेय पदार्थों से निश्चित रूप से परहेज करना चाहिए। कैफीन और अन्य पेय पदार्थ वास्तव में आपके शरीर में गर्मी बढ़ाने के साथ शरीर का निर्जलीकरण करते हैं।
5. सॉस से बचें : गर्मी के मौसम में सॉस का अधिक सेवन भी बहुत नुकसान दायक सकता है। उसमें तकरीबन 350 कैलोरी होती है, जो आपको सुस्त बना सकती है। कुछ सॉस में बहुत ज्यादा नमक और MSG (मोनोसोडियम ग्लूटामेंट) होता है जो किसी भी दृष्टी से लाभकारी नहीं होता।
गर्मी के मौसम में पौष्टिक और प्राकृतिक भोजन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त छाछ, लस्सी, नींबू-पानी, शिकंजी और आम आदि का सेवन करना चाहिए।

Sunday, 20 April 2014

गर्मी के मौसम में कूल-कूल रखता है अंगूर

गर्मी का मौसम में अंगूर का सेवन करना बहुत लाभकारी माना गया है क्योंकि यह हमे न केवल शक्ति देता है  बल्कि हमे गर्मी में कूल भी रखता है। इन दिनों अंगूर बड़ी मात्रा में पाया जाता है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह एक शक्ति एवं सौन्दर्यवर्धक फल है। इसमें मां के दूध के समान पोषक तत्व पाए जाते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से अंगूर के अनेक फायदे हैं-
अंगूर के दानों में पॉली-फेनोलिक फाइटोकेमिकल कंपाउंड पाए जाते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट्स होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को न केवल कैंसर से, बल्कि कोरोनरी हार्ट डिजीज, नर्व डिजीज, अल्जाइमर व वाइरल तथा फंगल इन्फेक्शन से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं।
grapes is a best fruit in summer season अंगूर में सीमित मात्रा में कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, सोडियम, फाइबर, विटामिन ए, सी, ई व के, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीशियम, मैंग्नीज, जिंक और आयरन भी मिलता है।
शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्राव होने पर अंगूर के एक गिलास ज्यूस में दो चम्मच शहद मिलाकर पिलाने पर रक्त की कमी दूर होती है जिसकी रक्तस्राव के समय क्षति हुई है।
अंगूर का पल्प ग्लूकोज व शर्करा युक्त होता है। विटामिन- ए पर्याप्त मात्रा में होने से अंगूर का सेवन भूख बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है,  आंखों, बालों एवं त्वचा को चमकदार बनाता है।
हार्ट-अटैक से बचने के लिए काले अंगूर का रस एस्प्रिन की गोली के समान कारगर है। एस्प्रिन खून के थक्के नहीं बनने देती है। काले अंगूर के रस में फ्लेवोनाइडस नामक तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है।
अंगूर फोडे-फुन्सियों एवं मुंहासों को सूखाने में सहायता करता है। अंगूर के रस के गरारे करने से मुंह के घावों एवं छालों में राहत मिलती है।
एनीमिया में अंगूर से बढ़कर कोई दवा नहीं है। उल्टी आने व जी मिचलाने पर अंगूर पर थोड़ा नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें।
पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25 अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए।
भोजन के आधा घंटे बाद अंगूर का रस पीने से खून बढ़ता है और कुछ ही दिनों में पेट फूलना, बदहजमी आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

गर्मी के मौसन में लाभकाकरी अन्य फलों के बारे में जानने के लिए क्लिक करें-

Thursday, 17 April 2014

पेट और जांघों की चर्बी के लिए योगासन

अगर आप पेट और जांघ की चर्बी से परेशान हैं तो आप के लिए फायदेमंद है नौकासन
आज कल लोग अपनी बढ़ती तोंद या जांघों पर जमे चर्बी से बहुत परेशान है। अगर आप भी इस समस्या से ग्रस्त है और अपने आप को इससे छूटकारा पाना चाहते हैं तो आप रोजाना योगाभ्यास करें। चर्बी को कम करने के लिए सबसे अच्छा आसन है नौकासन।
इस आसन के अभ्यास के दौरान शरीर का आकार नौका जैसा हो जाता है इसलिए इसे नौकासन कहते हैं। यह शरीर को लचीला बनाता है, पेट और शरीर के निचले हिस्से पर जमा फैट्स को घटाता है और एब्स की टोनिंग करता है।
नौकासन की सही विधि
- इसे करने के लिए पहले मैट पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं।
- अब सांस लेते हुए दोनों पैर ऊपर उठाएंऔर दोनों हाथों से पैर के पंजे छूने की कोशिश करें।
- इस स्थिति में शरीर का अग्रभाग और पैर, दोनों ही ऊपर की ओर होने चाहिए।
- कुछ सेकंड इस अवस्था में रहने के बाद सांस छोड़ते हुए लेट जाएं।
- कुछ सेकंड बाद इस प्रक्रिया को दोहराएं।
करीब 15 सेकंड के गैप पर इस प्रक्रिया को पांच बार दोहराएं और धीरे-धीरे इसकी संख्या बढ़ाते जाएं। इसे अधिकतम 30 बार कर सकते हैं। रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्या या बीपी के मरीज इस आसन को डॉक्टरी परामर्श के बाद ही करें।




Monday, 14 April 2014

दिल को स्वस्थ रखेगा अलसी का तेल


अलसी में शरीर को फायदा पहुंचाने वाला ओमेगा थ्री तत्व अधिक पाया जाने के साथ ही दिल को नुकसान पहुंचाने वाले ओमेगा सिक्स के स्तर को भी नियंत्रित करने में सक्षम होता है।
oil of alasi is better for health
Linseed oil (अलीस का तेल)
अलसी के तेल में ओमेगा-3 अधिक होता है। ये अन्य तेलों से मिलने वाले ओमेगा सिक्स के स्तर को बराबर करता है। कुछ लोग खाने में अलसी का तेल दिन में एक बार जरूर इस्तेमाल करते हैं। बाजार में मिलने वाले तेल में फैट, ओमेगा थ्री और सिक्स के स्तर को जरूर देखना चाहिए क्योंकि इसमें पूफा (पीयूएफए-पॉली अनसेच्युरेटेड फैटी एसिड) और मूफा (एमयूएफए-मोनो सेच्युरेटेड फैटी एसिड) की मात्रा पाया जाता है। इसके बाद तय करें कि कौन सा खाद्य तेल आपके लिए सही रहेगा। प्रो. मिश्रा के अनुसार जो खाद्य तेल इस्तेमाल किया जाए उसमें सेच्युरेटेड फैट की मात्रा 10 फीसदी से कम होनी चाहिए। इसके अलावा पूफा-मूफा का स्तर चार अनुपात एक से अधिक नहीं होना चाहिए। यही नहीं, खाद्य तेल में ओमेगा थ्री और सिक्स का स्तर एक अनुपात चार से अधिक नहीं होना चाहिए। प्रो. मिश्रा के अनुसार खाद्य तेलों का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। यदि सुबह सरसों का तेल का इस्तेमाल किया गया है तो शाम को किसी और तेल से खाना पकाना चाहिए। इस तरह खाने में अलसी तेल का उपयोग करने से दिल को होने वाले खतरे से बचा जा सकता है। दिल की बिमारी से बचने के लिए अपने भोजन में अलसी का तेल जरूर प्रयोग करें।

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