दीवाली का त्योहार कारटीक महीने के अमावस की रात को मनाई
जाती है। इंगलीश कैलन्डर के अनुसार यह त्योहार अक्टूबर या नवंबर महीने में मनाई जाती है।
दीवाली संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है दीपोंवालीं अर्थात दीपों का त्योहार। दीवाली अंधेरे पर प्रकाश की, असत्य पर सत्य की और झूठ पर सच्च की जीत का प्रतिक है। इस दिन दिया में तेल, बती डाल कर जलाया जाता हैं।
दीवाली पूरे भारतवर्ष में एक जैसे ही मनाई जाती है लेकिन दीवाली से संबंधित काहानियां हर प्रांत में थोड़ी-थोड़ी अलग होती है।
एक मान्यता के अनुसार दक्षिण भारत में कर्नाटक में एक बाली नाम का राजा हुआ करता था जो बाहुत शक्तिशाली था और अपने शक्ती पर अभिमान कर लोगों के परेशान और सताया करता था। उसके इस दुष्टटा के लिए भगवान ने उसे दंड देने की सोची और एक दिन भगवान ब्रह्मण के रूप में राजा बली के पास आया और उससे भिक्षा के रूप में तीन पग भूमि मांगी। बाली ने तीन पग भूमि देने के लिए तैयार हो गया। फिर भगवान ने अपना साक्षात रूप धारण किया और अपने पग बढाकर एक कदम में स्वर्ग लोक, दूसरे कदम में पाताल लोक लेकर पूछा तीसरा कदम कहां रखूं? तो बाली ने अपना सिर उनको कदम रखने के लिए आगे कर दिया। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए दीवाली मनाई जाती है।
उत्तर भारत में दीपावील का त्योहार श्री राम चन्द्र का लंका पर जीत के बाद 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।
दीवाली संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है दीपोंवालीं अर्थात दीपों का त्योहार। दीवाली अंधेरे पर प्रकाश की, असत्य पर सत्य की और झूठ पर सच्च की जीत का प्रतिक है। इस दिन दिया में तेल, बती डाल कर जलाया जाता हैं।
दीवाली पूरे भारतवर्ष में एक जैसे ही मनाई जाती है लेकिन दीवाली से संबंधित काहानियां हर प्रांत में थोड़ी-थोड़ी अलग होती है।
एक मान्यता के अनुसार दक्षिण भारत में कर्नाटक में एक बाली नाम का राजा हुआ करता था जो बाहुत शक्तिशाली था और अपने शक्ती पर अभिमान कर लोगों के परेशान और सताया करता था। उसके इस दुष्टटा के लिए भगवान ने उसे दंड देने की सोची और एक दिन भगवान ब्रह्मण के रूप में राजा बली के पास आया और उससे भिक्षा के रूप में तीन पग भूमि मांगी। बाली ने तीन पग भूमि देने के लिए तैयार हो गया। फिर भगवान ने अपना साक्षात रूप धारण किया और अपने पग बढाकर एक कदम में स्वर्ग लोक, दूसरे कदम में पाताल लोक लेकर पूछा तीसरा कदम कहां रखूं? तो बाली ने अपना सिर उनको कदम रखने के लिए आगे कर दिया। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए दीवाली मनाई जाती है।
उत्तर भारत में दीपावील का त्योहार श्री राम चन्द्र का लंका पर जीत के बाद 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।