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Wednesday, 25 March 2015

HIGH BLOOD PRESSER

HIGH BLOOD PRESSER के लिए Ayurvedic Treatment



रात को तांबे के बर्तन में पाँव किलो जल रखें और उसमें असली
उच्च Blood Pressure की बीमारी हमारे समाज में खान पान और तनाव युक्त जीवन के वजह लगातार बढ़ रही है। Ayurved में इस बीमारी को ठीक के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं जिनको में आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ जिनका यदि प्रयोग किया जाए तो लाभ हो सकता है। 
1. रात को तांबे के बर्तन में पाँव किलो जल रखें और उसमें असली* रुद्राक्ष के आठ दाने डालकर रख दें। रोजाना सवेरे उषापान के रूप में वह जल पी जाएँ। इसके morning प्रयोग से तीन महिने में हि Blood Pressure कम हो जाएगा। आप उन्ही दानों को तीन महिने तक प्रयोग कर सकते हैं हाँ रुद्राक्ष को 2-3 सप्ताह बाद ब्रुश से साफ़ करके धुप में सुखा लिजिएं।
2. 250 50 grams ताज़ी हरी लौकी छिलके सहित 500 grams जल में प्रेशर कुकर में डालकर आग पर रख दें और एक सीटी बजने पर आग पर से उतार लिजिएं। मसलकर छान कर (बिना इसमें कुछ मिलाएं) इसे सूप कि तरह गर्म गर्म पी लिजिएं। जरूरत के अनुसार सुबह खाली पेट लगातार 3-4 दिन तक रौजाना एक Dose लिजिएं।
3. एक तांबे की कटोरी में 10-15 grams मैथी दाना रात को जल में भिगो दें। सुबह में मैथी दाना निकालकर वह जल पी लिजिएं। Blood Pressure कि अवस्था में आवश्यक परहेज के साथ यह प्रयोग करने से चाहे Blood Pressure बढ़ा हुआ हो या कम हो सामान्य होने लगेगा। साथ हि इस प्रयोग से मधुमेह तथा मोटापा में भी लाभ होता है।
4. उच्च Blood Pressure में रात्री में सोने से पहले बादाम के तेल की पांच पांच बूंदों का नस्य लेने से भी ना केवल Blood Pressure बल्कि सिर के अनेक रोगों में भी लाभ होता है।
* शुद्ध रुद्राक्ष की पहचान यह है कि शुद्ध रुद्राक्ष जल में डूब जाता है।
Related Links: आयुर्वेदिक औषधियां   |   हृदय रोग    |    हार्टफेल   |    निम्न रक्तचाप  

Tuesday, 24 March 2015

Motapa Ghatane ke liye kuchh ayurvedic Nuskhe

मोटापा घटाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे


आज में आपके सामनें मोटापे को दूर भगाने के लिए कुछ सामान्य Ayurvedic नुस्खे लेकर आया हूँ।
मोटापे को लेकर कई लोग परेशान रहतें हैं और इससे छुटकारा पाना चाहतें हैं। कुछ उपाय ढूंढकर उनको प्रयोग में लातें हैं but कई बार ऐसा देखा गया है कि हर उपाय हर व्यक्ति के लिए लाभदायक नहीं हो पाता है जिसके वजह उनको निराश होने कि जरूरत नहीं है और उनको दुसरा उपाय अपनाना चाहिए। आज में आपके सामनें मोटापे को दूर भगाने के लिए कुछ सामान्य Ayurvedic नुस्खे लेकर आया हूँ। जिनका प्रयोग करके लाभ उठाया जा सकता है। 
1.मूली के रस में थोडा नमक और निम्बू का रस मिलाकर रोजाना पी लेने से मोटापा कम हो जाता है और body सुडौल हो जाता है।
2.गेहूं, चावल,बाजरा और साबुत मूंग को समान मात्रा में लेकर सेककर इसका दलिया बना लिजिएं। इस दलिये में अजवायन 20 grams तथा सफ़ेद तिल 50 grams भी मिला दें। 50 grams दलिये को 400 मि.ली.जल में पकाएं। स्वादानुसार सब्जियां और हल्का नमक मिला लिजिएं। रोजाना एक महीनें तक इस दलिये के सेवन से मोटापा और मधुमेह में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
3.अश्वगंधा के एक पत्ते को हाथ से मसलकर गोली बनाकर Daily सुबह-दोपहर-शाम को भोजन से एक घंटा पहले या खाली पेट जल के साथ निगल लिजिएं। एक सप्ताह के daily सेवन के साथ फल,सब्जियों,दूध,छाछ और जूस पर रहते हुए कई किलो weight कम हो सकता है।
4.आहार में गेहूं के आटे और मैदा से बने सभी भोजनों का सेवन एक महिने तक बिलकुल बंद रखें। इसमें रोटी भी शामिल है। अपना पेट पहले के 4-6 दिन तक केवल दाल,सब्जियां और मौसमी फल खाकर ही भरें। दालों में आप सिर्फ छिलके वाली मूंग कि दाल, अरहर या मसूर कि दाल ही ले सकतें हैं चनें या उडद कि दाल नहीं। सब्जियों में जो इच्छा करें वही ले सकते हैं। गाजर,मूली,ककड़ी,पालक,पतागोभी,पके टमाटर और हरी मिर्च लेकर सलाद बना लिजिएं। सलाद पर मनचाही मात्रा में कालीमिर्च,सैंधा नमक,जीरा बुरककर और निम्बू निचोड़कर खाएं। बस गेहूं कि बनी रोटी छोडकर दाल,सब्जी,सलाद और एक गिलास छाछ का भोजन करते हुए घूंट घूंट करके पीते हुए पेट भरना चाहिए। इसमें मात्रा अधिक भी हो जाए तो चिंता कि कोई बात नहीं। इस प्रकार 6-7 दिन तक खाते रहें। इसके बाद गेहूं कि बनी रोटी कि जगह चना और जौ के बने आटे कि रोटी खाना शुरू कीजिए। 5 किलो देशी चना और 1 kg जौ को मिलकर साफ़ करके पिसवा लिजिएं। 6-7 दिन तक इस आटे से बनी रोटी आधी मात्रा में और आधी मात्रा में दाल,सब्जी,सलाद और छाछ लेना शुरू कीजिए। एक महीने बाद गेहूं कि रोटी खाना शुरू कर सकते हैं but शुरुआत एक रोटी से करते हुए धीरे धीरे बढाते जाएँ। भादों के महीने में छाछ का प्रयोग नहीं किया जाता है इसलिये इस महीनें में छाछ का प्रयोग नां कीजिए।
5. एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर उसको छाले और  1-1  spoon की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन time नियमित लेने करने से मोटापा दूर होता है।
6. चित्रक कि जड़ का चूर्ण (Powder) 1 gram की  मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम  नियमित  रूप से सेवन करने और खानपान का परहेज करनें से भी मोटापा दूर हो सकता है।

Ulti se rahat ke liye ayurvedic nuskhe

उलटी से राहत के लिए Ayurvedic नुस्खे


www.jkhealthworld.com ke nuskhe
कई बार उलटी कि समस्या गलत खान पान, अपच अथवा किसी कारण से हो जाया करती है जिसके वजह परेशान होना पड़ता है। जिसके लिए Ayurved में कुछ उपाय दिए गऐ हैं जिनमें से कुछ उपाय आपको बता रहा हूँ 
1.       अदरक और प्याज के रस 1-1 spoon कि मात्रा में मिलाकर पिलाने से उलटी में लाभ मिलता है।
2.      अनार के बीज के साथ पीस लें और उसमें थोड़ी सी कालीमिर्च और नमक मिलाकर खाने से पित के वजह होने वाली उल्टी और घबराहट में आराम मिलता है।
3.      अमलतास के 5-6 बीज जल में के साथ पीस लें और पिलाने से कोई नुक्सान दायक खाई हुई चीज उलटी होकर बाहर निकल जाती है।
4.     पुदीना और इलायची समान मात्रा में मिलकर सेवन कराने से भी उल्टी और उबकाई में लाभ मिलता है।
5.     1 spoon चन्दन का चूर्ण (Powder) और समान ही मात्रा में आंवले का रस और शहद को मिलाकर पिलाने से उल्टी का कष्ट दूर होता है।

Monday, 23 March 2015

Gharelu Dardnashak Ayurvedic Tel

घरेलु दर्दनाशक आयुर्वेदिक तेल


कई बार हमारे घुटनों,कमर, पीठ और पंसलियों आदि में दर्द हो जाता है।
कई बार हमारे घुटनों,कमर, पीठ और पंसलियों आदि में दर्द हो जाता है। ऐसे ही दर्द को ठीक करने के लिए बाजार में कई प्रकार के Ayurvedic तेल मिलते हैं जिनसे मालिश करने से दर्द ठीक हो जाता है। आज ऐसा ही तेल बनाने कि विधि आपको बताने जा रहा हूँ जो सस्ता, असान और अचूक है और घर पर आराम से बनाया जा सकता है। 
सबसे पहले 40 grams पुदीना, 40 grams अजवायन और 40 grams ही कपूर लें। साफ़ बोतल में पुदीना डाल दें और उसके बाद अजवायन और कपूर को साथ पीस लें और उस बोतल में डाल दें जिसमें आगे पुदीना है। उसके बाद ढक्कन लगाकर हिला दें और रख दें। कुछ देर बाद तीनों चीजें मिलकर द्रव्य रूप में बदल जायेगी और इसे ही अमृतधारा कहते हैं।
अब 200 grams लहसुन लिजिएं और उसके छिलके उतार लें तथा लहसुन कि कलियों के छोटे छोटे टुकड़े कर लिजिएं। अब 1 kg सरसों का तेल कड़ाही में डालकर आंच पर गर्म होने के लिए रख दें। जब तेल पूरी तरह से गर्म हो जाए तो तेल को निचे उतार लें तथा ठंडा होने के लिए रख दें। जब तेल पूरा ठंडा हो जाए तो उसमें लहसुन के टुकड़े डालकर उसको फिर आंच पर चढाकर तेज और मंदी आंच में गर्म कीजिए। तेल को इतना पकाए कि लहसुन कि कलियाँ जलकर काली हो जाए। तेल के बर्तन को आंच पर से उतार लें तथा निचे रखे और उसमें गर्म तेल में ही 80 grams रतनजोत ( रतनजोत एक वृक्ष कि छाल होती है ) डाल दें इससे तेल का रंग लाल हो जाएगा।
तेल के ठंडा होने पर कपडे से छाले और किसी साफ़ बोतल में भर लिजिएं। अब इस पकाए हुए तेल अमृतधारा और 400 grams तारपीन का तेल मिलाकर अच्छी प्रकार से हिला दें। बस मालिश के लिए दर्दनाशक लाल तेल तैयार हो गया जिसका सेवन आप जब चाहे कर सकते हैं।

Cancer

कैंसर


तीय स्तर तक पहुँचे रोग का इलाज संभव नही है। यदि कुछ प्रतिशत संभव भी है, तो इलाज बहुत मंहगा है
         कैंसर का नाम सुनते ही शरीर में एक सिहरन सी हो जाया करती है। प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर भय व्याप्त हो जाता है क्योंकि यह प्राणघातक बीमारी है। इसे लाइलाज माना जाता है। प्रथम और द्वितीय स्तर तक पहुँचे कैंसर का इलाज तो संभव हो सका है, लेकिन तृतीय स्तर तक पहुँचे रोग का इलाज संभव नही है। यदि कुछ प्रतिशत संभव भी है, तो इलाज बहुत मंहगा है कि आम व्यक्ति के बस में नहीं है। फिर भी चिकित्सा जगत् अपनी कोशिश बराबर कर रहा है। निरंतर नई-नई शोधें कर रहा है। नई-नई विधियों से कैंसर निर्मूलन की कोशिश कर रहा है। कुछ हद तक सफल भी हुआ है, but पूर्ण सफलता से अभी दूर है। इसका कारण है कि प्रथम स्तर में कोई कैंसर को समझ नहीं पाता, जिसकी कारण से वह उसका उचित इलाज नहीं हो पाता। यदि जिसने इस disease का परीक्षण भी करा लिया तो औषधियां इतनी महंगी है कि वह उनका सेवन नहीं कर पाता। इसलिये यह disease बढ़ता ही जाता है और अंततोगत्वा बीमार व्यक्ति को निगल जाता है।  
कैंसर के वजह-  
1- कैसर के विषय की सम्पूर्ण जानकारी का अभाव । 
2- अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही की कारण से body के अन्दर और बाहर की साफ-सफाई न रखना ।
3- तम्बाकू और पान मसाला (गुटका) आदि का लगातार सेवन।  
4- बीड़ी, सिगरेट, गांजा आदि का सेवन । 
5- शराब के लगातार सेवन से ।  
6- पेट के कीडे़ (कृमि) से अमाशय या बड़ी आँत का कैंसर । 
7- मांसाहार के लगातार सेवन से। 
जब व्यक्ति बीड़ी, सिगरेट, गांजा आदि का लगातार सेवन करता है तो फेफड़ों को शुद्ध ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है, जिसके वजह खून पूर्णतः फिल्टर नही हो पाता। यही प्रकिया लगातार बनी रहने की कारण से रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है और कोई भी रोग खड़ा बन जाता है। ऐसा ही लगातार शराब के पी लेने से होती है। पानमसाला और गुटका में पड़े रसायनों से मुँह में रियेक्शन के अनुसार हुए घाव कैंसर का रूप ले लेते हैं। इसी प्रकार से पेट के कीड़े भी कैंसर का वजह बनते हैं, जब पेट में कीड़े पड़ जाते हैं और वह वहां रहते हुए अपना आकार बढ़ा लेते हैं, साथ ही बहुत सारे हो जाते हैं, ऐसी अवस्था में जब आप भोजन करते हैं तो वह कीड़े उस खाने को भी खा जाते हैं और मल विर्सजन करते हैं, वही जहरीला मल आंतो द्वारा खींचकर खून में मिला दिया जाता है, जिसकी वजह से खून में खराबी आ जाती है, साथ ही जब कीड़ों को कुछ खाने को नहीं मिलता तो वह आँतों की दीवारों को काटते हैं और वहां घाव उत्पन्न कर देते हैं। जैसे ही हमारे खाने के साथ कैंसर के बैक्टीरिया पेट में जाते हैं और उस घाव के सम्पर्क में आते हैं तो वह घाव कैंसर में परिवर्तित हो जाता हैं। इसी प्रकार मांसाहार से भी कैंसर फैलता है। जब कोई पशु-पक्षी कैंसर से पीड़ित होता है, हम उसे मारकर उसका मांस खाते हैं तो इस मांस के साथ कैंसर के जीवाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और कैंसर का वजह बनते हैं।  
कैंसर के प्रारम्भिक लक्षण 
1-  शरीर में कहीं भी घाव हो, जो भरता न हो। 
2-  body के किसी भी अंग से खून या मवाद लगातार आना। 
3-  body के किसी अंग या स्तन में गांठ का होना तथा धीरे-धीरे बढ़ना और उसे दबाने से दर्द होना। 
4-  लगातार अपच की Problem रहना। 
5-  खाना निगलने में कठिनाई होना। 
6-  लगातार मिचली की Problem होना।
7-  पेट में लगातार दर्द बना रहना। 
8-  नाक में सूजन आना, सांस लेने में समस्या तथा लगातार नाक में दर्द। 
     यदि ऐसी परिअवस्था आपके साथ हो रही है, तो इसे सामान्य न मानकर किसी योग्य कैंसर विशेषज्ञ से जांच अवश्य करा लिजिएं। यदि कैंसर की स्थिति निकले तो तुरन्त चिकित्सक की सलाह पर औषदि का सेवन करें। कैंसर, प्रथम और द्वितीय स्टेज तक पूर्णतः सही हो सकता है। कैंसर विशेषज्ञ आपका कुछ खून परीक्षण, एक्सरे, अल्ट्रासाउण्ड या सी.टी. स्कैन व एम.आर.आई. जैसी जांचें करेंगे, तथा इसकी पूर्ण अवस्था समझने के लिए बायोप्सी परीक्षण कर आपको कैंसर की सही अवस्था बता देंगे। उसी According आपकी रेडियोथिरेपी या कीमोथिरेपी चिकित्सा की सलाह देंगे। यह चिकित्सा बहुत मंहगी है जिसे सभी नहीं अपना सकते हैं। 
      कैसर के प्रथम और द्वितीय स्टेज के बीमार व्यक्ति Ayurved चिकित्सा से भी पूर्णतः सही होते हैं। अवश्यक है, लगन और विश्वास से इन औषधियों (Ayurvedic Medicines) के सेवन की, इसमें पैसा भी कम खर्च होता है और साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं। अवश्यक है सही औषधियों के मिलने की और अच्छे वैद्य की देख रेख में औषधि सेवन की।   
कैंसर निवारक Ayurvedic औषधियाँ-  
1- कैंसर नासक चूर्ण (Powder)-
पारसपीपर के बीज की गिरी, शुद्ध कपूर, जावित्री, जीयापोता (पुत्रजीवा) की गिरी, नीमगिलोय का (स्वयं का बनाया हुआ), इन सभी औषधियों (Ayurvedic Medicines) के समभाग चूर्ण (Powder) को एक साथ मिलाकर एक बन्द डिब्बे में रख लिजिएं। Daily सुबह में खाली पेट आधा Grams औषधि के चूर्ण (Powder) को 10 grams शहद और 10 grams गौमूत्र अर्क के साथ रात को सोते Time लिजिएं। लगातार रोग पूर्णरूपेण सही होने तक लिजिएं। इस औषधि के खाने से पतले दस्त जाते हैं, उस अवस्था में औषधि की मात्रा कम कर दें पर औषधि रोके नहीं। यह औषधि मरीज के बलाबल के According कम या अधिक मात्रा में दी जा सकती हैं। इससे कैंसर की गांठ body के किसी भी हिस्से में होगी सही होगी व कैंसर का घाव भी सही होता है।  
2- कैंसर नासक जड़ी-  
      सहस्रमुरिया का एक पौधा Daily जल में के साथ पीस लें और साथ में 10 grams शहद व 15 नग तुलसी पत्र व 10 grams गौमूत्र अर्क को मिलाकर सुबह में खाली पेट बीमार व्यक्ति को खिलायें। यह औषधि लगातार रोग सही होने तक दें। body के किसी भी अंग में कैंसर की गाठं या घाव को सही करती है। साथ ही खूनरोहेड़ा की छाल 2 तोला को 100 grams जल में धीमी आंच में पकाकर, जब वह जल 25 grams रह जाय तो उसे शाम को सोते Time 10 grams शुद्ध शहद व 10 grams गौमूत्र अर्क के साथ मिलाकर पिलायें, रोग सही होने तक। बीमार व्यक्ति पूर्ण धैर्य व विश्वास के साथ ही औषधि का लें लाभ जरूर होगा। 
नोट- इसी खूनरोहेड़ा की Ayurved में रोहितारिष्ट नाम से औषधि बनाई जाती है।   
3-  गेंहूँ के जवारे से कैंसर का नास 
    सिद्ध मकरध्वज 5 grams, कृमि मुदगरस 5 grams, सितोपलादि चूर्ण (Powder) 60 grams, मुक्ता पिष्टी 3 Grams, त्रणकान्तमणि पिष्टी 10 grams, अभ्रकभस्म सहस्त्रपुटी 5 grams, महायोगराज गुग्गुल 5 grams, श्रृंगभस्म 2 Grams, हीरक भस्म 5 मि,ग्रा., स्वर्ण भस्म 5 मि.ग्रा., नीम गिलोय 10 grams, इन सभी औषधियों को के साथ पीस लें और मिला लिजिएं और 120 पुड़िया बना लिजिएं। एक पुड़िया औषधि को 20 grams गेंहूँ के जवारे का रस, 10 grams शुद्ध शहद, 10 grams गौमूत्र अर्क, 15 पत्ते तुलसी के साथ सुबह में खाली पेट औषधि दें। औषधि की मात्रा बीमार व्यक्ति के According कम या अधिक की जा सकती हैं। इससे शरीर में कही भी गांठ या घाव हो, सही होता है।
परहेज-  
       शराब, मांस, बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, गांजा आदि किसी भी तरह का नशा, गुटका, पान-मसाला, अधिक तली चीजें, अचार, लालमिर्च आदि का सेवन न करें। 
नोट - मरीज को औषधियों की पहचान न होने की कारण से इन औषधियों का सेवन किसी योग्य वैद्य की देख-रेख में ही लिजिएं। किसी औषधि का गलत तरीके से सेवन नुक्सान दायक भी हो सकता है इसके लिये लेखक जिम्मेदार नहीं होगा।
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