हृदय रोग
शरीर का सबसे मूल्यवान् अंग है। इसकी धड़कन की अवस्था देखकर ही हम किसी के बीमार व्यक्ति या निबीमार व्यक्ति होने की पुष्टि करते हैं। यह हृदय ही सारे शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन् युक्त खून को पहुँचाने की जिम्मेदारी निर्वहन करता है। इसके लिये उसे पर्याप्त ऊर्जा की जरूरत होती है। जब यह शक्ति कम हो जाया करती है या उसकी आपूर्ति में गतिरोध आने लगता है, तो बहुत से परेशानियाँ खड़ी होने लगती हैं।
हृदय, दूसरे शब्दों में दिल
हृदय, दूसरे शब्दों में दिल
हृदय असंख्य पतली - पतली नसों और मांसपेशियों से युक्त एक गोल लम्बवत् खोखला मांस पिण्ड होता है। इसके अन्दर चार खण्ड (पार्ट) होते हैं और प्रत्येक खण्ड में एक ऑटोमैटिक वाल्व लगा होता है। इससे पीछे से आया हुआ खून उस खण्ड में इकट्ठा होकर आगे तो जाता है, but वापस आने से पहले वाल्व बन्द हो जाता है, जिसकी वजह से वह खून body के सभी भागों में चला जाता है। ऐसा हृदय के चारों भागों में चलता होता है। जब इन ऑटोमैटिक वाल्वों में खराबी आ जाती है, तो खून पूरी मात्रा में आगे नहीं जा पाता और कुछ वापस हो जाता है, इससे खून सारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है और कई प्रकार की परेशानियाँ खड़ी होती हैं। हृदय पर अतिरिक्त बोझ पड़ने लगता है। जिसकी वजह से उसमें अचानक तीव्र दर्द उठता है, जो असहनीय होता है। यह दर्द सीने के बीच के हिस्से में होता हुआ बायीं बाजू, गले व जबड़े की तरफ जाता है।
कारण
अधिक चर्बीयुक्त आहार Daily लेने से वह चर्बी नसों में इकट्ठी होती जाती है और धमनियों में सिकुड़न या छेद हो जाता है इससे खून संचार धीमा हो जाता है, जिसकी वजह से हृदय में अतिरिक्त दबाव बढ़ जाता है और body में खून प्रवाह की कमी हो जाया करती है। इस अवस्था में जब हम तेज - तेज चलते हैं, सीढ़ियाँ चढ़ते है या कोई weight उठाते है, तब हमें अधिक ऊर्जा की अवश्यक पड़ती है।
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