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Tuesday, 7 January 2014

Asthma can be controlled by taking fiber food

शोधकर्ताओं के अनुसार रेशेदार फल एवं सब्जियों का सेवन शरीर की अधिक सक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली को शांत करने में मदत मिलती है, जो आंतों में ऐंठन, आंत्रशोथ और आंतों के कैंसर का कारण बन सकती है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अधिक रेशेयुक्त भोजन लेने से दमा पर नियंत्रन किया जा सकता है, क्योंकि रेशेदार भोजन अस्थिमज्जा में विकसित होने वाले रोग प्रतिरक्षी कोशिकाओं के विकास होने से रोकती है। एक वेबसाइट के अनुसार, जब हम रेशेदार फल या सब्जी का सेवन करते हैं तो हमारी आंतों में प्राकृतिक रूप से मौजूद जीवाणु उन रेशों को पचाने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया में उत्सर्जित वसा अम्ल प्रतिरक्षी कोशिकाओं के संपर्क में आने के बाद ज्वलनशील स्
थिति पर नियंत्रण रखती है। ये वसा अम्ल प्रतिरक्षी कोशिकाओं के साथ संयुक्त होकर पूरे शरीर में रक्त प्रवाह के माध्यम से पहुंच जाती है। अध्ययन कर्ताओं का कहना है कि रेशेदार भोजन शरीर में दमा जैसे रोगों में असरकारक हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि पश्चिमी देशों में 60 के दशक में जब भोजन में रेशेदार पदार्थो के सेवन में कमी आई तो उसी दौरान दमा का तेजी से प्रसार हुआ। लेकिन कम विकसित देशों में भी अब दमा एक आम रोग हो चुकी है। इस विषय में स्विट्जरलैंड के लुसाने विश्वविद्यालय में प्रतिरक्षा विज्ञानी बेंजामिन मार्सलैंड व उनके साथी द्वारा चूहों पर दो सप्ताहों तक किये गए शोधों से पता चला है कि चूहों के धूल कणों में एक एलर्जी पैदा करने वाली चीज पाई, जो मनुष्यों में दमा फैलाने में अहम भूमिका अदा करती है।

Monday, 6 January 2014

unnecessarily death can be stopped by increase high tax of smoking for stop smoking

भारत जैसे देशों में सबसे कम कीमत वाला सिगरेट मिलती है जिसे एक आम आदमी भी खरीद कर पी सकता है। यह कारण है कि भारत में धूम्रपान करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है इसका एक मात्र समाधान

ऊंचा कर है। शोध पत्रिका ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन’ में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में यदि सिगरेट पर कर 3 गुणा बढ़ा दिया जाए, तो धूम्रपान करने वालों की संख्या में एक तिहाई गिरावट आएगी तथा इस सदी में फेफड़े के कैंसर तथा अन्य कारणों से होने वाली असमय मौत में 20 करोड़ तक की कमी आएगी। यहां सेंट माइकेल्स अस्पताल के वैश्विक स्वास्थ्य शोध केंद्र के निदेशक व रिपोर्ट के मुख्य लेखक प्रभात झा के मुताबिक कर बढ़ने से अलग-अलग
सिगरेट की कीमतों का अंतर घट जाएगा और लोग अपेक्षाकृत सस्ता सिगरेट खरीदने की अपेक्षा सिगरेट खरीदना ही बंद कर देंगे। टोबेको कंट्रोल पोलिसी इवेल्युएशन प्रोजेक्ट इंडिया (टीसीपी इंडिया) के अनुसार भारत में करीब 27.5 करोड़ लोग तंबाकू का नशा करते हैं। भारत में पुरुषों को होने वाले कैंसर के सभी मामलों में से करीब आधा तंबाकू के कारण और महिलाओं के मामले में करीब एक चौथाई तंबाकू के कारण होता है। एक अनुमान के मुताबिक 2020 तक हर साल 15 लाख लोगों की मौत तंबाकू जन्य कारणों से होने लगेगी। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और रिपोर्ट के सह-लेखक रिचर्ड पेटो के मुताबिक सरकार को तंबाकू उपयोग पर रोक लगाने के लिए कदम उठाना चाहिए। उनके मुताबिक कर बढ़ाना एक कारगर उपाय है। इससे तिहरा लाभ होगा। धूम्रपान करने वालों और उसकी वजह से होने वाली मौत की संख्या घटेगी, धूम्रपान के कारण होने वाली असमय मौत कम होगी और सरकार की आय भी बढ़ेगी।

हेल्थ से संबंधित अधिक जानकारी के लिए- 

heart diseases, Fatness, No side effect of sugar of fruits, vegetable and hunney




अक्सर मोटापे की बीमारी के लिए फलों, सब्जियों और शहद में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली शर्करा को दोष दिया जाता है जिसकी वजह से अक्सर चिकित्सक इसकी अधिक मात्रा में सेवन करने से माना करते हैं लेकिन एक शोध से पाया गया है कि दिल की बीमारियों में फल,
सब्जियों और शहद में पाए जाने वाला शर्करा का कोई बूरा प्रभाव नहीं पड़ता। सेंट माइकल्स अस्पताल के क्लीनिकल न्यूट्रीशन एंड रिस्क फैक्टर मोडिफिकेशन सेंटर के शोधकर्ता जॉन सीवेनपाइपर ने कहा है कि फल-शर्करा का प्रतिकूल प्रभाव तभी पड़ता है जब ज्यादा कैलोरी का योगदान होता है। सीवपाइपर ने बताया है कि फल-शर्करा, परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट से अलग कोई व्यवहार नहीं करती। जब फल-शर्करा को अधिक कैलोरी मिलती है तो यह बढ़ता है। एथरोस्लेरोसिस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि दिल की बीमारियों के खतरे के निर्धारण के लिए रक्त ग्लूकोज स्तर के मानक परीक्षण के अलावा ट्रिग्लिसेरिड्स की जांच लोगों के लिए सामान्य हो रही है। फल-शर्करा साधारण शर्करा है जो ग्लूकोज के साथ मिलकर टेबल चीनी का आधार- इक्षुशर्करा (सुक्रोज) बनाती है। यह उच्च फलशर्करा वाले कॉर्न सिरप में भी पाई जाती है. शरीर ग्लूकोज और फल-शर्करा (फ्रुक्टोज) का उपापचय बहुत अलग तरीके करता है।

Sunday, 5 January 2014

wheat grass, Juice of wheat grass

गेहूं के जवारों में अनेक पोषक तत्व व रोग निवारक गुण पाए जाते हैं जिससे इसे आहार नहीं वरन्‌ अमृत का दर्जा भी दिया जाता है। जवारों में सबसे प्रमुख तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है। गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं। इसलिए कोई भी रोग हो तो वर्तमान में चल रही चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ इसका प्रयोग कर बहुत लाभ प्राप्त किया जा सकता है। जवारों के जूस एक प्रकार के शक्तिवर्धक टॉनिक के रूप में कार्य करता है और शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है।
हिमोग्लोबिन रक्त में पाया जाने वाला एक तत्व है। हिमोग्लोबिन में हेमिन नामक तत्व पाया जाता है। रासायनिक रूप से हिमोग्लोबिन व हेमिन में काफी समानता है। हिमोग्लोबिन व हेमिन में कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन व नाइट्रोजन के अणुओं की संख्या व उनकी आपस में संरचना भी करीब-करीब एक जैसी होती है। हिमोग्लोबिन व हेमिन की संरचना में केवल एक ही अंतर होता है कि क्लोरोफिल के परमाणु केंद्र में मैग्नेशियम, जबकि हेमिन के परमाणु केंद्र में लोहा स्थित होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि हिमोग्लोबिन व क्लोरोफिल में काफी समानता है और इसीलिए गेहूं के जवारों को हरा रक्त कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है।

Use of water for diseases care


Water Therapy
Water Therapy
पानी द्वारा अनेक प्रकार के रोगों को दूर किया जाता है। पानी द्वारा रोगों का उपचार की विधि बहुत प्राचीन है। इससे जलचिकित्सा के नाम से जाना जाता है।
पानी का उपयोग की विधि-
रात को सोने से पहले लगभग एक लीटर पानी किसी बर्तन में ढ़क कर रखें दें और सुबह उठकर चार बड़े ग्लास भरकर पानी एक ही समय एक साथ पी जाएं। ध्यान रहे कि पानी पीने के पहले मुंह न धोएं, न ब्रश करें तथा शौचकर्म भी न करें। पानी पीने के बाद थूकें नहीं।
पानी पीने के पौन घंटे बाद आप ब्रश/दातून, मुंह धोना, शौचकर्म इत्यादि नित्यकर्म करें। जो व्यक्ति बीमार या कमजोर हो और वे एक साथ चार ग्लास पानी नहीं पी सकें तो उन्हें शुरूआत एक-दो ग्लास पानी से करना चाहिए तथा धीरे-धीरे चार ग्लास तक बढ़ाना चाहिए। साथ ही भोजन करने के बाद लगभग दो घंटे पानी न पिया जाए तो अति उत्तम रहेगा। चार ग्लास पानी पीने की यह विधि स्वस्थ या बीमार, सभी के लिए अति लाभदायक सिद्ध हुई है। सकनीरा एसोसिएशन के अनुभव द्वारा यह सिद्ध किया गया है कि कई बीमारियां इस प्रयोग से निम्नलिखित समय में दूर होती जाती हैं।

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