अगर आराम की नींद सोना चाहते हैं तो सोते समय 'चिंता' न करें और भगवान का 'चिंतन' करें।
पाचन शक्ति ठीक रखने के लिए सही समय पर भोजन करें और भोजन को अच्छी तरह चबा-चबाकर खाएं।
अगर यौनशक्ति ठीक रखनी हो तो कामुक चिंतन न किया करें और सप्ताह में एक से अधिक बार सहवास न किया करें।
अगर आप अधिक अण्डा, मांस खाते हैं और शराब पीते हैं तो अण्डा, मांस खाने से शरीर मोटा-तगड़ा जरूर हो सकता है पर कुछ बीमारियां भी इसी से पैदा होती हैं। शराब पीने से आनंद नहीं आता, बेहोशी आती है और बीमारियां होती हैं।
भोजन करते समय और सोते समय किसी भी प्रकार की चिंता, क्रोध या शोक नहीं करना चाहिए। भोजन से पहले हाथ और सोने से पहले पैर धोना तथा दोनों वक्त मुंह साफ करना हितकारी होता है।
यदि आप मुफ्त में स्वस्थ और चुस्त बने रहना चाहते हैं तो आपको तीन काम करना चाहिए। पहला तो प्रातः जल्दी उठकर वायु सेवन के लिए लम्बी सैर के लिए जाना और दूसरा ठीक वक्त पर खूब अच्छी तरह चबा-चबाकर खाना तथा तीसरा दोनों वक्त शौच अवश्य जाना।
बीमारी की अवस्था में, बीमारी से मुक्त होने के बाद, भोजन करने के बाद, परिश्रम या यात्रा से थके होने पर प्रातःकाल तथा सूर्यास्त के समय और उपवास करते समय विषय भोग करना बहुत हानिकारक होता है।
यदि आप सुख चाहते हैं तो दुःख देने वाला काम न करें, यदि आप आनंद चाहते हैं तो स्वास्थ्य की रक्षा करें। यदि आप स्वास्थ्य चाहते हैं तो व्यायाम और पथ्य का सेवन करें। संसार के सब सुख स्वस्थ व्यक्ति ही भोग सकता है। कहा भी गया है- पहला सुख निरोगी काया।
पाचन शक्ति ठीक रखने के लिए सही समय पर भोजन करें और भोजन को अच्छी तरह चबा-चबाकर खाएं।
अगर यौनशक्ति ठीक रखनी हो तो कामुक चिंतन न किया करें और सप्ताह में एक से अधिक बार सहवास न किया करें।
अगर आप अधिक अण्डा, मांस खाते हैं और शराब पीते हैं तो अण्डा, मांस खाने से शरीर मोटा-तगड़ा जरूर हो सकता है पर कुछ बीमारियां भी इसी से पैदा होती हैं। शराब पीने से आनंद नहीं आता, बेहोशी आती है और बीमारियां होती हैं।
भोजन करते समय और सोते समय किसी भी प्रकार की चिंता, क्रोध या शोक नहीं करना चाहिए। भोजन से पहले हाथ और सोने से पहले पैर धोना तथा दोनों वक्त मुंह साफ करना हितकारी होता है।
यदि आप मुफ्त में स्वस्थ और चुस्त बने रहना चाहते हैं तो आपको तीन काम करना चाहिए। पहला तो प्रातः जल्दी उठकर वायु सेवन के लिए लम्बी सैर के लिए जाना और दूसरा ठीक वक्त पर खूब अच्छी तरह चबा-चबाकर खाना तथा तीसरा दोनों वक्त शौच अवश्य जाना।
बीमारी की अवस्था में, बीमारी से मुक्त होने के बाद, भोजन करने के बाद, परिश्रम या यात्रा से थके होने पर प्रातःकाल तथा सूर्यास्त के समय और उपवास करते समय विषय भोग करना बहुत हानिकारक होता है।
यदि आप सुख चाहते हैं तो दुःख देने वाला काम न करें, यदि आप आनंद चाहते हैं तो स्वास्थ्य की रक्षा करें। यदि आप स्वास्थ्य चाहते हैं तो व्यायाम और पथ्य का सेवन करें। संसार के सब सुख स्वस्थ व्यक्ति ही भोग सकता है। कहा भी गया है- पहला सुख निरोगी काया।
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