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Thursday, 9 January 2014

व्यायाम न करने से हड्‍डियां होती है कमजोर


व्यायाम करने हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। हड्डी सर्जन का मानना है कि अमेरिकी या ब्रिटिश के लोगों की तुलना में भारतीय लोगों की हड्डियां कमजोर और विकृत होती हैं और हड्डी विकार होने का खतरा अधिक होता है। हड्डियों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूक के लिए किये गए आयोजित बताया गया है कि भारत में घुटनों की सर्जरी का स्वरूप अमेरिका की सर्जरी से बिल्कुल अलग है। भारतीय उपमहाद्वीप में लोगों की हड्डियां काफी कमजोर होती हैं।
www.jkhealthworld.com/hindi/गोवा के हड्डी विशेषज्ञ अमेया वेलिंगकर के मुताबिक अमेरिका एवं ब्रिटेन की तुलना में भारत के लोग में घुटने के दर्द या बीमारी को नजरअंदाज कर दिया जाता है जिसकी वजह से अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और अंत समय में सर्जरी का भी सहारा लेना पड़ता है। वेलिंगकर ने कहा कि भारतीय लोगों में कमजोर हड्डियों का दूसरा बड़ा कारण नियमित व्यायाम न करना है। भारतीय लोग शारीरिक गतिविधियों को नजरअंदाज करते हैं जिससे हड्डियां कमजोर होती हैं और बाद में तकलीफ बढ़ती है।
उन्होंने कहा, भारतीय लोगों की हड्डियां दूसरे लोगों की तुलना में कम गुणवत्ता वाली होती हैं और नियमित व्यायाम की कमी के कारण यह और भी कमजोर हो जाती है। शोध के अनूसार हम जितना अधिक नियमित व्यायाम करेंगे, हड्डियों की तकलीफ से उतने ही दूर रहेंगे। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में लोग स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूप होते हैं और नियमित रूप से व्यायाम करते हैं जिसकी वजह से उनकी हड्डियां मजबूत और उच्चतम गुणवत्ता वाली होती हैं। अतः हमे हडि्डयों के रोग से बचने के लिए रोजाना व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम से न केवल हम रोग से बचे रहेंगे बल्कि हडि्डयों का विकास भी अच्छी करह से होगा। इससे हमरे शरीरि को चुस्ति और फुर्ति भी मिलेगी।

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Wednesday, 8 January 2014

Ginger tea is best for health


भारत में चाय का अपना अलग ही महत्‍वपूर्ण है। मौसम चाहे कोई भी हो चाय से कोई समझौता नहीं करता लेकिन सर्दियों में तो इसका महत्‍व और भी बढ़ जाता है। इसके साथ ही अगर अदरक वाली चाय हो तो मजा ही आ जाए। सर्दियों में अदरक वाली चाय की अपना ही अलग मजा होता है। अदरक वाली चाय कई प्रकार से कारगर होती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अदरक वाली चाय की सिर्फ सुगंध भर से ही आपका मूड बदल सकता है। अदरक वाली चाय में एंटी ऑक्‍सीडेंट होता है जो स्‍वास्‍थ्‍य के लिये बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसको पीने से पेट की जलन एवं पेट की अन्य समस्‍या दूर होती है। चाय मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्‍फूर्ति दिलाने का काम करती है और सर्दी के मौसम में सर्दी से बचाती है।
अदरक वाली चाय के फायदे
www.jkhealthworld.com/hindi/चायकफ और सर्दी में अदरक की चाय से मिलती है राहत- अदरक की चाय पीने से शरीर के वात, पित्‍त और कफ से उत्पन्न होने वाले दोष ठीक होते हैं क्‍योंकि अदरक गर्म होती है। इससे श्‍वसन संबंधी समस्‍याओं में भी राहत मिलती है। इसका सेवन रक्‍तचाप को सामान्‍य बनाए रखता है।
सिरदर्द और थकान में राहत दिलाती है अदरक वाली चाय- अदरक की चाय से सिरदर्द और काम की वजह से हुई मानसिक एवं शारीरिक थकान दूर होती है। इससे आप रिफ्रेश महसूस करते हैं। यह आलस मिटाती है और शरीर में ऊर्जा भरने का काम करता है।
भूख बढ़ाए में लाभकारी है अदरक- यदि किसी को ठीक से भूख नहीं लगती हो तो उन्‍हें नियमित रूप से अदरक वाली चाय पीनी शुरु कर देनी चाहिए। यह अंदर जा कर पाचन के लिये इंजाइम रिलीज करती है जिससे भूख बढ जाती है।
पाचन क्रिया को ठीक रखती है अदरक वाली चाय- अदरक की चाय से पाच क्रिया सही रहती है। यह कब्‍ज नहीं होने देती है। यह भोजन को पचाती है और गैस बाहर निकालती है।
त्‍वचा के लिए फायदेमंद है अदरक की चाय- अदरक वाली चाय पीने से झाइयां मिटती है। इसमें एंटी ऑक्‍सीडेंट पाया जाता है जो कि एजिंग को रोकता है और त्‍वचा से झाइयों को मिटाता है।
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Tuesday, 7 January 2014

Asthma can be controlled by taking fiber food

शोधकर्ताओं के अनुसार रेशेदार फल एवं सब्जियों का सेवन शरीर की अधिक सक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली को शांत करने में मदत मिलती है, जो आंतों में ऐंठन, आंत्रशोथ और आंतों के कैंसर का कारण बन सकती है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अधिक रेशेयुक्त भोजन लेने से दमा पर नियंत्रन किया जा सकता है, क्योंकि रेशेदार भोजन अस्थिमज्जा में विकसित होने वाले रोग प्रतिरक्षी कोशिकाओं के विकास होने से रोकती है। एक वेबसाइट के अनुसार, जब हम रेशेदार फल या सब्जी का सेवन करते हैं तो हमारी आंतों में प्राकृतिक रूप से मौजूद जीवाणु उन रेशों को पचाने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया में उत्सर्जित वसा अम्ल प्रतिरक्षी कोशिकाओं के संपर्क में आने के बाद ज्वलनशील स्
थिति पर नियंत्रण रखती है। ये वसा अम्ल प्रतिरक्षी कोशिकाओं के साथ संयुक्त होकर पूरे शरीर में रक्त प्रवाह के माध्यम से पहुंच जाती है। अध्ययन कर्ताओं का कहना है कि रेशेदार भोजन शरीर में दमा जैसे रोगों में असरकारक हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि पश्चिमी देशों में 60 के दशक में जब भोजन में रेशेदार पदार्थो के सेवन में कमी आई तो उसी दौरान दमा का तेजी से प्रसार हुआ। लेकिन कम विकसित देशों में भी अब दमा एक आम रोग हो चुकी है। इस विषय में स्विट्जरलैंड के लुसाने विश्वविद्यालय में प्रतिरक्षा विज्ञानी बेंजामिन मार्सलैंड व उनके साथी द्वारा चूहों पर दो सप्ताहों तक किये गए शोधों से पता चला है कि चूहों के धूल कणों में एक एलर्जी पैदा करने वाली चीज पाई, जो मनुष्यों में दमा फैलाने में अहम भूमिका अदा करती है।

Monday, 6 January 2014

unnecessarily death can be stopped by increase high tax of smoking for stop smoking

भारत जैसे देशों में सबसे कम कीमत वाला सिगरेट मिलती है जिसे एक आम आदमी भी खरीद कर पी सकता है। यह कारण है कि भारत में धूम्रपान करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है इसका एक मात्र समाधान

ऊंचा कर है। शोध पत्रिका ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन’ में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में यदि सिगरेट पर कर 3 गुणा बढ़ा दिया जाए, तो धूम्रपान करने वालों की संख्या में एक तिहाई गिरावट आएगी तथा इस सदी में फेफड़े के कैंसर तथा अन्य कारणों से होने वाली असमय मौत में 20 करोड़ तक की कमी आएगी। यहां सेंट माइकेल्स अस्पताल के वैश्विक स्वास्थ्य शोध केंद्र के निदेशक व रिपोर्ट के मुख्य लेखक प्रभात झा के मुताबिक कर बढ़ने से अलग-अलग
सिगरेट की कीमतों का अंतर घट जाएगा और लोग अपेक्षाकृत सस्ता सिगरेट खरीदने की अपेक्षा सिगरेट खरीदना ही बंद कर देंगे। टोबेको कंट्रोल पोलिसी इवेल्युएशन प्रोजेक्ट इंडिया (टीसीपी इंडिया) के अनुसार भारत में करीब 27.5 करोड़ लोग तंबाकू का नशा करते हैं। भारत में पुरुषों को होने वाले कैंसर के सभी मामलों में से करीब आधा तंबाकू के कारण और महिलाओं के मामले में करीब एक चौथाई तंबाकू के कारण होता है। एक अनुमान के मुताबिक 2020 तक हर साल 15 लाख लोगों की मौत तंबाकू जन्य कारणों से होने लगेगी। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और रिपोर्ट के सह-लेखक रिचर्ड पेटो के मुताबिक सरकार को तंबाकू उपयोग पर रोक लगाने के लिए कदम उठाना चाहिए। उनके मुताबिक कर बढ़ाना एक कारगर उपाय है। इससे तिहरा लाभ होगा। धूम्रपान करने वालों और उसकी वजह से होने वाली मौत की संख्या घटेगी, धूम्रपान के कारण होने वाली असमय मौत कम होगी और सरकार की आय भी बढ़ेगी।

हेल्थ से संबंधित अधिक जानकारी के लिए- 

heart diseases, Fatness, No side effect of sugar of fruits, vegetable and hunney




अक्सर मोटापे की बीमारी के लिए फलों, सब्जियों और शहद में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली शर्करा को दोष दिया जाता है जिसकी वजह से अक्सर चिकित्सक इसकी अधिक मात्रा में सेवन करने से माना करते हैं लेकिन एक शोध से पाया गया है कि दिल की बीमारियों में फल,
सब्जियों और शहद में पाए जाने वाला शर्करा का कोई बूरा प्रभाव नहीं पड़ता। सेंट माइकल्स अस्पताल के क्लीनिकल न्यूट्रीशन एंड रिस्क फैक्टर मोडिफिकेशन सेंटर के शोधकर्ता जॉन सीवेनपाइपर ने कहा है कि फल-शर्करा का प्रतिकूल प्रभाव तभी पड़ता है जब ज्यादा कैलोरी का योगदान होता है। सीवपाइपर ने बताया है कि फल-शर्करा, परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट से अलग कोई व्यवहार नहीं करती। जब फल-शर्करा को अधिक कैलोरी मिलती है तो यह बढ़ता है। एथरोस्लेरोसिस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि दिल की बीमारियों के खतरे के निर्धारण के लिए रक्त ग्लूकोज स्तर के मानक परीक्षण के अलावा ट्रिग्लिसेरिड्स की जांच लोगों के लिए सामान्य हो रही है। फल-शर्करा साधारण शर्करा है जो ग्लूकोज के साथ मिलकर टेबल चीनी का आधार- इक्षुशर्करा (सुक्रोज) बनाती है। यह उच्च फलशर्करा वाले कॉर्न सिरप में भी पाई जाती है. शरीर ग्लूकोज और फल-शर्करा (फ्रुक्टोज) का उपापचय बहुत अलग तरीके करता है।

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