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Tuesday, 10 March 2015

Constipation-Kabj

कब्ज (Constipation)


But question यह उठता है कि कब्ज क्या होता हैं ? और इसका का संबंध Digestive Work से क्यों है?
कब्ज के वजह से शरीर में कई प्रकार के रोग हो जाता है वैसे कहा जाए तो यह ही किसी रोग के उत्पन्न होने का मूल कारण होता है। But question यह उठता है कि कब्ज क्या होता हैं ? और इसका का संबंध Digestive Work से क्यों है?
जो भोजन (Food) हम खाते हैं, वह सही ढंग से जब नहीं पचता और आंतों में रूक जाता तो इस कारण से गैस बनना, पेट में दर्द रहना, मिचली आना, शौच जाने में Time लगना और morning पेट साफ न होना, दिन में 3-4 Time शौच के लिए जाना, बदबूदार गैस निकलना, पेट गुडगुडा़ना और खट्टी डकारें आना आदि बहुत से समस्यां उत्पन्न हो जाता हैं, जिसकी वजह से नये-नये रोगों उत्पन्न हो जाते हैं। कब्ज  यानि Constipation से बचने के लिए हम आपको कुछ नुस्खे बताने जा रहे हैं-
कब्ज रोग का चिकित्सा:
1-  कब्ज का चिकित्सा करने के लिए त्रिफला को 3 Grams से 5 grams की मात्रा रात को सोते Time गुनगुने जल के साथ लें। इसे Some days तक लगातार लिजिएं। इस चिकित्सा के साथा ही रात के वक्त में तांबे के बर्तन में जल रख लिजिएं और Morning में इसे पी लिजिएं। फिर इसके 15 minute बाद शौच करने जायें। इस प्रकार करने से पेट साफ हो जायेगा। यदि इस प्रकार से प्रतिदिन जब आप अपना चिकित्सा करते हैं तो आपको इस disease से छुटकार मिल जायेगा।
2- कब्ज के चिकित्सा के लिए Daily at least 2 या 3 हरड़ अवश्य चूसें। लगातार जब आप Somedays तक अपना चिकित्सा इस प्रकार से करते हैं तो कब्ज (Constipation) की समस्यां दूर हो जाया करती है।
3-  त्रिफला 25 grams, सौंफ25 grams, सोंठ 5 grams, बादाम 50 grams, मिश्री 20 grams लिजिएं और गुलाब के  फूल 50 grams भी लिजिएं। सभी को कूट तथा के साथ पीस लें और एक शीशी में भर लिजिएं। रात को सोते Time 5 से 7 Grams तक दूध या शहद के साथ लिजिएं। इस प्रकार से daily चिकित्सा करने से कब्ज ठीक हो जाता है।
कब्ज रोग में परहेज:
जिन्हें कब्ज अथार्त Constipation की Problem हो, वे लोग ध्यान दें कि कभी भी गरिष्ठ भोजन, तली चीजें तथा उरद आदि का सेवन न करें। गेहूं को अधिक बरीक न पिसायें और चोकर न निकालिजिएं। भोजन बनाने के लिए ऐसे ही आटे का सेवन करें। Daily थोड़ा मेहनत और योग करें। जल अधिक पियें। इस प्रकार प्रतिदिन चिकित्सा करें।
Related Links: आयुर्वेदिक औषधियां | अनार के गुण | आंख आना  | Healthy livingBanana use for remedy

Monday, 9 March 2015

Kaise Kaam Karta Hai Ayurved

कैसे काम करता है Ayurved?


पित्त से संबंधित है और जल में आग तत्वों. इस ऊर्जा है कि body के Body का तापमान, पाचन, अवशोषण सहित चयापचय प्रणाली,, और पोषण नियंत्रित करता है।
Ayurved आधार है कि ब्रह्मांड (मनुष्य का शरीर) सहित 'के पांच महान तत्वों: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना है पर आधारित है. इन तत्वों या शक्तियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, में मनुष्यों द्वारा तीन "दोषों":
वात: वात संबंधित है और हवा आकाश तत्व. इस ऊर्जा है कि शारीरिक गति के साथ जुड़े श्वास, खून परिसंचरण, निमिष सहित काम करता है, को विनियमित है, और दिल की धड़कन है।
पित्त: पित्त से संबंधित है और जल में आग तत्वों. इस ऊर्जा है कि body के Body का तापमान, पाचन, अवशोषण सहित चयापचय प्रणाली,, और पोषण नियंत्रित करता है।
कफ: कफ संबंधित है और जल पृथ्वी तत्वों. यह विकास और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार ऊर्जा है. यह body के सभी भागों में जल की आपूर्ति, त्वचा moisturizes, और प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखता है।
क्या आपको पता है कि आपका शरीर कैसा है? Ayurved में शरीर को तीन तरह का माना जाता है - वात, पित्त और कफ। Ayurved के According, हम सभी का शरीर इन तीनों में से किसी एक प्रवृत्ति का होता है, जिसके According उसकी बनावट, दोष, मानसिक अवस्था और स्वभाव का पता लगाया जा सकता है।
यदि आप अपने शरीर (Body) के बारे में इतना कुछ जान लिजिएंगे तो यकीनन अपनी सेहत से जुड़ी Problems को हल करने और फिट रहने में आपको Help मिलेगी। तो जानिए, आखिर कैसा है आपका शरीर।
वात युक्त शरीर
Ayurved के According, वात युक्त शरीर का स्वामी वायु होता है।
बनावट - इस तरह के Body वाले व्यक्तियों का weight तेजी से नहीं बढ़ता और ये Mostly छरहरे होते हैं। इनका मेटाबॉलिज्म good होता है but इन्हें सर्दी लगने की आशंका अधिक रहती है। वैसे देखा जाए तो इनकी त्वचा Dry होती है और नब्ज तेज चलती है।
स्वभाव - सामान्यतः ये बहुत ऊर्जावान और फिट होते हैं। इनकी नींद कच्ची होती है इसलिये अक्सर इन्हें अनिद्रा की शिकायत अधिक रहती है। इनमें कामेच्छा अधिक होती है। इस तरह के लोग बातूनी किस्म के होते हैं।
मानसिक अवस्था - ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं और अपनी भावनाओं का झट से इजहार कर देते हैं। हालांकि इनकी याददाश्त कमजोर होती है और आत्मविश्वास अपेत्राकृत कम होता है। ये बहुत जल्दी तनाव में आ जाते हैं।
डाइट - वात युक्त शरीर वाले व्यक्तियों को डाइट में अधिक से अधिक फल, बीन्स, डेयरी उत्पाद, नट्स आदि का सेवन अधिक करना चाहिए।
पित्त युक्त शरीर
Ayurved के According, पित्त युक्त शरीर का स्वामी आग है।
बनावट - इस तरह के Body के लोग वैसे देखा जाए तो मध्यम कद-काठी के होते हैं। इनमें मांसपेशियां अधिक होती हैं और इन्हें गर्मी अधिक लगती है। अक्सर ये कम समय में ही गंजेपन का शिकार हो जाते हैं। इनकी त्वचा कोमल होती है और इनमें ऊर्जा का स्तर अधिक होता है।
स्वभाव - इस तरह के व्यक्तियों को विचलित करना आसान नहीं होता। इन्हें गहरी नींद आती है, कामेच्छा और भूख तेज लगती हैं। वैसे देखा जाए तो इनके बोलने की टोन ऊंची होती है।
मानसिक अवस्था - इस तरह के लोग आत्मविश्वास और महत्वाकांक्षा से भरपूर होते हैं। इन्हें परफेक्शन की आदत होती है और हमेशा आकर्षण का केंद्र बने रहना चाहते हैं।
डाइट - पित्त युक्त body के लिए डाइट में सब्जियां, फल, आम, खीरा, हरी सब्जियां अधिक खानी चाहिए जिसकी वजह से शरीर में पित्त दोष अधिक न हो।
कफ युक्त शरीर
कफ युक्त body के स्वामी जल और पृथ्वी होते हैं। वैसे देखा जाए तो इस तरह के Body वाले व्यक्तियों की संख्या अधिक होती है।
बनावट - इनके कंधे और कमर का हिस्सा अधिक चौड़ा होता है। ये अक्सर तेजी से weight बढ़ा लेते हैं but इनमें स्टैमिना अधिक होता है। इनका शरीर मजबूत होता है।
स्वभाव - इस तरह के लोग भोजन के बहुत शौकीन होते हैं और थोड़े आलसी होते हैं। इन्हें सोना बहुत पसंद होता है। इनमें सहने की क्षमता अधिक होती है और ये समूह में रहना अधिक पसंद करते हैं।
मानसिक अवस्था - इन्हें सीखने में समय लगता है और भावनात्मक होते हैं।
डाइट - कफ युक्त body के लिए डाइट में बहुत अधिक तैलीय और हेवी‌ भोजन से थोड़ा परहेज करना चाहिए। हां, मसाले जैसे काली मिर्च. अदरक, जीरा और मिर्च का सेवन इनके लिए फायदेमंद हो सकता है। हल्का गर्म भोजन इनके लिए अधिक फायदेमंद है।
इसे भी देखें- आयुर्वेद  | स्वास्थ्य की जानकारियां | Basil  |  Aniseed

History of ayurveda

Ayurved का इतिहास


Herbal remedies
पुरातत्ववेत्ताओं के According संचार की पूरानी पुस्तक ऋग्वेद है ।। बहुत से विद्वानों ने इसका निर्माण काल ईसा के 3 हजार से 50 हजार वर्ष पूर्व तक का माना है ।। इस संहिता में भी Ayurved के अतिमहत्त्वपूर्ण  सिद्धान्त यत्र- तत्र विकीर्ण है । अनेक ऐसे विषयों का उल्लेख है जिसके संबंध में आज के वैज्ञानिक भी सफल नहीं हो पाये है ।।
इससे Ayurved की प्राचीनता सिद्ध होती है ।। अतः हम कह सकते हैं कि Ayurved की रचनाकाल ईसा पूर्व 3 हजार से 50 वर्ष पहले यानि सृष्टि की उत्पत्ति के आस- पास या साथ का ही है ।।
Ayurved के Historical Knowledge के संदर्भ में सर्वप्रथम ज्ञान का उल्लेख, चरक मत के According मृत्युलोक में Ayurved के अवतरण के साथ- अग्निवेश का नामोल्लेख है ।। सर्वप्रथम ब्रह्मा से प्रजापति ने, प्रजापति से अश्विनी कुमारों ने, उनसे इन्द्र ने और इन्द्र से भारद्वाज ने Ayurved का अध्ययन किया ।।
फिर भारद्वाज ने Ayurved के प्रभाव से दीर्घ सुखी और आरोग्य जीवन प्राप्त कर अन्य ऋषियों में उसका प्रचार किया ।। तदनतर पुनर्वसु आत्रेय ने अग्निवेश, भेल, जतू, पाराशर, हारीत और क्षारपाणि नामक 6 शिष्यों को Ayurved का उपदेश दिया ।। इन 6 शिष्यों में सबसे अधिक बुद्धिमान अग्निवेश ने सर्वप्रथम एक संहिता का निर्माण किया- अग्निवेश तंत्र का, जिसका प्रति संस्कार बाद में चरक ने किया और उसका नाम चरक संहिता पड़ा, जो Ayurved का आधार स्तंभ है ।।
सुश्रुत के According काशीराज देवीदास के रूप में अवतरित भगवान धन्वन्तरि के पास अन्य महर्षियों के साथ सुश्रुत जब Ayurved का अध्ययन करने के लिए गये और उनसे आवेदन किया ।। उस समय भगवान धन्वन्तरि ने उन व्यक्तियों को उपदेश करते हुए कहा कि सर्वप्रथम स्वयं ब्रह्मा ने सृष्टि उत्पादन पूर्व ही अथर्ववेद के उपवेद Ayurved को एक सहस्र अध्याय- शत सहस्र श्लोकों में प्रकाशित किया और पुनः मनुष्य को अल्पमेधावी समझकर इसे आठ अंगों में विभक्त कर दिया ।।
इस प्रकार धन्वन्तरि ने भी Ayurved का प्रकाशन बह्मदेव द्वारा ही प्रतिपादित किया हुआ माना है ।। पुनः भगवान धन्वन्तरि ने कहा कि ब्रह्मा से दक्ष प्रजापति, उनसे अश्विनीकुमार तथा उनसे इन्द्र ने Ayurved का अध्ययन किया ।।
चरक संहिता तथा सुश्रुत संहिता में उलेख इतिहास एवं Ayurved के अवतरण के क्रम में क्रमशः आत्रेय सम्प्रदाय तथा धन्वन्तरि सम्प्रदाय ही मान्य है ।।
चरक अनुसार-आत्रेय सम्प्रदाय ।।
सुश्रुत अनुसार- धन्वन्तरि सम्प्रदाय ।।
Ayurved अर्थात जीवन रक्षा संबंधी ज्ञान है जो अनादि एवं परम्परागत है ।। और इसी परम्परागत प्राप्त ज्ञान को ही समय- समय आचार्यों ने लिपिबद्ध कर संहिताओं एवं अन्य ग्रन्थों की रचना कर Ayurved को जनहित में प्रतिपादित किया ।।
क्योंकि इतिहास परम्परागत अस्तित्व एवं ज्ञान का द्योतक है तथा परम्परागत ज्ञान का बोध कराता है, इसलिये 'ऐतिह्य' शब्द मात्र ही ज्ञान एवं ऐतिहासिक शब्द का बोध करा देता है ।। क्योंकि परम्परागत प्राप्त ज्ञान मौलिक प्रमाण माना जाता है जिसके वजह ही इसको आप्तोपदेश की संज्ञा दी गई है ।।
Related Linkes:  आयुर्वेद क्या है | आयुर्वेदिक औषधियां | रोग और उपचार

Wednesday, 17 December 2014

कब्ज का आयुर्वेद उपचार

कब्ज का आयुर्वेद उपचार

(Constipation Treatment by Ayurveda)

कब्ज का उपचार करने के लिए त्रिफला को 3 Grams से 5 Grams की मात्रा रात को सोते Time गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।
कब्ज के कारण शरीर कई प्रकार के रोग हो जाता है वैसे कहा जाए तो यह ही किसी रोग के उत्पन्न होने का मूल कारण होता है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि कब्ज क्या होता हैं ? कब्ज (Constipation) का संबंध Digestive Work से है। जब शरीर की Digestive Work खराब जाता है, अर्थात् जो भोजन (Food) हम खाते हैं, वह सही ढंग से जब नहीं पचता और आंतों में रूक जाता तो इस कारण से गैस बनना, मिचली आना, पेट में दर्द रहना, शौच जाने में Time लगना और सुबह पेट साफ न होना, दिन में तीन चार Time शौच जाना, बदबूदार गैस निकलना, पेट गुडगुडा़ना और खट्टी डकारें आना आदि अनेकों समस्यां पैदा हो जाता हैं, जिससे नये-नये रोगों उत्पन्न हो जाते है। कब्ज  यानि Constipation से बचने के लिए हम आपको कुछ नुस्खे बताने जा रहे हैं-

कब्ज रोग का उपचार:

1-  कब्ज का उपचार करने के लिए त्रिफला को 3 Grams से 5 Grams की मात्रा रात को सोते Time गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। इसे कुछ कुछ दिनों तक लगातार लें। इस उपचार के साथा ही रात के समय में तांबे के बर्तन में पानी रख लें और सुबह इसे पी लें। फिर इसके 15 मिनट बाद शौच करने जायें। ऐसा करने से पेट साफ हो जायेगा। यदि इस प्रकार से रोज जब आप अपना उपचार करते हैं तो आपको इस रोग से छुटकार हो जायेगा।
2- कब्ज के उपचार के लिए Daily कम से कम 2 या 3 हरड़ अवश्य चूसें। लगातार जब आप कुछ दिनों तक अपना उपचार इस  प्रकार से करते हैं तो कब्ज (Constipation) की समस्यां दूर  हो जाती है।
3-  त्रिफला 25 Grams, सौंफ25 Grams, सोंठ 5 Grams, बादाम 50 Grams, मिश्री 20 Grams लें और गुलाब के  फूल 50 Grams भी लें। सभी को कूट तथा पीसकर एक शीशी में भर लें। रात में सोते Time 5 से 7 Grams तक दूध या शहद के साथ लें। इस प्रकार से रोजाना उपचार करने से कब्ज ठीक हो जाता है।

कब्ज रोग में परहेज:

जिन्हें कब्ज अथार्त Constipation की Problem हो, वे लोग ध्यान दें कि कभी भी गरिष्ठ भोजन, तली चीजें तथा उरद आदि का सेवन न करें। गेहूं को ज्यादा बरीक न पिसायें और चोकर न निकालें। भोजन पकाने के लिए ऐसे ही आटे का उपयोग करें। Daily थोड़ा मेहनत और योग करें। पानी ज्यादा पियें। इस प्रकार रोज उपचार करें।

कब्ज का विभिन्न थैरेपियों से चिकित्सा

1. कब्ज का आयुर्वेद से उपचार

2. कब्ज का होम्योपैथ से उपचार

3. कब्ज का प्रकृतिक चिकित्सा से उपचार

4. कब्ज का योग मुद्रा से उपचार

5. कब्ज का एक्युप्रेशर से उपचार

Thursday, 20 November 2014

Ayurvedic Treatments

This is based on many centuries of experience in medical practice, handed down through age groups
Ayurveda is the most ancient and established system of remedy. In India, this is a very famous Ayurved Treatment System. This is based on many centuries of experience in medical practice, handed down through age groups. Ayurvedic medicine originated in the early people of India some 25,000-55 00 years back making Ayurvedic remedy the oldest surviving curative system in this world.
Ayurveda - The Indian Science of Life
The word of Ayurveda is formed by the grouping of two words - "Ayu" sense is life, and "Veda" sense is knowledge. Ayurveda is viewed as "The Science of Life" and the perform involves the care of physical, mental and religious health of human beings.
Life along with Ayurveda is a grouping of senses, mind, soul and body. It is not only limited to body or physical indications but also gives a complete knowledge about religious, mental and social health. Therefore this is a qualitative, holistic science of health and long life, a attitude and system of curative the whole body and mind.
In Ayurveda, many types of medicine as like Apple, Mango, Orange, Bana, etc are used to treatment of the diseases. In Ancient science, the diseases of the body are cured by many types of medicines that are natural plants. The system tries to attach various imbalances in the body and applies aromatic plants and natural products to cure the body. The system was increased to aid a human being towards pious progress and rejuvenation. Now a day, it is used primarily as a way to cure the body and come down stress.
This treatment works on the principle of removing deep seated toxins from the body causing imbalance and is recommended 3 times a year – at the turn of spring , autumn and winter.  A healthy person is recommended this treatment once a year to rejuvenate and revitalize the body by bringing into balance various constituents.
Ayurvedic treatment has no meaning of suppressing the main symptoms and creating some new ones as side effects of the treatment. This is to remove the root cause and give permanent relief.
There are four main arrangements of disease in Ayurveda: shodan, or cleansing; shaman or palliation; rasayana, or rejuvenation; and satvajaya, or mental hygiene.
The treatment mainly comprises of tablets, powders, medicated oils, pisans, etc. made from natural fragrant plants, and minerals. As the herbs are from natural sources and not artificial, they are considered and digested in the body without making any side effects and conversely, there may be some side benefits.
Along with proper diet, medicine, living style and exercise is also given advice. This is evenly significant. If we are using an herb to remove the cause and recently we are using some food or following a life style which is increasing the cause of disease, then we may not get Healthy or will be catching less release. As well as these Panch Karma and Yoga therapy can be very safely used to endorse good health, stop illnesses and obtain longevity.

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