भिंडी खाने से डायबिटीज, खांसी, बुखार में लाभ
भारत में भिंडी सबसे अधिक पसंद की जाने वाली सब्जियां है। इसका वानस्पतिक नाम एबेल्मोस्कस एस्कुलेंट्स है। भिंडी अत्यधिक प्रचलित सब्जियां है जो छोटे बगीचों से लेकर खेतों में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। सामान्यत: लोग इसे सिर्फ एक सब्जी मानते हैं लेकिन आदिवासी इलाकों में इसे अनेक रोगों के चिकित्सा के लिए प्रयोग किया जाता है।
डायबिटीज के रोगियों को अक्सर भिंडी की अधपकी सब्जी का सेवन करना चाहिए। गुजरात के एक हर्बल जानकारों के अनुसार ताजी हरी भिंडी ज्यादा असर करती है।
भिंडी के बीजों का चूर्ण टोनिक की तरह काम करता है। इसके बीच के चूर्ण को बच्चों को खिलाने से बहुत लाभ मिलता है। इसमें के बीज में प्रोटीन होता है।मध्यप्रदेश के पातालकोट के भुमका नपुंसकता दूर करने के लिए पुरुषों को कच्ची भिंडी को चबाने की सलाह देते हैं, आदिवासी शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए भिंडी को बेहतर माना जाता है।
पीलिया, बुखार और सर्दी खांसी में बीच से कटी हुई भिंडी लगभग 5, नींबू रस आधा चम्मच, अनार और भुई आंवला की पत्तियां 5-5 ग्राम आदि को 1 गिलास पानी में डुबोकर रात भर के लिये रख देते है। अगली सुबह सारे मिश्रण को अच्छी तरह से पीसकर प्रतिदिन 2 बार लगातार 7 दिनों तक सेवन करें। हर्बल जानकारों की मानी जाए तो पीलिया जैसा घातक रोग एक सप्ताह में ही नियंत्रित हो जाता है।
गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकार भिंडी का काढ़ा तैयार कर सिफलिस के रोगी को देते है। करीब 50 ग्राम भिंडी को बारीक काटकर 200 मिली पानी में उबाला जाता है और जब यह आधा शेष रहता है तो इसे रोगी को दिया जाता है। एक माह तक लगातार इस काढ़े को लेने से रोग में लाभ मिलता है।
डायबिटीज के रोगियों को भिंडी के बीजों का चुर्ण (5 ग्राम), इलायची (5 ग्राम), दालचीनी की छाल का चुर्ण (3ग्राम) और काली मिर्च (5 दाने) लेकर अच्छी तरह से कूट कर मिश्रण तैयार करके प्रतिदिन दिन में 3 बार गुनगुने पानी के साथ मिलाकर लेने से लाभ मिलता है।
भारत में भिंडी सबसे अधिक पसंद की जाने वाली सब्जियां है। इसका वानस्पतिक नाम एबेल्मोस्कस एस्कुलेंट्स है। भिंडी अत्यधिक प्रचलित सब्जियां है जो छोटे बगीचों से लेकर खेतों में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। सामान्यत: लोग इसे सिर्फ एक सब्जी मानते हैं लेकिन आदिवासी इलाकों में इसे अनेक रोगों के चिकित्सा के लिए प्रयोग किया जाता है।
डायबिटीज के रोगियों को अक्सर भिंडी की अधपकी सब्जी का सेवन करना चाहिए। गुजरात के एक हर्बल जानकारों के अनुसार ताजी हरी भिंडी ज्यादा असर करती है।
भिंडी के बीजों का चूर्ण टोनिक की तरह काम करता है। इसके बीच के चूर्ण को बच्चों को खिलाने से बहुत लाभ मिलता है। इसमें के बीज में प्रोटीन होता है।मध्यप्रदेश के पातालकोट के भुमका नपुंसकता दूर करने के लिए पुरुषों को कच्ची भिंडी को चबाने की सलाह देते हैं, आदिवासी शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए भिंडी को बेहतर माना जाता है।
पीलिया, बुखार और सर्दी खांसी में बीच से कटी हुई भिंडी लगभग 5, नींबू रस आधा चम्मच, अनार और भुई आंवला की पत्तियां 5-5 ग्राम आदि को 1 गिलास पानी में डुबोकर रात भर के लिये रख देते है। अगली सुबह सारे मिश्रण को अच्छी तरह से पीसकर प्रतिदिन 2 बार लगातार 7 दिनों तक सेवन करें। हर्बल जानकारों की मानी जाए तो पीलिया जैसा घातक रोग एक सप्ताह में ही नियंत्रित हो जाता है।
गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकार भिंडी का काढ़ा तैयार कर सिफलिस के रोगी को देते है। करीब 50 ग्राम भिंडी को बारीक काटकर 200 मिली पानी में उबाला जाता है और जब यह आधा शेष रहता है तो इसे रोगी को दिया जाता है। एक माह तक लगातार इस काढ़े को लेने से रोग में लाभ मिलता है।
डायबिटीज के रोगियों को भिंडी के बीजों का चुर्ण (5 ग्राम), इलायची (5 ग्राम), दालचीनी की छाल का चुर्ण (3ग्राम) और काली मिर्च (5 दाने) लेकर अच्छी तरह से कूट कर मिश्रण तैयार करके प्रतिदिन दिन में 3 बार गुनगुने पानी के साथ मिलाकर लेने से लाभ मिलता है।
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