डेंगू बुखार की जांच
किसी भी बीमारी को जांचने के लिए रक्तच जांच करना वर्तमान में बहुत आवश्यकक हो गया है। आज के समय में इतनी सारी बीमारियां घर कर चुकी है कि बीमारी की पुष्टि के लिए, रक्तर जांच करनी ही पड़ती है। लेकिन इसके साथ ही डॉक्टलर्स की सलाह लेना भी सर्वमान्यट है। किसी भी भ्रम में पड़ने से बेहतर है डॉक्ट र के पास जाना। डेंगू की पुष्टि के लिए भी रक्तक जांच जरूरी होती है। बुखार की शिकायत होने पर तुरंत डॉक्टकर को दिखाना चाहिए। आइए जानें डेंगू के निदान के बारे में।
- डेंगू की पुष्टि भी रक्त जांच से होती है। लेकिन सभी बीमारियों को जांचने का तरीका अलग होता है।
- जैसे मलेरिया के कई प्रकार है वैसे ही डेंगू के भी कई प्रकार है। डेंगू के सभी रूपों की पुष्टि करने के लिए रक्त जांच की आवश्य कता पड़ती है जिसके आधार पर यह बताया जाता है कि रोगी किस प्रकार के डेंगू से ग्रसित है।
- डेंगू का पता लगाने के लिए आम तौर पर एलिजा जांच का ही सहारा लिया जाता रहा है। लेकिन इस जांच के जरिए शुरुआती पांच से छह दिन तक इसके संक्रमण का पता नहीं लग पता।
- रीयल टाइम पीसीआर (पॉलीमरेज चेन रिएक्शन) के जरिए डेंगू के सभी सीरोटाइप का सटीक पता बहुत जल्दी लग जाता है। एनसीडीसी में नमूने आने के आठ घंटे के अंदर इसके नतीजे हासिल किए जा सकते हैं।
- दरअसल, डेंगू के मामलों में उसके डॉक्टरी परीक्षण के साथ ही वायरस विशेष के एंटीबॉडी की पहचान भी जरूरी होती है।
- कई बार डेंगू का संदेह होने पर भी रक्तट जांच की जाती है यदि उस जांच के परिणामों में कोई गड़बड़ दिखाई पड़ती है या फिर प्लेरटलेट्स कम होती है तो इन्हें भी डेंगू के लक्षण मान लिया जाता है। ऐेसे में डेंगू की जांच नए सिरे से दोबारा की जाती है। वास्तंव में डेंगू का सही निदान रक्त परीक्षा में वायरल एंटीजन की उपस्थिति से ही होता है ।
डेंगू भी एडीस इजिप्ट प्रजाति के मच्छ रों के कांटने से फैलता है। वर्तमान में डेंगू बहुत आम हो गया है। हालांकि अभी तक डेंगू के बचाव के लिए कोई खास तकनीक उपलब्धै नहीं हो पाई है लेकिन इसके लिए लगातार प्रयास जारी है।
किसी भी बीमारी को जांचने के लिए रक्तच जांच करना वर्तमान में बहुत आवश्यकक हो गया है। आज के समय में इतनी सारी बीमारियां घर कर चुकी है कि बीमारी की पुष्टि के लिए, रक्तर जांच करनी ही पड़ती है। लेकिन इसके साथ ही डॉक्टलर्स की सलाह लेना भी सर्वमान्यट है। किसी भी भ्रम में पड़ने से बेहतर है डॉक्ट र के पास जाना। डेंगू की पुष्टि के लिए भी रक्तक जांच जरूरी होती है। बुखार की शिकायत होने पर तुरंत डॉक्टकर को दिखाना चाहिए। आइए जानें डेंगू के निदान के बारे में।
- डेंगू की पुष्टि भी रक्त जांच से होती है। लेकिन सभी बीमारियों को जांचने का तरीका अलग होता है।
- जैसे मलेरिया के कई प्रकार है वैसे ही डेंगू के भी कई प्रकार है। डेंगू के सभी रूपों की पुष्टि करने के लिए रक्त जांच की आवश्य कता पड़ती है जिसके आधार पर यह बताया जाता है कि रोगी किस प्रकार के डेंगू से ग्रसित है।
- डेंगू का पता लगाने के लिए आम तौर पर एलिजा जांच का ही सहारा लिया जाता रहा है। लेकिन इस जांच के जरिए शुरुआती पांच से छह दिन तक इसके संक्रमण का पता नहीं लग पता।
- रीयल टाइम पीसीआर (पॉलीमरेज चेन रिएक्शन) के जरिए डेंगू के सभी सीरोटाइप का सटीक पता बहुत जल्दी लग जाता है। एनसीडीसी में नमूने आने के आठ घंटे के अंदर इसके नतीजे हासिल किए जा सकते हैं।
- दरअसल, डेंगू के मामलों में उसके डॉक्टरी परीक्षण के साथ ही वायरस विशेष के एंटीबॉडी की पहचान भी जरूरी होती है।
- कई बार डेंगू का संदेह होने पर भी रक्तट जांच की जाती है यदि उस जांच के परिणामों में कोई गड़बड़ दिखाई पड़ती है या फिर प्लेरटलेट्स कम होती है तो इन्हें भी डेंगू के लक्षण मान लिया जाता है। ऐेसे में डेंगू की जांच नए सिरे से दोबारा की जाती है। वास्तंव में डेंगू का सही निदान रक्त परीक्षा में वायरल एंटीजन की उपस्थिति से ही होता है ।
डेंगू भी एडीस इजिप्ट प्रजाति के मच्छ रों के कांटने से फैलता है। वर्तमान में डेंगू बहुत आम हो गया है। हालांकि अभी तक डेंगू के बचाव के लिए कोई खास तकनीक उपलब्धै नहीं हो पाई है लेकिन इसके लिए लगातार प्रयास जारी है।
डेंगू रक्तस्रावी ज्वर
डेंगू खतरनाक बीमारी है जो मच्छर के काटने से फैलता है। एडीज मादा मच्छर के काटने से डेंगू फैलता है। यह मच्छर साफ पानी में पनपता है। डेंगू बरसात के मौसम में ज्यादा फैलता है। बरसात का पानी गमलों, कूलरों, टायर आदि में एकत्रित हो जाता है जिसमें एडीज मच्छर पनपते हैं।
डेंगू रक्तस्रावी ज्वर डेंगू में बुखार बहुत तेज होता है और इसके साथ ही कमजोरी और चक्कर भी आता है। कुछ लोगो में चक्कर के कारण बेहोशी छा जाती है। डेंगू के मरीज को उल्टियां भी आती हैं और उसके मुंह का स्वाद बदल जाता है। सिरदर्द, बदन दर्द और पीठ दर्द की शिकायत डेंगू में होती है। आइए हम आपको डेंगू केबारे में जानकारी देते हैं।
क्या है डेंगू
डेंगू एडीज मच्छर के काटने से होने वाला एक तीव्र वायरल इन्फेक्शन है। इससे शरीर की सामान्य क्लॉटिंग (थक्का जमना) की प्रक्रिया अव्यवस्थित हो जाती है। डेंगू होने पर प्लेटलेट् की संख्या कम हो जाती है। डेंगू होने पर शरीर से ब्लीडिंग भी होती है।
कैसे फैलता है डेंगू
मलेरिया की तरह डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से फैलता है। इन मच्छरों को 'एडीज मच्छर' कहते हैं जो दिन में भी काटते हैं। डेंगू बुखार से पीड़ित रोगी के रक्त में डेंगू वायरस काफी मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी रोगी को काटने के बाद किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह डेंगू वायरस को उस व्यक्ति के शरीर में पहुंचा देता है।
डेंगू ज्वर के लक्षण
डेंगू खतरनाक बीमारी है जो मच्छर के काटने से फैलता है। एडीज मादा मच्छर के काटने से डेंगू फैलता है। यह मच्छर साफ पानी में पनपता है। डेंगू बरसात के मौसम में ज्यादा फैलता है। बरसात का पानी गमलों, कूलरों, टायर आदि में एकत्रित हो जाता है जिसमें एडीज मच्छर पनपते हैं।
डेंगू रक्तस्रावी ज्वर डेंगू में बुखार बहुत तेज होता है और इसके साथ ही कमजोरी और चक्कर भी आता है। कुछ लोगो में चक्कर के कारण बेहोशी छा जाती है। डेंगू के मरीज को उल्टियां भी आती हैं और उसके मुंह का स्वाद बदल जाता है। सिरदर्द, बदन दर्द और पीठ दर्द की शिकायत डेंगू में होती है। आइए हम आपको डेंगू केबारे में जानकारी देते हैं।
क्या है डेंगू
डेंगू एडीज मच्छर के काटने से होने वाला एक तीव्र वायरल इन्फेक्शन है। इससे शरीर की सामान्य क्लॉटिंग (थक्का जमना) की प्रक्रिया अव्यवस्थित हो जाती है। डेंगू होने पर प्लेटलेट् की संख्या कम हो जाती है। डेंगू होने पर शरीर से ब्लीडिंग भी होती है।
कैसे फैलता है डेंगू
मलेरिया की तरह डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से फैलता है। इन मच्छरों को 'एडीज मच्छर' कहते हैं जो दिन में भी काटते हैं। डेंगू बुखार से पीड़ित रोगी के रक्त में डेंगू वायरस काफी मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी रोगी को काटने के बाद किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह डेंगू वायरस को उस व्यक्ति के शरीर में पहुंचा देता है।
डेंगू ज्वर के लक्षण
- तेज बुखार, डेंगू का प्रमुख लक्षण है।
- शरीर में बहुत तेज दर्द होता है, विशेषकर जोड़ों और अस्थियों में।
- सिर में बहुत तेज दर्द होता है।
- हाथ-पैर में चकत्ते होना, खासकर दबे हुए हिस्से में।
- मतली और उल्टी होना।
डेंगू का निदान और चिकित्सा
खून की जांच के द्वारा डेंगू का निदान होता है। रोगियों रक्त परीक्षा करने पर प्लेटलेट की संख्या कम पायी जाती है। इसमें हीमोब्लोबिन सामान्य हो सकता है। रक्त का ब्लीडिंग और क्लॉटिंग समय लंबा हो सकता है। डेंगू का सही निदान रक्त परीक्षा में वायरल एंटीजन की उपस्थिति से होता है।
डेंगू के वायरस का कोई ईलाज नहीं है। नष्ट हुए प्लेटलेट की पूर्ति के लिए प्लेटलेट का ट्रान्सफ्यूजन, रक्त और बड़ी मात्रा में अन्तशिरा द्वारा द्रव दिया जाता है। मलेरिया और अन्य इन्फेक्शन की रोकथाम के लिए अतिरिक्त एंटीबायोटिक दिया जाता है।
डेंगू बुखार में प्लेटलेट की घटती संख्या
डेंगू एक जानलेवा बीमारी है जो एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की संख्या घट जाती है। मनुष्य के शरीर में रक्त बहुत ही महत्वपूर्ण है। सामान्यतः स्वस्थ व्यक्ति में कम से कम 5-6 लीटर खून होता है। इस खून में तरल पदार्थ के अलावा कई तरह के पदार्थ भी शामिल होते हैं।
प्लेटलेट की घटती संख्याप्लेटलेट्स दरअसल रक्त का थक्का बनाने वाली कोशिकाएं या सेल्स हैं जो लगातार नष्ट होकर निर्मित होती रहती है। ये रक्त में बहुत ही छोटी छोटी कोशिकाएं होती हैं। ये कोशिकाएं रक्त में 1 लाख से 3 लाख तक पाई जाती हैं। इन प्लेटलेट्स का काम टूटी-फूटी रक्तवाहिकाओं को ठीक करना है। डेंगू बुखार से संक्रमित व्यक्ति की प्लेटलेट्स समय-समय पर जांचनी चाहिए। प्लेटलेट्स की जांच ब्ल्ड टेस्ट के माध्यम से की जाती है। आइए हम आपको बताते हैं कि डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की संख्या क्यों घट जाती है।
प्लेटलेट्स कम होने के नुकसान
डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स कम होने से संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। दरअसल प्लेटलेट्स का काम ब्लड क्लॉटिंग है यानी बहते खून पर थक्का जमाना, जिससे ज्यादा खून न बहे। यानी ये शरीर से खून को बहने से रोकते हैं। अगर इनकी संख्या रक्त में 30 हजार से कम हो जाए, तो शरीर के अंदर ही खून बहने लगता है और शरीर में बहते-बहते यह खून नाक, कान, यूरीन और मल आदि से बाहर आने लगता है।
कई बार यह ब्लीडिंग शरीर के अंदरूनी हिस्सों में ही होने लगती है। कई बार आपके शरीर पर बैंगनी धब्बे पड़ जाते है लेकिन आपको इनके बारे में मालूम नहीं होता, ये निशान भी प्लेटलेट्स की कमी के कारण होते है। यह स्थिति कई बार जानलेवा भी हो सकती है। डेंगू बुखार में यदि प्लेटलेट्स के कम होने होने पर ब्लड प्लेटलेट्स न चढ़ाए जाए तो डेंगू संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
हालांकि प्लेटलेट्स कम होने का मतलब यह नही है कि आपको डेंगू हो गया है, अन्य कारणों से भी प्लेटलेट्स की संख्या घट जाती है।
डेंगू में प्लेटलेट्स की संख्या घटने के कारण
डेंगू मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारी है। जब ये मच्छर हमारे शरीर में काटते हैं तो शरीर में वायरस फैल जाता है। ये वायरस प्लेटलेट के निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। सामान्यतया हमारे शरीर में एक बार प्लेटलेट का निर्माण होने के बाद 5-10 दिन तक रहता है, जब इनकी संख्या घटने लगती है तब शरीर आवश्यकता के हिसाब से इनका दोबारा निर्माण कर देता है। लेकिन डेंगू के वायरस प्लेटलेट निर्माण की क्षमता को कम कर देते हैं।
डेंगू बुखार में प्लेटलेट की घटती संख्या के लक्षण
खून की जांच के द्वारा डेंगू का निदान होता है। रोगियों रक्त परीक्षा करने पर प्लेटलेट की संख्या कम पायी जाती है। इसमें हीमोब्लोबिन सामान्य हो सकता है। रक्त का ब्लीडिंग और क्लॉटिंग समय लंबा हो सकता है। डेंगू का सही निदान रक्त परीक्षा में वायरल एंटीजन की उपस्थिति से होता है।
डेंगू के वायरस का कोई ईलाज नहीं है। नष्ट हुए प्लेटलेट की पूर्ति के लिए प्लेटलेट का ट्रान्सफ्यूजन, रक्त और बड़ी मात्रा में अन्तशिरा द्वारा द्रव दिया जाता है। मलेरिया और अन्य इन्फेक्शन की रोकथाम के लिए अतिरिक्त एंटीबायोटिक दिया जाता है।
डेंगू बुखार में प्लेटलेट की घटती संख्या
डेंगू एक जानलेवा बीमारी है जो एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की संख्या घट जाती है। मनुष्य के शरीर में रक्त बहुत ही महत्वपूर्ण है। सामान्यतः स्वस्थ व्यक्ति में कम से कम 5-6 लीटर खून होता है। इस खून में तरल पदार्थ के अलावा कई तरह के पदार्थ भी शामिल होते हैं।
प्लेटलेट की घटती संख्याप्लेटलेट्स दरअसल रक्त का थक्का बनाने वाली कोशिकाएं या सेल्स हैं जो लगातार नष्ट होकर निर्मित होती रहती है। ये रक्त में बहुत ही छोटी छोटी कोशिकाएं होती हैं। ये कोशिकाएं रक्त में 1 लाख से 3 लाख तक पाई जाती हैं। इन प्लेटलेट्स का काम टूटी-फूटी रक्तवाहिकाओं को ठीक करना है। डेंगू बुखार से संक्रमित व्यक्ति की प्लेटलेट्स समय-समय पर जांचनी चाहिए। प्लेटलेट्स की जांच ब्ल्ड टेस्ट के माध्यम से की जाती है। आइए हम आपको बताते हैं कि डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की संख्या क्यों घट जाती है।
प्लेटलेट्स कम होने के नुकसान
डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स कम होने से संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। दरअसल प्लेटलेट्स का काम ब्लड क्लॉटिंग है यानी बहते खून पर थक्का जमाना, जिससे ज्यादा खून न बहे। यानी ये शरीर से खून को बहने से रोकते हैं। अगर इनकी संख्या रक्त में 30 हजार से कम हो जाए, तो शरीर के अंदर ही खून बहने लगता है और शरीर में बहते-बहते यह खून नाक, कान, यूरीन और मल आदि से बाहर आने लगता है।
कई बार यह ब्लीडिंग शरीर के अंदरूनी हिस्सों में ही होने लगती है। कई बार आपके शरीर पर बैंगनी धब्बे पड़ जाते है लेकिन आपको इनके बारे में मालूम नहीं होता, ये निशान भी प्लेटलेट्स की कमी के कारण होते है। यह स्थिति कई बार जानलेवा भी हो सकती है। डेंगू बुखार में यदि प्लेटलेट्स के कम होने होने पर ब्लड प्लेटलेट्स न चढ़ाए जाए तो डेंगू संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
हालांकि प्लेटलेट्स कम होने का मतलब यह नही है कि आपको डेंगू हो गया है, अन्य कारणों से भी प्लेटलेट्स की संख्या घट जाती है।
डेंगू में प्लेटलेट्स की संख्या घटने के कारण
डेंगू मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारी है। जब ये मच्छर हमारे शरीर में काटते हैं तो शरीर में वायरस फैल जाता है। ये वायरस प्लेटलेट के निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। सामान्यतया हमारे शरीर में एक बार प्लेटलेट का निर्माण होने के बाद 5-10 दिन तक रहता है, जब इनकी संख्या घटने लगती है तब शरीर आवश्यकता के हिसाब से इनका दोबारा निर्माण कर देता है। लेकिन डेंगू के वायरस प्लेटलेट निर्माण की क्षमता को कम कर देते हैं।
डेंगू बुखार में प्लेटलेट की घटती संख्या के लक्षण
- शरीर पर अपने-आप या आसानी से खरोंच के निशान बनना।
- शरीर के किसी भी हिस्से पर छोटे या बड़े लाल-बैंगनी रंग के धब्बे दिखना, खासकर पैर के नीचे के हिस्से में।
- मसूड़ों या नाक से खून आना।
- यूरीन या मल में खून आना।
इसके अतिरिक्त डेंगू के दौरान यदि रक्त में मौजूद प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगते हैं तो इसकी पूर्ति भी प्लेटलेट्स चढ़ाकर की जाती है। डेंगू बुखार बढ़ने पर प्लेटलेट्स तेजी से गिरते हैं। इस स्थिति में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है और शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने शुरू हो जाते हैं। यदि रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा चालीस हजार से कम होती है तो मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में एक मरीज को कम से कम दो यूनिट प्लेटलेट्स की जरूरत होती है।
डेंगू बुखार और यात्रा
डेंगू बुखार और यात्रा एक-दूसरे से जुड़ें हैं। वयस्कों को डेंगू होने का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि वे एक जगह से दूसरे जगह पर जाते रहते हैं। अलग-अलग जगहों पर जाने के कारण उनका उनका एक्सपोजर ज्यादा होता है।
डेंगू ग्रस्त आदमी डेंगू से बचने का एकमात्र उपाय है मच्छरों से बचना। यह मच्छर जनित वायरल मच्छरों के काटने से फैलता है। हालांकि इसका निवारण और नियंत्रण संभव है लेकिन यात्रा के दौरान डेंगू बुखार से बचने के लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। आइए जाने डेंगू बुखार से बचने के लिए यात्रा के दौरान क्या सावधानियां बरतें।
डेंगू बुखार और यात्रा
डेंगू बुखार और यात्रा
डेंगू बुखार और यात्रा एक-दूसरे से जुड़ें हैं। वयस्कों को डेंगू होने का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि वे एक जगह से दूसरे जगह पर जाते रहते हैं। अलग-अलग जगहों पर जाने के कारण उनका उनका एक्सपोजर ज्यादा होता है।
डेंगू ग्रस्त आदमी डेंगू से बचने का एकमात्र उपाय है मच्छरों से बचना। यह मच्छर जनित वायरल मच्छरों के काटने से फैलता है। हालांकि इसका निवारण और नियंत्रण संभव है लेकिन यात्रा के दौरान डेंगू बुखार से बचने के लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। आइए जाने डेंगू बुखार से बचने के लिए यात्रा के दौरान क्या सावधानियां बरतें।
डेंगू बुखार और यात्रा
- सबसे पहले तो आपको यात्रा पर जाने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आप जिस जगह जा रहे हैं कहीं वह डेंगू प्रभावित क्षेत्र तो नहीं यदि ऐसा है तो आपको वहां जाने से बचना चाहिए।
- यदि डेंगू प्रभावित क्षेत्र में जाना जरूरी है तो मच्छरों से बचाव के लिए पूरी तैयारी के साथ जाना चाहिए।
- ध्यान रखें कि आप जिस जगह पर ठहर रहे हैं वहां गंदगी या फिर पानी भरा हुआ न हो।
- आप अपने साथ मॉसकीटो नेट (मच्छरदानी) ले जा सकते हैं, इसका प्रयोग कर आप मच्छरों के काटने से बच सकते हैं।
- यात्रा के दौरान पूरी बांह के कपड़े पहनें, कपड़ों के जरिए अपने शरीर को ढंकिए।
- डेंगू का इलाज इससे होने वाली परेशानियों को कम कर के ही किया जा सकता है। डेंगू बुखार में आराम करना और पानी की कमी को पूरा करना बहुत ज़रूरी है। हालांकि यह बीमारी जानलेवा हो सकती है और आमतौर पर यह बीमारी अकसर 15 से 20 दिन तक रहती है।
- ऐसी जगह जहां डेंगू फैल रहा है वहां पानी को जमने नहीं देना चाहिए जैसे प्लास्टिक बैग, कैन ,गमले, सड़को या कूलर में जमा पानी। इसीलिए जहां भी आप यात्रा के लिए जा रहे हैं इन बातों का ध्यान रखें और यदि ऐसा कुछ है तो उसे साफ रखने के लिए कहें।
- बदलते मौसम में अगर आप किसी नयी जगह पर जा रहे हैं, तो मच्छरों से बचने के उत्पादों का प्रयोग करें।
- अपने खाने-पीने का बदलते मौसम में खास ध्यान रखें। अगर यात्रा के लिए आप अपने साथ हल्के स्नैक्स ले जाएं तो ये आपके स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है।
- डेंगू का निवारण और नियंत्रण थोड़े से प्रयास के बाद किया जा सकता है।
- डेंगू संक्रमण बुखार के दौरान रोगी को पेट संबंधी शिकायते होने लगती है। इसमें पेट खराब हो जाना, पेट दर्द होना, दस्त लगना, ब्लैडर की समस्या, जोड़ो में दर्द, बदन दर्द इत्यादि हो सकते है। इस तरह की शिकायतें होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- डेंगू बुखार शरीर में फैलने में थोड़ा समय लेता है। इसीलिए इसकी पहचान मुश्किल होती है। लेकिन डेंगू के लक्षणों को ध्यान में रखकर डेंगू की पहचान सही समय पर की जा सकती है और यात्रा के दौरान सावधानी भी जरूरी है।
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