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Wednesday 12 March 2014

तोंद कम करने के सरल उपाय


अनियमित और मसालेदार भोजन के अतिरिक्त आरामदायक रहन-सहन के कारण तोंद एक आम समस्या बन गई है जो डायबिटीज और हार्टअटैक जैसे रोग का कारण बन गया है। तोंद कई अन्य रोगों को भी जन्म देती है जिसकी वजह से व्यक्ति शारीरिक रूप से सभी अच्छा फिल नहीं कर पाता। मोटापे के दौरान कमर और पेट के आसपास इकट्ठा हुई अतिरिक्त चर्बी से किडनी और मूत्राशय में भी परेशानी आने लगती है। इससे रीढ़ की हड्डी पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है जिससे कमर दर्द और साइड दर्द होता रहता है। अगर आप तोंद से छुटकारा पाकर फिर से उसे पेट बनाने की सोच रहे हैं तो आप इन टीप्स को अपने। इन में से किसी भी एक उपाय को नियमित 1 माह तक करने से लाभ नजर आएगा।
fatness
Obesity
डाइट पर नियंत्रण : यह बहुत जरूरी है लेकिन कुछ लोगों के लिए यह बहुत कठिन टॉस्क है तो वे मानस‌िक उपाय करें। जब उनके सामने फैटी डाइट हो तो वे उससे होने वाले नुकसान के बारे में सोचें और अपनी तोंद को देंखे।
ओवर इटिंग से बचना जरूरी है। कोई भी बहाना न बनाएं। खुद के साथ न्याय करें।
योगा टिप्स : प्रतिदिन अंग संचालन करें। सावधान की मुद्रा में खड़े रहकर दोनों हाथों की हथेलियों को कमर पर रखें फिर कमर को क्लॉकवाइज और एंटी-क्लॉकवाइज 10-10 बार घुमाएं।
नौकासन करें : नियमित रूप से यह आसन न सिर्फ पेट की चर्बी कम करने में मददगार है बल्कि शरीर को
लचीला बनाने से लेकर पाचन संबंधी समस्याओं में यह काफी फायदेमंद साबित हुआ है।

Tuesday 4 March 2014

महिलाएं हो जाती हैं मोटी

महिलाओं में मोटापे की परेशानी। वैसे तो मोटापा स्त्री-पुरुष दोनों में होता है लेकिन आज-कल महिलाओं में यह ज्‍यादा देखने को मिलता है। विशेषज्ञों के अनुसार महिलाओं में मोटापा, न केवल गलत
खान-पान की आदत से होता है, बल्कि मासिक धर्म की अनियमितता से भी होता है। मोटापा कम करने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि महिलाओं में मोटापा बढ़ने का क्‍या कारण है और
इसको किस तरह कम किया जा सकता है। अगर आप भी महिला हैं, और बढ़ते वजन से परेशान हैं, तो इसे पढ़े। किस-किस जगह आता है मोटापा-
जांघे- थाई का स्‍थान सबसे पहले बढ़ता है, क्‍योंकि जबमासिक धर्म में अवरोध उत्पन्न होता है तो जांघे मोटी होने लगती हैं और इतनी मोटी हो जाती हैं कि चलने फिरने में भी परेशानी आने लगती है।
पेट- पेट का बढ़ना आमतौर पर शौच और पीरियड पर ही निर्भर करता है और दर्द भी रहने लगता है। इससे भूख कम हो जाती है और गैस बनने लगती है। साथ ही पेट भारी रहने लगता है।
कमर- लंबे समय तक मोटापा कमर पर ही दिखाई देता है। फिर शरीर फैलने लगता है और बढ़े हुए वजन की वजह से घुटनों पर असर पड़ता है और वह दर्द करने लगता है।
छाती और पीठ- छाती और पीठ पर टाइट कपड़े पहनने से यह बढ़ता है। मोटापा मिटाने का मूल मंत्र इनपुट कम आउटपुट ज्‍यादा- इनपुट कम करें, आउटपुट बढ़ाएं यानी खाने में ऐसे पदार्थों का
इस्‍मेमाल करें, जो आउटपुट बढ़ाते हैं। फल निष्‍कासन को तेज करते हैं जैसे नींबू पानी, गर्म पानी, छाछ, गुनगुना आंवला रस या कोई फल जैसे पपीता, अंगूर, अनार, संतरा, मौसमी आम या सब्‍जियां
लौकी, पत्‍तागोभी, फूलगोभी और बैगन का प्रयोग करें।
योग- मोटापे को कम करने के लिए योग बहुत ही बेहतर उपाय है। योग में चक्‍की संचालन, साइकलिंग, धनुरासन और अश्‍वासन मुख्‍य है।
मासज- मसाज पूरे शरीर के खून को सर्कुलेट करने में मदद करती है। इसके साथ ही मसाज मोटापे को कम करने का भी काम आसान करती है।
सूर्य स्‍नान- इससे जमा हुआ फैट बाहर निकलता है, कैल्शियम डी-1, डी-2, डी-3 की पूर्ती करता है। इसलिए 30 से 50 मिनट सूर्य स्‍नाना करना चाहिये। यह मोटापा कम करता है।
मोटापा बढ़ाने वाला तत्‍व- केला, अरबी, भिंडी, मैदा, मिठाइयां, सॉस, लंबे समय तक बैठना, दिन में सोना और बार बार खाना अधिक मोटापा बढ़ाता है। गरिष्‍ट और भारी भोजन शरीर में लंबे समय तक
रुकता है। क्‍या करें-
1.दिनभर गर्म पानी पीने की उपेक्षा सूर्य की रोशनी में रखा हुआ पानी पीना फायदेमंद है।
2. नीबू को बार-बार गर्म पानी में डाल कर न पिंए, सादे पानी से लें। गर्म पानी से कभी कभी ले सकते हैं पर इससे कमजोरी आने लगती है।
3. चाय के साथ नमकीन, ब्रेड और बिस्‍कुट नहीं लेना चाहिये। सिंपल चाय पिंए और चाय पीने के 10 मिनट बाद पानी पींए, मोटापा कम होगा।
4. पेट में जमने वाली वस्‍तु जैसे चॉक्‍लेट, टॉफी, ब्रेड, बिस्‍कुट आदी से परहेज करें। इन्‍हें बार-बार नहीं खाएं।

Monday 3 March 2014

स्वास्थ्य रहने के लिए कुछ अच्छी आदतें

  1. अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलती रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें।
  2. मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें।
  3. कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एयरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें। अगर किसी भी चीज के लिए
  4. वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े।
  5. 45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डॉक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू  जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।
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डाईट

Tuesday 25 February 2014

हेल्दी आदते जो रखे आप को स्वस्थ्य

बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। इससे आप के हाथों में लग कीटाणु नष्ट होगा है और आप स्वस्थ्य रहेंगे। यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तो निश्चित रूप से साबून से हाथ धोएं।
घर में साफ-सफाई पर ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी जमा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करें। खाने की किसी भी चीजों को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को हमेशा साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें।
ताजी सब्जियों एवं फलों का प्रयोग करें। मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर का ध्यान रखें।
बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं।
खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में 'वैरायटी ऑफ फूड' शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं।
खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑइल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लॉवर, मक्का या ऑलिव ऑइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शकर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शकर से बने ज्यूस आदि का उपयोग न करें। कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो।

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Monday 24 February 2014

वर्कआउट से पहले डाईट

वर्कआउट से पहले डाईट
खाली पेट दौडऩे से शरीर को नुकसान हो सकता है। अतः शरीर को फिट रखने के लिए जरूरी है- वर्कआउट व स्पोर्ट्स के लिए सही भोजन लेना। सभी एक्सरसाइज की प्रकृति को समझना बेहद जरूरी
है। तभी आप एक्सरसाइज से पहले, एक्सरसाइज के दौरान और एक्सरसाइज के बाद शरीर को ऊर्जा उपलब्ध करा पाएंगे।
वॉकिंग, जॉगिंग, एरोबिक्स, जुम्बा, स्पिनिंग आदि फैट को बर्न करने वाले एक्सरसाइज हैं। ये एक्सरसाइज कार्डियो वेस्कुलर सिस्टम की मांग को बढ़ाता है जिससे शरीर द्वारा ऑक्सीजन के इस्तेमाल की
क्षमता बढ़ जाती है। कार्डियो एक्सरसाइज को खाली पेट ही करना चाहिए। ये एक्सरसाइज शरीर के फैट और कार्बोहाइड्रेट का इस्तेमाल फ्यूल के रूप में करता है। अगर शरीर में कार्बोहाइड्रेट उपलब्ध रहेगा तो फैट कम बर्न होगा।
कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज सप्लाई करता है, जो कि शरीर का प्राथमिक फ्यूल होता है। यह फैट और प्रोटीन की तुलना में तेजी से पचता है। इसलिए कर्डियो एक्सरसाइज से पहले भोजन करने का कोई महत्व
नहीं है। यही वजह है कि सुबह कार्डियो एक्सरसाइज करना ज्यादा असरदार होता है। पर इसका मतलब यह नहीं कि आप रात को भी कार्बोहाइड्रेट न लें। रात को अच्छे से खाना जरूरी होता है, ताकि
सुबह एक्सरसाइज के दौरान आपका शरीर ऊर्जा के लिए प्रोटीन का इस्तेमाल न करे।
एक्सरसाइज शुरू करने के करीब 20-25 मिनट बाद ही शरीर फैट को बर्न करना शुरू करता है। अगर कोई पूरी तरह से कार्बोहाइड्रेट का त्याग कर दे तो शरीर प्रोटीन से ऊर्जा लेना शुरू कर देगा। ऐसे में
आपका मसल कम होगा और फैट कम करने का आपका उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा।
मैराथन धावक के लिए वर्कआउट से पहले पौष्टिक तत्व लेना बेहद जरूरी होता है। यह एक ऐसी कार्डियो एक्टिविटी है जिसमें लंबे समय तक बड़ी मात्रा में ऊर्जा की जरूरत होती है। इसलिए ऐसे
एक्टिविटी में फ्यूल के लिए कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की जरूरत होती है। लंबे समय तक कार्डियो करने से मसल भी कम होता है, जिसे केटाबोलिक स्टेट कहते हैं। इसलिए अत्याधिक इस्तेमाल में आए
मसल के विकास और रिपेयर के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है।
मैराथन धावक को वर्कआउट से करीब 2 घंटे पहले भोजन करना चाहिए। इसके लिए ओट्स और कम फैट वाला दूध, नट्स के साथ अन्न व फलों का मिश्रण, गेहूं की रोटी के साथ फल, थोड़ा सा नट
बटर, उबले हुए अंडे की सफेदी के साथ एक फल या एक पूरा अंडा ले सकते हैं।
कार्डियो वर्कआउट के लिए जरूरी है कि आप सादा पानी पीते रहें। हमारे मसल में 60 प्रतिशत पानी होता है। ज्यादा पसीना निकलने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है और आप डिहाइड्रेशन के
शिकार हो सकते हैं। कभी स्पोर्ट्स ड्रिंक न पीएं, क्योंकि यह सुगर से भरा होता है। ज्यादा सुगर सिर्फ गैस्ट्रोइन्टेस्टनल ट्रैक्ट में समस्या ही पैदा करेगा।

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