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Sunday, 12 January 2014

Apple for healthy life

हमारे देश में एक बहुत पुरानी कहावत है अगर आप डाक्टर से बचना चाहते हैं तो सेब खायें। क्या आप जानते हैं कि सेब एक नकारात्मक कैलोरी वाला आहार है जिसके सेवन से शरीर स्वस्थ्य और फिट रह सकता है। अधिकांश फल और सब्जियां सर्दियों के मौसम में होते हैं अतः एक प्रकार से हम कह सकते हैं कि सर्दियों का मौसम फलों व सब्जि़यों का होता है। लेकिन सेब के जूस का प्रयोग आप किसी भी मौसम में कर सकते हैं। सेब के जूस में एण्टी आक्सिडेंट्स होते हैं और यह कैंसर से शरीर की सुरक्षा करते हैं। स्वस्थ रहना है तो हर मौसम में मिलने वाले इस फल का आनंद लें, जो स्वाद में तो अच्छा है ही, स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभप्रद है।


Friday, 10 January 2014

Nine tips for happy life


1. यदि आप प्रसन्न रहना चाहते हैं तो जिस जगह या स्थान पर जाने से आपके मन को सुकून मिलता हो, ऐसी जगह पर बार-बार जाएं।
2. आज के समय में लोगों के चेहरे के खुशी गायब सी हो गई है इसे में अगर आप किसी को खुशी दे सकते हैं तो उसे खुशी दें। एक कहावत है कि किसी को नाराज करने में एक मिनट का भी समय नहीं लगता, लेकिन किसी
3. अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो अपने जीवन में सकारात्मक सोच अपनाए। सकारात्मक सोच से कठिन से कठिन दिखाई देने वाले काम आसानी से पूर्ण हो जाते हैं। यदि आप अपने मन में सकारात्मक भाव जाग्रत करेंगी तो आपका हर काम आसानी से पूरा हो जाएगा।
4. आज कल लोग अक्सर बड़ी खुशियों के लिए छोटी खुशियों को नजर अंदाज कर देते हैं। इसलिए लोग अक्सर खुश नहीं हो पाता। अतः बड़ी खुशी पाने के लिए छोटी खुशी का नजर अंदाज न करें। खुशी छोटी हो या बड़ी सभी का अंनंद अठाना चाहिए।
5. तन की सुंदरता के बजाय मन की सुंदरता को महत्व दें। तन की सुंदरता तो कुछ वर्र्षो की मेहमान है, जबकि मन की सुंदरता तो हमेशा साथ रहेगी। अतः किसी से दोस्ती उसकी सुंदरता देख कर ना करें।
6. अपने आसपास के लोगों पर विश्वास करें। यदि आप हरेक को शंकालु दृष्टि से देखेंगी तो जिंदगी का आनंद उठाने से वंचित रह जाएंगे।
7. कौन कैसा है इस बात पर ज्यादा दिमाग न लगाएं। इसके बजाय इस बात पर ध्यान केंद्रित करें कि आप अपने को और अच्छा कैसे बना सकती हैं।
8. जो बात दिल में हो उसे कहने में संकोच न करें। कई बार हम अपने दिल की बात जुबां पर नहीं ला पाते और हमें बाद में पछताना पड़ता है।
9. बिस्तर पर जाने से पहले सारी चिंताओं को अलग कर दें और बेफ्रिक होकर लेटें। नींद खुद ब खुद आ जाएगी। किसी को हंसाने में कई घंटे बीत जाते हैं। इसलिए दूसरों को हंसने का अवसर अवश्य प्रदान करें।

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Thursday, 9 January 2014

व्यायाम न करने से हड्‍डियां होती है कमजोर


व्यायाम करने हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। हड्डी सर्जन का मानना है कि अमेरिकी या ब्रिटिश के लोगों की तुलना में भारतीय लोगों की हड्डियां कमजोर और विकृत होती हैं और हड्डी विकार होने का खतरा अधिक होता है। हड्डियों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूक के लिए किये गए आयोजित बताया गया है कि भारत में घुटनों की सर्जरी का स्वरूप अमेरिका की सर्जरी से बिल्कुल अलग है। भारतीय उपमहाद्वीप में लोगों की हड्डियां काफी कमजोर होती हैं।
www.jkhealthworld.com/hindi/गोवा के हड्डी विशेषज्ञ अमेया वेलिंगकर के मुताबिक अमेरिका एवं ब्रिटेन की तुलना में भारत के लोग में घुटने के दर्द या बीमारी को नजरअंदाज कर दिया जाता है जिसकी वजह से अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और अंत समय में सर्जरी का भी सहारा लेना पड़ता है। वेलिंगकर ने कहा कि भारतीय लोगों में कमजोर हड्डियों का दूसरा बड़ा कारण नियमित व्यायाम न करना है। भारतीय लोग शारीरिक गतिविधियों को नजरअंदाज करते हैं जिससे हड्डियां कमजोर होती हैं और बाद में तकलीफ बढ़ती है।
उन्होंने कहा, भारतीय लोगों की हड्डियां दूसरे लोगों की तुलना में कम गुणवत्ता वाली होती हैं और नियमित व्यायाम की कमी के कारण यह और भी कमजोर हो जाती है। शोध के अनूसार हम जितना अधिक नियमित व्यायाम करेंगे, हड्डियों की तकलीफ से उतने ही दूर रहेंगे। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में लोग स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूप होते हैं और नियमित रूप से व्यायाम करते हैं जिसकी वजह से उनकी हड्डियां मजबूत और उच्चतम गुणवत्ता वाली होती हैं। अतः हमे हडि्डयों के रोग से बचने के लिए रोजाना व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम से न केवल हम रोग से बचे रहेंगे बल्कि हडि्डयों का विकास भी अच्छी करह से होगा। इससे हमरे शरीरि को चुस्ति और फुर्ति भी मिलेगी।

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Wednesday, 8 January 2014

Ginger tea is best for health


भारत में चाय का अपना अलग ही महत्‍वपूर्ण है। मौसम चाहे कोई भी हो चाय से कोई समझौता नहीं करता लेकिन सर्दियों में तो इसका महत्‍व और भी बढ़ जाता है। इसके साथ ही अगर अदरक वाली चाय हो तो मजा ही आ जाए। सर्दियों में अदरक वाली चाय की अपना ही अलग मजा होता है। अदरक वाली चाय कई प्रकार से कारगर होती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अदरक वाली चाय की सिर्फ सुगंध भर से ही आपका मूड बदल सकता है। अदरक वाली चाय में एंटी ऑक्‍सीडेंट होता है जो स्‍वास्‍थ्‍य के लिये बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसको पीने से पेट की जलन एवं पेट की अन्य समस्‍या दूर होती है। चाय मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्‍फूर्ति दिलाने का काम करती है और सर्दी के मौसम में सर्दी से बचाती है।
अदरक वाली चाय के फायदे
www.jkhealthworld.com/hindi/चायकफ और सर्दी में अदरक की चाय से मिलती है राहत- अदरक की चाय पीने से शरीर के वात, पित्‍त और कफ से उत्पन्न होने वाले दोष ठीक होते हैं क्‍योंकि अदरक गर्म होती है। इससे श्‍वसन संबंधी समस्‍याओं में भी राहत मिलती है। इसका सेवन रक्‍तचाप को सामान्‍य बनाए रखता है।
सिरदर्द और थकान में राहत दिलाती है अदरक वाली चाय- अदरक की चाय से सिरदर्द और काम की वजह से हुई मानसिक एवं शारीरिक थकान दूर होती है। इससे आप रिफ्रेश महसूस करते हैं। यह आलस मिटाती है और शरीर में ऊर्जा भरने का काम करता है।
भूख बढ़ाए में लाभकारी है अदरक- यदि किसी को ठीक से भूख नहीं लगती हो तो उन्‍हें नियमित रूप से अदरक वाली चाय पीनी शुरु कर देनी चाहिए। यह अंदर जा कर पाचन के लिये इंजाइम रिलीज करती है जिससे भूख बढ जाती है।
पाचन क्रिया को ठीक रखती है अदरक वाली चाय- अदरक की चाय से पाच क्रिया सही रहती है। यह कब्‍ज नहीं होने देती है। यह भोजन को पचाती है और गैस बाहर निकालती है।
त्‍वचा के लिए फायदेमंद है अदरक की चाय- अदरक वाली चाय पीने से झाइयां मिटती है। इसमें एंटी ऑक्‍सीडेंट पाया जाता है जो कि एजिंग को रोकता है और त्‍वचा से झाइयों को मिटाता है।
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Tuesday, 7 January 2014

Asthma can be controlled by taking fiber food

शोधकर्ताओं के अनुसार रेशेदार फल एवं सब्जियों का सेवन शरीर की अधिक सक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली को शांत करने में मदत मिलती है, जो आंतों में ऐंठन, आंत्रशोथ और आंतों के कैंसर का कारण बन सकती है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अधिक रेशेयुक्त भोजन लेने से दमा पर नियंत्रन किया जा सकता है, क्योंकि रेशेदार भोजन अस्थिमज्जा में विकसित होने वाले रोग प्रतिरक्षी कोशिकाओं के विकास होने से रोकती है। एक वेबसाइट के अनुसार, जब हम रेशेदार फल या सब्जी का सेवन करते हैं तो हमारी आंतों में प्राकृतिक रूप से मौजूद जीवाणु उन रेशों को पचाने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया में उत्सर्जित वसा अम्ल प्रतिरक्षी कोशिकाओं के संपर्क में आने के बाद ज्वलनशील स्
थिति पर नियंत्रण रखती है। ये वसा अम्ल प्रतिरक्षी कोशिकाओं के साथ संयुक्त होकर पूरे शरीर में रक्त प्रवाह के माध्यम से पहुंच जाती है। अध्ययन कर्ताओं का कहना है कि रेशेदार भोजन शरीर में दमा जैसे रोगों में असरकारक हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि पश्चिमी देशों में 60 के दशक में जब भोजन में रेशेदार पदार्थो के सेवन में कमी आई तो उसी दौरान दमा का तेजी से प्रसार हुआ। लेकिन कम विकसित देशों में भी अब दमा एक आम रोग हो चुकी है। इस विषय में स्विट्जरलैंड के लुसाने विश्वविद्यालय में प्रतिरक्षा विज्ञानी बेंजामिन मार्सलैंड व उनके साथी द्वारा चूहों पर दो सप्ताहों तक किये गए शोधों से पता चला है कि चूहों के धूल कणों में एक एलर्जी पैदा करने वाली चीज पाई, जो मनुष्यों में दमा फैलाने में अहम भूमिका अदा करती है।

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